TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

यहां एक ही परिसर में हैं मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा, सरकार नहीं दे रही ध्यान

By
Published on: 7 July 2017 3:26 PM IST
यहां एक ही परिसर में हैं मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा, सरकार नहीं दे रही ध्यान
X

संदीप अस्थाना

आजमगढ़: एक ही परिसर में मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारा तीनों है। आजमगढ़ का यह स्थल साझी संस्कृति, साझी विरासत का गवाह है। लंबे समय से यहां के प्रबुद्घ लोग उपेक्षित पड़े इस स्थान को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे हैं। यह अलग बात है कि देश व प्रदेश की सरकारों ने लोगों की इस जायज मांग को कभी कोई तवज्जो ही नहीं दी।

साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश करता यह अनूठा स्थल आजमगढ़ शहर में तमसा नदी के तट पर स्थित बिट्ठल घाट पर है। यह वह स्थल है, जहां 1505 में अयोध्या से काशी की यात्रा के दौरान गुरुनानक जी आए थे। उन्होंने इसी स्थान पर संगत की थी। उन्होंने सर्व धर्म समभाव का संदेश दिया।

उनके संदेश से प्रभावित होकर बिट्ठलदास जी ने 1505 में इसी स्थान पर एक ही परिसर में मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारे का निर्माण कराया। इन तीनों धार्मिक स्थलों की इमारत एक साथ बनायी गयी और इमारत बनाने में लखौरी ईंट का प्रयोग किया गया। लखौरी ईंट का प्रयोग भी इस बात का गवाह है कि इसका निर्माण मुगलकाल में हुआ। मंदिर भगवान भोले शंकर का है।

साझी संस्कृति, साझी विरासत का गवाह बने इस स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग यहां के लोग लंबे समय से कर रहे हैं। इसके विपरीत देश व प्रदेश की सरकारों को ऐसा दिव्य स्थल पर्यटक स्थल नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि सरकारों ने इस मांग को कभी तवज्जो नहीं दी जबकि सच्चाई यह है कि इस स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करके समाज को बेहतर संदेश दिया जा सकता है। देश स्तर पर आजमगढ़ का एक यह भी चेहरा दिखाया जा सकता है।

लंबे समय से उपेक्षित पड़ा था यह स्थल : सर्व धर्म समभाव का प्रतीक यह दिव्य स्थल लम्बे समय से उपेक्षित था। लोगों के न आने से यहां झाड़-झंखाड़ उग आया था। इधर कुछ वर्षों से यहां सभी धर्मों के लोगों का आना जाना हुआ है। सिख समाज के लोग अपने गुरुद्वारे में संगत, हिन्दू समुदाय के लोग मंदिर में पूजा-अर्चना व मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अता करते हैं।

रमजान महीने में यहां हर रोज इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जाता है। जर्जर हो चुकी तीनों इमारतों को संबंधित धर्म के लोगों ने ठीक कराया और रंग रोगन आदि किया। इस स्थल तक पहुंचने का आधा दूर तक अच्छा रास्ता बन गया है। विवाद होने की वजह से आधा रास्ता नहीं बन सका।

आगे की स्लाइड में जानिए इस स्थान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

azamgarh1

अखिलेश सरकार में स्वीकृत हुआ था पार्क : सूबे की अखिलेश सरकार ने इस स्थल पर पार्क बनाने के लिए मंजूरी दी थी। यह अलग बात है कि उन्होंने यह मंजूरी सरकार के आखिरी दिनों में दी। ऐसे में सरकार जाने के साथ ही यह मंजूरी भी ठंडे बस्ते में चली गयी। इस सरकार में यहां लोगों को विकास की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह यह है कि जिले की विधानसभा की दस सीटों में पांच पर सपा, चार पर बसपा व महज एक सीट पर भाजपा जीती है। ऐसे में इस जिले का उपेक्षा का शिकार होना तय है। लोगों का मानना है कि इस स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर यहां बहुत सारे कार्य होने चाहिए।

घाट की कीमती जमीन पर भूमाफियाओं की नजर : हाइवे से सटी बिट्ठलघाट की कीमती जमीन पर भूमाफियाओं की नजर गड़ी हुई है। वह इन जमीनों को बेचकर अपनी जेबें भरना चाहते हैं। ऐसे में वह बेवजह जमीनों को विवादित किए हुए हैं। इस दिव्य स्थल तक आने वाले रास्ते को भी विवादित बना दिया गया है। यहां के गुरुद्वारे व मस्जिद की कुछ जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा जमा लिया है। इसके साथ ही पास स्थित मुस्लिम कब्रिस्तान की जमीन पर भी भूमाफियाओं का कब्जा हो गया है। प्रबुद्घ लोगों ने अनधिकृत रूप से काबिज लोगों को हटवाने के लिए कई बार प्रशासन से गुहार लगायी मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में यह माना जा रहा है कि यहां काबिज लोग शासन-सत्ता में मजबूत पकड़ वाले हैं।

