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Congress on PM Modi: सुप्रिया श्रीनेत बोलीं, राहुल गाँधी के सवालों पर पीएम मोदी सदन में कांप रहे थे

Congress on PM Modi: आज कांग्रेस 'हम अडानी के है कौन' श्रृंखला में देश के 23 प्रमुख शहरों में प्रेस वार्ता कर रही थी।

Anant kumar shukla
Published on: 17 Feb 2023 10:53 AM GMT
Congress attack on BJP
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Congress attack on BJP

UP Politics: कांग्रेस ने आज मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि एनडीए सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट दे रखी है। आज यहाँ लखनऊ में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि प्रधानमंत्री इस पूरे अडानी महाघोटालों से परेशान हैं। हमारे नेता राहुल गाँधी द्वारा पूछे गए सवाल के दौरन पीएम का हाथ काँप रहा था। हम सरकार को उसकी जिम्मेदारी से भागने की इजाजत नहीं दे सकते।

बता दें कि कांग्रेस आज 'हम अडानी के है कौन' श्रृंखला में देश के 23 प्रमुख शहरों में प्रेस वार्ता कर रही थी।

राहुल गांधी के सवालों का जवाब क्यों नहीं दे रहे पीएम मोदी

उन्होंने कहा कि सरकार ने राहुल गांधी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के अंशों को संसदीय कार्यवाही से हटा दिया है। लेकिन भारत के लोग सब देख रहे हैं, कि संसद में क्या हो रहा है। लोग जानना चाहते हैं कि सरकार संसदीय भाषणों का स्तर गिराने की कोशिश क्यों कर रही है। प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं।

गला सबका सूखता है, डर सबको लगता है

सुप्रिया ने मोदी का एक फोटो दिखाया। जिसमें वे सदन में पानी पी रहे थे। उन्होने कहा कि राहुल गांधी के सवाल से पीएम का गला सूख गया। आवाज नहीं निकल रही थी। इसी लिए उन्हे पानी पीना पड़ा। इसके बाद तंज कसते हुए कहा की गला सबका सूखता है, डर सबको लगता है।


पीएम ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की

देशवासी जानना चाहते हैं कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित कंपनियों से संबंधों को लेकर कई आरोप है। एक कंपनी भारत की संपत्तियों पर एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है। इस सब पर सरकारी एजेंसियां या तो कोई कार्यवाही नहीं कर रही है या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी हैं। जनता अडानी व मोदी के तालमेल को अच्छे से जानती है। वे जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की। गंभीर अंतर्राष्ट्रीय खुलासे पर चुप क्यों हैं।

जांच से क्यों डर रही मोदी सरकार

उन्होने कहा कि कांग्रेस किसी व्यक्ति के दुनिया के अमीरों की सूची में 609वें से दूसरे स्थान पर पहुँचने के खिलाफ़ नहीं है। लेकिन हम निस्संदेह सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकारों के खिलाफ हैं। क्योंकि वे जनता के हितों के विरुद्ध होते हैं। उन्होने कहा कि कांग्रेस पार्टी विशेष तौर पर टैक्स हेवन देशों से आपत्तिजनक संबंधों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक ख़ास व्यक्ति द्वारा राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए एकाधिपत्य स्थापित करने के खिलाफ हैं। आखिर अडानी मुद्दे पर जाँच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनाने से मोदी सरकार क्यों डर रही है। जबकि संसद के दोनों सदनों में उसका अच्छा बहुमत है।

स्विस बैंकों में बढ़ा काला धन

उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने से पहले काला धन भारत वापस लाने और हर नागरिक के बैंक खाते में 15-20 लाख रुपए डालने का वादा किया था। लेकिन आज की सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। स्विट्ज़रलैंड के केंद्रीय बैंक के पिछले वार्षिक डेटा के मुताबिक 2021 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के उच्चतम स्तर 3.83 बिलियन स्विस फ्रेक्स (30,500 करोड़ रु. से अधिक) पर पहुँच गया है। टैक्स हेवन देशों से संचालित होने वाली विदेशी शेल कंपनियों से भारत आने वाले काले धन का असली मालिक कौन है? क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा ? काले धन पर प्रधानमंत्री के वादे का क्या हुआ?

