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Meerut News: कोल्ड स्टोर हादसे में आईपीसी की धारा 304-ए पर उठे सवाल, सात लोंगो की हुई थी मौत

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में बसपा के पूर्व विधायक चौधरी चन्द्रवीर सिंह के कोल्ड स्टोर में सात लोगों की मौत के मामले में स्थानीय पुलिस और प्रशासन द्वारा की जा रही कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं।

Sushil Kumar
Published on: 26 Feb 2023 5:45 PM GMT
Questions raised on Section 304A of IPC in cold store accident in Meerut, seven people died
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 मेरठ: कोल्ड स्टोर हादसे में आईपीसी की धारा 304 ए पर उठे सवाल, सात लोंगो की हुई थी मौत

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में बसपा के पूर्व विधायक चौधरी चन्द्रवीर सिंह के कोल्ड स्टोर में सात लोगों की मौत के मामले में स्थानीय पुलिस और प्रशासन द्वारा की जा रही कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, इस मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 ए में मुकदमा दर्ज किया है। कानून के जानकारों के अनुसार इस धारा में मात्र दो साल की सजा है। सूत्रों के मुताबिक अभी तक इस तरह की घटनाओं में आईपीसी की धारा 304 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जबकि इस घटना में ऐसा नहीं है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस चलता है। इस मामले में अगर कोई आरोपी दोषी पाया जाता है तो अपराध की गंभीरता के आधार पर उसे आजीवन कारावास भी हो सकता है। आपको बता दें कि हत्या के सभी अपराध गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आते हैं। लेकिन, गैर इरादतन हत्या का दायरा काफी बड़ा होता है और सभी गैर इरादतन हत्याओं को आप सीधे तौर पर हत्या नहीं कह सकते हैं। गैर इरादतन हत्या का मतलब होता है कि आपने किसी व्यक्ति को ऐसी चोट पहुंचाई जिससे उसकी मौत हो गई, हालांकि, चोट पहुंचाते वक्त आपको इसका अंदाजा नहीं था कि सामने वाले व्यक्ति की इससे मौत हो जाएगी।

क्या है धारा 304ए?

वहीं, 304ए ये थोड़ी हल्की धारा होती है और ये किसी पर तब लगाई जाती है जब किसी व्यक्ति द्वारा उतावलेपन में या उपेक्षापूर्ण तरीके से किए किसी ऐसे कार्य से हत्या हो जाए, जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाजा ना हो. हिट एंड रन के केस में ज्यादातर यही धारा लगाई जाती है। हालांकि, यह एक जमानती धारा है और इसमें आरोपियों को जमानत आसानी से मिल जाती है। लेकिन अगर इस धारा में आरोपियों को सजा होती है तो उनहें दो साल की कैद या फिर जुर्माना देना होगा. या फिर आरोपियों को दोनों से दंडित किया जा सकता है।

प्रमुख हादसों में आईपीसी की धारा 304 के तहत चलता है केस

अभी तक के प्रमुख हादसों पर हुई कार्रवाई देखें तो सभी में आईपीसी की धारा 304 में मुकदमा दर्ज हुआ है। हाल ही में लखनऊ में अलाया अपार्टमेंट में बिल्डिंग गिरने की घटना में भी आईपीसी की धारा 304 में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर के बेटे और भतीजे को जेल भेजा गया है। इससे पहले 13 जून 1997 में दिल्ली के सिनेमाघार में लगी आग की घटना में भी सुशील अंसल और गोपाल अंसल के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 में मुकदमा दर्ज हुआ था।

मेरठ का मामला

मेरठ के जाने-माने अधिवक्ता अनिल बख्शी कोल्ड स्टोर की घटना के मामले में आरोपियों पर लगाई गई धारा पर सवाल उठाते हुए कहते हैं- अमोनिया प्लांट की सर्विस के समय रिसीवर फटने से बिल्डिंग गिरी है, जिसके कारण सात लोग मारे गए हैं। ऐसे में यह हादसा कैसे हो सकता है। उधर, इस मामले में एसएसपी रेहित सिंह सजवाण जांच रिपोर्ट आने के बाद मुकदमें में धाराएं बढ़ाने की बात कहते हैं।

Shashi kant gautam

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