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IMPACT: जमीन पर नहीं...अब स्ट्रेचर पर हो रहा मरीजों का इलाज, सुधर रहे हालात
यूपी के शाहजहांपुर में एक बार फिर newstrack.com की खबर का बड़ा असर हुआ है। तीन दिन पहले हमने आपको दिखाया था किस तरह से शाहजहांपुर के जिला अस्पताल मे गंभीर मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया जा रहा था।
शाहजहांपुर: यूपी के शाहजहांपुर में एक बार फिर newstrack.com की खबर का बड़ा असर हुआ है। तीन दिन पहले हमने आपको दिखाया था किस तरह से शाहजहांपुर के जिला अस्पताल मे गंभीर मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया जा रहा था। newstrack.com पर खबर दिखाए जाने के बाद अब ट्रामा सेंटर मे स्ट्रेचर की गिनती बढ़ गई है। अब सभी मरीजों का इलाज स्ट्रेचर पर लिटाकर किया जा रहा है।
तीन दिन पहले ट्रामा सेंटर की जिस गैलरी मे गंभीर मरीज जमीन पर लेटे थे आज उसी गैलरी में मरीज स्ट्रेचर पर नजर आ रहे हैं।
वहीं डाक्टर का कहना है कि जमीन पर मरीजों को ना लिटाया जाए, इसके लिए उन्होंने कड़े इंतजाम कर लिए हैं।
तीन दिन पहले तक ऐसी थी हालत-
- तीन दिन पहले ही हमने दिखाया था किस तरह मरीजों को जमीन पर लिटाया गया था।
- डॉक्टरों से जब इस बारे में पूछा जाता था तो वो कुछ भी कहने से मुकरते थे।
- गंभीर मरीजों को भी मजबूरन चबूतरे पर लेटना पड़ता था।
- जिला अस्पताल की ये बदहाली जब newstrack.com ने दिखाई, तो उसका असर इस कदर हुआ कि तीन दिन के अंदर ही नजारा बदल गया।
अब नहीं होगी कोई परेशानी- डॉक्टर
- पहले जो डॉक्टर कैमरे के सामने आने से कतराते थे , अब उनका कहना है कि मरीजों को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी।
- अब स्ट्रेचर की भी कोई कमी नहीं है। उनकी सुविधा के सारे इंतजाम कर दिए गये हैं।
हालांकि खबर दिखाए जाने के बाद ट्रामा सेंटर के डाक्टर हरकत मे आए और पूरे अस्पताल के स्ट्रेचर ट्रामा सेंटर मंगवा लिए।
- उनका कहना है कि सबसे पहले घायल अवस्था में गंभीर मरीज ट्रामा सेंटर मे आते है इसलिए स्ट्रेचर की जरूरत सबसे ज्यादा ट्रामा सेंटर मे है। इतने स्ट्रेचर आने के बाद अब मरीजो को जमीनों पर नही लेटना पङ रहा है।
डॉक्टरों की लापरवाही:
- जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर पर तैनात सभी डॉक्टर मरीज ज्यादा आने पर रोना रोते है।
- उनका कहना है कि सीएचसी पर डॉक्टर मरीजों को देखने के बजाए फौरन जिला अस्पताल के लिए रेफर कर देते है।
- हालांकि जिला अस्पताल का कोई भी डॉक्टर ये बात कैमरे पर बोलने को राजी नही है लेकिन रोज पत्रकारों से डॉक्टर यही रोना रोते है।
-उनके मुताबिक़ सीएचसी पर तैनात डॉक्टर रात मे सीएचसी पर ताला डालकर घर चले जाते है।
- रात को ड्यूटी के बावजूद वहां कोई डॉक्टर नहीं होता। और जो होता भी है, वो मरीज के आते ही उसे जिला अस्पताल रेफर कर देता है।
- जिससे यहां पर जगह कम पड़ जाती है। हालत ये हो जाती है कि मरीजों को जमीनों पर लिटाना पड़ जाता है।