गुरुद्वारा की जमीन का नहीं मिल रहा कोई रिकॉर्ड

बिट्ठलघाट पर स्थित गुरुद्वारे की जमीन का कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। यहां का गुरुद्वारा गुरुनानक दरबार गुरू का ताल आगरा के गुरुद्वारा दुख निवारण से जुड़ा हुआ है। इस गुरुद्वारे के ग्रंथी गुरुप्रीत सिंह राजू के नेतृत्व में सिख समाज का प्रतिनिधिमंडल कई बार डीएम सहित अन्य उच्चाधिकारियों से मिला और मांग की कि गुरुद्वारे के गाटा संख्या 438 का 1872 के बंदोबस्त से सीमांकन कराया जाय। गुरुद्वारे की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इस बाबत मेल किया गया। ऐसे में डीएम ने एडीएम को, एडीएम ने एसडीएम सदर को, एसडीएम सदर ने तहसीलदार को और इसी क्रम में नीचे आते-आते कागज लेखपाल तक आ गया।

लेखपाल गुरुद्वारा के लोगों से ही कागज मांग रहे हैं। उनका कहना है कि उनके अभिलेख में गुरुद्वारे के नाम कोई जमीन नहीं है। गाटा संख्या 438 पर बहुत सारे भूमिधरों का नाम दर्ज हो गया है। लेखपाल ने यह रिपोर्ट भेज दी कि गुरुद्वारे के लोग भूमिधरों की जमीन को अपना बता रहे हैं। इसे लेकर सिख समाज में काफी गुस्सा है। सिख समुदाय का कहना है कि लेखपाल को रिपोर्ट लगाने से पहले अभिलेखागार में जाकर कागजातों को देखना चाहिए था और कुछ गड़बड़ी हुई हो तो उसे दुरुस्त करना चाहिए था।

गुरुद्वारा कर रहा है बेहतर काम : बिट्ठलघाट का यह गुरुद्वारा काफी बेहतर काम कर रहा है। यह लोग सर्व धर्म समभाव की संस्कृति का पालन कर रहे हैं। ईद की नमाज के दौरान इस बार इनकी ओर से शहर के बदरका ईदगाह पर शरबत की व्यवस्था की गयी थी। यह लोग हर माह के पहले रविवार को शहर के मातबरगंज मुहल्ले में लंगर चलाते हैं जिसमें हजारों लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं। इनका मानना है कि छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच कुछ नहीं होना चाहिए। मानव सेवा सबसे बड़ी सेवा है।

इसके साथ ही यह लोग मंदिर पर कुछ करने के लिए हिन्दुओं को व मस्जिद पर कुछ करने के लिए मुसलमानों को प्रेरित करते हैं। यहां के ग्रन्थी गुरुप्रीत सिंह राजू का कहना है कि मंदिर व मस्जिद के लिए वह लोग भी बहुत कुछ कर सकते हैं मगर वह कुछ करने जाएंगे तो लोग यह समझेंगे कि गुरुद्वारा के लोग उनकी धर्मस्थली पर कब्जा कर रहे हैं। वैसे सभी धर्मों के लोग यहां बेहतर कार्य कर रहे हैं।

सभी चाहते हैं बने राष्ट्रीय स्मारक : सभी लोग चाहते हैं कि बिट्ठलघाट पर स्थित इस दिव्य स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाना चाहिए। सपा के जिलाध्यक्ष हवलदार यादव ने कहा कि यह स्थल उन लोगों के दिमाग में उस समय आया जब समाजवादी सरकार का कार्यकाल अंतिम दौर में था। बावजूद इसके पार्क की स्वीकृति करायी गयी। अबकी सूबे में समाजवादी सरकार बनने पर इस स्थल को दिव्य स्वरूप दिया जायेगा। आम आदमी पार्टी के जिला संयोजक राजेश यादव का कहना है कि धाॢमक एकता के इस प्रमाणिक स्थल पर हर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ऐसी ही चीजें इस जिले, प्रदेश व देश की सोच व संस्कृति को दर्शाती हैं। कांग्रेस के जिला महामंत्री प्रवीण सिंह का कहना है कि ऐसे स्थल ही हमारी थाती हैं। इन्हें संवारने के लिए कोई भी सरकार जितना भी करे, वह कम ही है। बसपा नेता मुस्तनीर फराही का कहना है कि यह स्थली इस जिले के लोगों की सर्व धर्म समभाव की सोच को दर्शाती है। सरकार को इस स्थली के विकास पर ध्यान देना चाहिए।



\

Next Story