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Meerut News: दलित वोट बैंक पर है कांग्रेस की नजर, खाबरी को उम्मीद दलित वापस आएंगे

Meerut News: दलित नेता बृजलाल खाबरी को कांग्रेस उत्तर प्रदेश इकाई का प्रमुख बनाया जाना इस बात की तरफ इशारा है कि कांग्रेस लुप्त होती बसपा से लाभ उठाने की कोशिश कर रही है।

Sushil Kumar
Published on: 3 Oct 2022 10:44 AM GMT
Congress is eyeing Dalit vote bank UP unit chief Brijlal Khabri said Dalits will come back to us
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मेरठ: कांग्रेस यूपी इकाई के प्रमुख बृजलाल खाबरी ने कहा-दलित हमारे पास वापस आएंगे: Photo- Social Media

Meerut News: दलित नेता बृजलाल खाबरी (Dalit leader Brijlal Khabri) को कांग्रेस उत्तर प्रदेश इकाई का प्रमुख बनाया जाना इस बात की तरफ इशारा है कि कांग्रेस लुप्त होती बसपा से लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। दरअसल, पिछले तीन दशकों में कांग्रेस ने अपने पारंपरिक दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक को खोने की वजह से प्रदेश में पूरी तरह हाशिये पर पहुंच चुकी है। फिलहाल की जो स्थिति हैं उसमें कांग्रेस को लगता है कि अगर कोशिश की जाए तो दलित और मुसलमान वोट बैंक को पूरी तरह नही तो काफी हद तक वापिस पाया जा सकता है। इनमें सबसे अधिक उम्मीद दलित वोट बैंक से है।

यही वजह है कि प्रदेश की कमान दलित के हाथ सौंपी गई है। उधर, दिल्ली में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी दलित बनना तय माना जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व द्वारा नई नियुक्तियों के जरिए दलितों को कड़ा संदेश दिया है।

बसपा की कमजोरी का फायदा उठाने में लगी कांग्रेस

दलित वोट बैंक के प्रति कांग्रेस की उम्मीदें इसलिए अधिक हैं क्योंकि लोकसभा में 10 सांसदों वाली बसपा पिछले विधानसभा की मात्र एक सीट जीत पाई। जबकि प्रदेश में बसपा से कमजोर मानी जाने वाली कांग्रेस उससे एक अधिक यानी दो सीटों को पाने में सफल रही थी। इन नतीजों से साफ है कि द्लित वोट बैंक अब बसपा से भी अलग होकर इधर उधर बिखर रहा है क्योंकि बसपा प्रमुख मायावती जो कभी देश की केन्द्रीय राजनीति में बेहद सक्रिय होती दिखा करती थी यहां तक कि प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखा करती थी।

अब अपने ही प्रदेश में सक्रिय नही दिख रही है। इस बात की चुगली पिछले विधानसभा चुनाव नतीजे करते हैं, जिसमें बसपा 403 विधानसभा सीटों में से मात्र एक सीट पर जीत पाई। बसपा जैसी प्रदेश की बड़ी पार्टी के इस हश्र पर राजनीतिक विश्लेषक चौके भी नही। क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान कहीं लगा ही नहीं कि बसपा चुनाव लड़ रही है। बसपा के कमजोर होने से दलित वोट का कुछ हिस्सा भाजपा की ओर गया। नतीजन भाजपा को इसका कई सीटों पर लाभ हुआ।

दलित वोटों की मारा- मारी

कांग्रेस इस सच्चाई को जानती है कि अगर प्रदेश में दलित वोंटो पर ध्यान नही दिया गया तो भाजपा इस वोट बैंक पर कब्जा जमाने में सफल हो जाएगी। क्योंकि यह भी सच्चाई है कि दलित प्रदेश में सपा और रालोद में जाने की बजाय भाजपा में जाना पसंद करेंगे। जो कि कांग्रेस नही चाहती है। कांग्रेस को लगता है कि अगर प्रदेश में कांग्रेस को एक बार फिर से जीवित होना है तो दलित वोट वोट बैंक को एक बार फिर से अपने पाले में लाना ही होगा। दलित अगर कांग्रेस में लौटते हैं तो मुस्लिम जो कि अब तक कांग्रेस को भाजपा के साथ मुकाबले में सपा से कमजोर समझ कर सपा में हैं उनकी भी कांग्रेस में वापसी होने में देर नही लगेगी।

बसपा खत्म हो गई है-बृजलाल खाबरी

दलित वोट बैंक को दोबारा पाने की चाहत ही है कि हाल ही में राहुल ने बसपा संस्थापक कांशीराम की तारीफ की थी। राहुल ने कहा था कि कांशीराम समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। राहुल का यह कदम स्पष्ट रूप से बसपा के वोट बैंक का ध्यान आकर्षण करने की कोशिश थी। कांग्रेस के नए बने प्रदेश मुखिया बृजलाल खाबरी पार्टी के दलित वोट बैंक को दोबारा हासिल करने के इरादों को छिपाते भी नही हैं। वें कहते हैं, 'दलित हमारे पास वापस आएंगे। बसपा खत्म हो गई है। बसपा में जो जनाधार था, मैं उसे जुटाऊंगा और कांग्रेस को फिर से संगठित करूंगा।'

Shashi kant gautam

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