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UP Politics: यूपी की सियासी पिच पर सपा को छोड़ अकेले बैटिंग करने में जुटे राहुल, कांग्रेस को मजबूत बनाने की कोशिश

UP Politics: हाथरस और संभल जैसे मुद्दों पर समाजवादी पार्टी भी सक्रिय रही है मगर जब सपा शांत हुई तो राहुल गांधी ने अकेले इन मुद्दों पर सक्रियता दिखाकर प्रदेश सरकार को घेरने का प्रयास किया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 12 Dec 2024 5:02 PM IST
Rahul leaves SP batting alone on UP political pitch, trying to strengthen Congress
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 यूपी की सियासी पिच पर सपा को छोड़ अकेले बैटिंग करने में जुटे राहुल, कांग्रेस को मजबूत बनाने की कोशिश: Photo- Social Media

UP Politics: कांग्रेस नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए नजर आ रहे हैं। गुरुवार को उन्होंने अचानक हाथरस पहुंचकर सबको चौंका दिया। राहुल गांधी के इस दौरे के बारे में स्थानीय प्रशासन भी बुधवार तक बेखबर था। हाथरस में उन्होंने रेप पीड़िता के परिजनों से मुलाकात की। राहुल गांधी के इस दौरे के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। इससे पहले उन्होंने संभल जाने का भी प्रयास किया था। हालांकि पुलिस प्रशासन की रोक के कारण वे संभल नहीं पहुंच सके थे।

बाद में उन्होंने संभल हिंसा के पीड़ितों से दिल्ली में अपने आवास पर मुलाकात की थी। मजे की बात यह है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सपा के साथ गठबंधन है मगर राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की सियासी पिच पर अकेले बैटिंग करते हुए कांग्रेस को मजबूत बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। राहुल गांधी की ओर से किए जा रहे इन प्रयासों को सपा के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है।

Photo- Social Media

राहुल के हाथरस दौरे का सियासी मतलब

उत्तर प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव 2027 में होने वाला है। सियासी जानकारों का मानना है कि इसके मद्देनजर राहुल गांधी ने पार्टी को मजबूत बनाने का प्रयास शुरू कर दिया है। राहुल गांधी गुरुवार की सुबह अचानक दिल्ली से हाथरस के लिए निकले और उनके दौरे के लिए पुलिस प्रशासन को रेप पीड़िता के गांव में आनन-फानन में सुरक्षा प्रबंध करने पड़े। हाथरस में राहुल गांधी ने रेप पीड़िता के परिजनों से करीब 45 मिनट तक बातचीत की। इस बातचीत के बाद राहुल ने मीडिया से कोई चर्चा नहीं की।

दरअसल पीड़ित परिवार की ओर से जुलाई महीने में राहुल गांधी को पत्र लिखा गया था। इस पत्र में सरकार की ओर से किए गए वादों को पूरा न करने की शिकायत की गई थी। पीड़ित परिवार का कहना है कि सरकार की ओर से न तो घर मिला और न नौकरी। पिछले चार साल से जेल जैसी स्थिति में रहने की भी शिकायत की गई थी। हाथरस दौरे के बाद माना जा रहा है कि राहुल गांधी पीड़ित परिवार के मदद की दिशा में कोई बड़ा कदम उठाएंगे।

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संभल मुद्दे पर भी दिखाई सक्रियता

इससे पहले राहुल ने अपनी बहन प्रियंका के साथ संभल जाने का भी प्रयास किया था। हालांकि पुलिस की ओर से रोके जाने के कारण वे संभल नहीं पहुंच सके थे। बाद में उन्होंने दिल्ली स्थित आवास पर संभल हिंसा से पीड़ित लोगों से मुलाकात की थी और उन्हें मदद देने का आश्वासन दिया था। उत्तर प्रदेश से जुड़े बड़े मुद्दों को लेकर राहुल गांधी की सक्रियता का सियासी मतलब निकाला जा रहा है।

जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी इन मुद्दों पर ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं जिनकी पिच समाजवादी पार्टी की ओर से तैयार की गई है। हाथरस और संभल जैसे मुद्दों पर समाजवादी पार्टी भी सक्रिय रही है मगर जब सपा शांत हुई तो राहुल गांधी ने अकेले इन मुद्दों पर सक्रियता दिखाकर प्रदेश सरकार को घेरने का प्रयास किया है। इसके जरिए उन्होंने कांग्रेस को मजबूत बनाने की कोशिश की है और सपा को भी यह संदेश देने का प्रयास किया है कि पार्टी को कमजोर न समझा जाए।

Photo- Social Media

उपचुनाव में सपा ने दिया था झटका

अभी हाल में उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे। उपचुनाव के दौरान सीटों को लेकर कांग्रेस की ओर से रखी गई डिमांड को सपा ने पूरा नहीं किया था। सपा अकेले प्रदेश की सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ी थी मगर पार्टी को चुनाव के दौरान करारा झटका लगा था।

भाजपा गठबंधन ने सात सीटों पर जीत हासिल कर ली थी जबकि सपा को सिर्फ करहल और सीसामऊ विधानसभा सीट पर जीत मिली थी। सपा की ओर से इनकार किए जाने के बाद कांग्रेस ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया था।


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यूपी में कांग्रेस को मजबूत बनाने की कोशिश

माना जा रहा है कि इसी कारण राहुल ने कांग्रेस को मजबूत बनाने का प्रयास किया है। हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी जनता से जुड़े मुद्दों पर हमेशा लड़ाई लड़ती रही है। ऐसे में उनके दौरे को सियासी चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।

दूसरी ओर सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस खुद को मजबूत बनाने की कोशिश में जुट गई है ताकि गठबंधन में चुनाव लड़ने की स्थिति में भी पार्टी सीटों को लेकर मजबूत दावेदारी कर सके।

Shashi kant gautam

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