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कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, ग्लोबल इन्वेस्टर समिट नहीं 'ग्लोबल इवेंट समिट' है ये
UP Politics: आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होने कहा कि सरकार ने इस इवेंट को करने के लिए एजेन्सी हायर की है। मैं ये जानना चाहता हूं कि किस एजेंसी का चयन किया गया है। चयन की प्रक्रिया क्या रही।
UP Politics: कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा है कि कल 10, 11 व 12 फरवरी को आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेस्ट समिट को कांग्रेस ग्लोबल इवेंट समिट मानती है। क्योंकि सरकार के केवल औद्योगिक विकास मंत्रालय ने 320 करोंड़ रूपए खर्च किए हैं। अन्य मंत्रालय से कितना खर्च हुआ होगा अनुमान लगा सकते हैं।
आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होने कहा कि सरकार ने इस इवेंट को करने के लिए एजेन्सी हायर की है। मैं ये जानना चाहता हूं कि किस एजेंसी का चयन किया गया है। चयन की प्रक्रिया क्या रही। इसके लिए कितना भुगतान किया गय़ा।
"ग्लोबल इवेन्ट समिट"
उन्होने कहा कि जनता के पैसे से जनता को गुमराह करने के लिए सरकार का दावा है कि इस समिट से 21 लाख करोड़ रू० का निवेश आयेगा। इससे पहले 21, 22 फरवरी 2018 को भी लखनऊ में इसी प्रकार का समिट आयोजित हुआ था। मोदी जी ने उसका उद्घाटन किया था। जिसमें लगभग 4 लाख 28 हजार करोड़ रू० के 1045 कम्पनियों के साथ निवेश का M.O.U साइन हुआ था। दो ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी में मात्र 371 M.O.U वाली कम्पनियां भूमि पूजन के लिए आई। जिनमें से मात्र 106 कम्पनियों का ही वाणिज्यिक संचालन हो पाया है। जो कुल घोषित निवेश का लगभग 9 प्रतिशत है।
इवेन्ट पूरा - इन्वेस्टमेन्ट जीरो
अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि 2018 में हुए समिट में 9196 लोगों को आमंत्रित किया गया था। जिसमें से 6506 लोगों ने अपना पंजीकरण कराया। 153 विदेशी औद्योगिक घरानों ने भी अपना पंजीकरण कराया था। फरवरी 2023 के ग्लोबल समिट के लिए 10 महीने से पूरी यू०पी० की सरकार देश-दुनिया का भ्रमण कर तैयारी कर रही है। 17 देशों में मंत्रियों व अधिकारियों ने भ्रमण व रोड-शो किए। देश के हर महत्वपूर्ण शहरों में भी यूपी सरकार गई। इस इवेंट के लिए 13 हजार से ज्यादा लोगों ने रजिस्टशन करवा लिया है। सरकार अपने कमजोरियों को छुपाने के लिए ही इस तरह के इवेंट आयोजित करती है। सरकार इनवेस्टर्स मीट के नाम से आम जनता को गुमराह कर रही है। जितना इनवेस्टमेंट ये लोग परिश्रम कर के लाते हैं। उतना तो यूपी में हर साल अपनेआप ही आ जाता है।