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भले ही अजीब लगे लेकिन, यूपी के हेल्थ सेंटरों पर मरीजों का इलाज संभव नहीं

Rishi
Published on: 28 Oct 2017 2:26 PM GMT
भले ही अजीब लगे लेकिन, यूपी के हेल्थ सेंटरों पर मरीजों का इलाज संभव नहीं
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लखनऊ : यूपी का एक बड़ा तबका इलाज के लिए सरकारी सीएचसी व पीएचसी पर निर्भर है। अगर आप भी उपचार के लिए इन्हीं का सहारा लेते हैं। तो यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि सूबे के सीएचसी तथा पीएचसी का इन दिनों बुरा हाल है। यहां एक तरफ तो डॉक्टरों से लेकर स्टॉफ की भारी कमी है तो दूसरी ओर इन प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात कर्मचारी अपने काम को सही तरीके से करने को तैयार नहीं हैं। इस बात का खुलासा शहर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ जीएस वाजपेयी के औचक निरीक्षण में अक्सर देखने को मिलता है।

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सीएमओ साहब जिन हेल्थ सेंटरों पर निरीक्षण करने पहुंचते हैं। वहां डॉक्टर से लेकर अन्य स्टॉफ नदारद पाए जाते है। अनुपस्थित कर्मचारियों पर कार्रवाही को लेकर सीएमओ वाजपेयी उनके एक दिन का वेतन काटते हैं। लेकिन इसका भी केंद्रों पर गायब रहने वाले जिम्मदारों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

चिंता की बात यह है कि जब यूपी की राजधानी लखनऊ में ही इलाज का पहला पायदान ट्रैक पर नहीं चल रहा है। तो बाकी के जिलों का क्या होगा। सूबे में 20,521 उपकेंद्र, 3600 पीएचसी तथा 800 सीएचसी हैं। इन पर स्वास्थ्य सुविधा का इंतजाम क्या होगा, यह कहना मुश्किल है।

मरीजों को करना पड़ता है इंतजार

डॉक्टरों से लेकर तमाम स्टॉफों को सुबह 8 बजे हॉस्पीटल में पहुंच जाना होता है। लेकिन अक्सर यह होता है कि मरीज तो नंबर लगाकर डॉक्टरों की राह देख रहे होते हैं पर जिम्मेदार समय पर नहीं पहुंचते हैं। निर्धारित समय पर कोई डॉक्टर उपस्थित नहीं रहता है।

वेतन काटने पर लगाते हैं जोर

सीएमओ डॉ जीएस वाजपेयी के निरीक्षण में गायब रहने वाले कर्मचारियों को जैसे ही पता चलता है कि उन पर कार्रवाई हो गई है तो वे तुरंत सूची से अपना नाम हटवाने का उपाय करने लगते हैं। कार्रवाई से बचने के लिए वे सीएमओ कार्यालय के बाबुओं के संपर्क में तुरंत आ जाते हैं।

प्रसूताओं की देखभाल कौन करेगा

पूरे प्रदेश में सीएचसी-पीएचसी को लेकर करीब 24,000 एएनएम हैं। इतनी बड़ी आबादी पर यह आंकड़ा काफी चिंताजनक विषय है। इसलिए प्रदेश के सीएचसी-पीएचसी में अक्सर ही गर्भवती महिलाएं उपचार से वंचित रह जाती हैं।

जांच में मिली थी अनियमितता

सीएमओ डॉ वाजपेयी ने अभी हाल में ही सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर राजाजीपुरम नगरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का जायजा लिया था। वहां पर उनको केंद्र के मुख्य दरवाजे ताले बंद मिले। वहीं केंद्र से जुड़ा कोई भी स्टाफ मौके पर नहीं पाया गया जबकि सरकारी नियमों के अनुरूप सुबह 8 बजे केंद्रों पर मरीज देखने का कार्य चालू हो जाना चाहिए। यहां पर ताला लगा देखकर सीएमओ डॉ जीएस वाजपेयी दंग रह गए।

रामनगर की यूपीएचसी पर भी मिले थे अधिकांश कर्मचारी अनुपस्थित

इसके बाद सुबह करीब 8 बजकर 10 मिनट पर सीएमओ डॉ जीएस वाजपेयी राजधानी के रामनगर यूपीएचसी केंद्र पहुंचे। मौके पर कई कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए। हालांकि यहां पर कोई मरीज नहीं मिला।

राजाजीपुरम यूपीएचसी में मिला था अधिकारियों का विवरण सादा

राजाजीपुरम नगरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कई अव्यवस्था देखने को मिली है। यहां ताला बंद तो मिला ही पर अधिकारियों का विवरण देने वाली सूची पर पूरी तरह से खाली दिखी। इस पर न तो जिलाधिकारी, ना तो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और ना ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी अधिकारियों के नाम व नंबर देखने को मिले। विवरण पूरी तरह खाली मिला।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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