पीएम मोदी ने सरकारी एजेंसियों का प्रयोग प्रतिद्वंदियों को डराने-धमकाने के लिए किया

वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी ने ईडी, सीबीआई और DRI (खुफ़िया राजस्व निदेशालय) जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक या सैद्धांतिक प्रतिद्वंदियों को डराने-धमकाने के लिए किया है. साथ ही उन व्यापारिक घरानों को दंडित करने के लिए भी किया है, जो उनके पूंजीपति मित्रों के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं हैं।

कांग्रेस ने लगाए ये आरोप

  • अडानी समूह के ख़िलाफ़ स्टॉक में हेरफेर के आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद, शेयरों की कीमतों में गिरावट से उन लाखों निवेशकों को नुकसान पहुँचा जिन्होंने कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतों पर अडानी समूह के शेयरों में निवेश किया था। 24 जनवरी और 15 फ़रवरी 2023 के बीच अडानी समूह के शेयरों के मूल्य में ₹10,50,000 करोड़ रु. की गिरावट आई। 19 जुलाई, 2021 को वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जाँच के दायरे में है। फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया गया।
  • एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 30 दिसंबर, 2022 को 83,000 करोड़ रुपए था. जो 15 फ़रवरी, 2023 को घटकर 39,000 करोड़ रुपए रह गया. यानि 30 करोड़ एलआईसी पॉलिसी धारकों की बचत के मूल्य में 44,000 करोड़ रुपए की कमी हुई। शेयरों के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी एंटरप्राइज़ेज़ के फ़ॉलो आन पब्लिक ऑफ़र (FPO) में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपए निवेश करने के लिए मजबूर किया।
  • 2001 के केतन पारेख घोटाले में सेबी ने पता लगाया था कि शेयर बाज़ार में हेरफेर करने में अडानी समूह के प्रमोटरों ने साथ दिया था। समूह पर मौजूदा आरोपों से यह चिंताजनक रूप से समान है। जाँच करने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल के बजट में अडानी समूह को और भी अवसर दिया।
  • 14 जून, 2022 को अडानी समूह ने घोषणा की कि वह फ़्रांस की 'टोटल एनर्जीज़' के साथ साझेदारी के अंतर्गत ग्रीन हाइड्रोजन में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। 4 जनवरी, 2023 को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19,744 करोड़ रु. की लागत के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। 'टोटल एनर्जीज़' ने इस उद्यम में अपनी भागीदारी को रोक दिया है, लेकिन क्या अडानी की कोई ऐसी व्यावसायिक घोषणा है, जिसके बाद करदाता के पैसों से सब्सिडी प्रदान नहीं की गई ?
  • 1 फरवरी को अपने 'मित्र काल' बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अगले चरण में 50 और हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रम को पुनर्जीवित किया जाएगा। इनमें से कितने अडानी को लाभ पहुँचाएंगे?

इन क्षेत्रों में अडानी समूह का एकाधिकार

  • अडानी समूह बहुत ही कम समय में भारत के हवाई अड्डों का सबसे बड़ा संचालक बन गया है। इसने 2019 में छह में से छह हवाई अड्डों के संचालन की अनुमति सरकार से प्राप्त कर ली और 2021 में यह समूह संदेहास्पद परिस्थितियों में भारत के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर काबिज़ हो गया।
  • आज अडानी समूह 13 बंदरगाहों और टर्मिनल्स को नियंत्रित करता है. जो भारत की बंदरगाह क्षमता का 30 प्रतिशत और कुल कंटेनर आवाजाही का 40 प्रतिशत है। क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से विवेकपूर्ण है कि धनशोधन और विदेश की शेल कंपनियों से लेन-देन के गंभीर आरोपों का सामना करने वाली एक कंपनी को एक सामरिक क्षेत्र में प्रभुत्व रखने की अनुमति दे दी जाए?
  • उन्होने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी ने अपने पास उपलब्ध सभी साधनों का इस्तेमाल करके बंदरगाहों के क्षेत्र में अडानी का आधिपत्य स्थापित करने में मदद की। सरकारी रियायत वाले बंदरगाह बिना किसी बोली के अडानी समूह को बेच दिए गए हैं. बंदरगाह के लिए अडानी की प्रतिस्पर्धा में बोली लगा रहा था. लेकिन जहाजरानी और वित्त मंत्रालयों द्वारा अचानक इरादा बदलने के बाद उसे अपनी जीती हुई बोली वापस लेने को मजबूर होना पड़ा।
  • रक्षा क्षेत्र यह सार्वजनिक जानकारी में है कि गौतम अडानी प्रधानमंत्री मोदी की अनेक विदेश यात्राओं में उनके साथ गए। 4-6 जुलाई, 2017 की इज़राइल यात्रा के बाद उन्हें भारत-इजराइल रक्षा संबंधों के संदर्भ में एक लाभ दिलाने वाली भूमिका सौंप दी गई है। उन्होंने कोई पूर्व अनुभव न होते हुए भी ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे हथियार और विमान रखरखाव जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम स्थापित किए हैं. जबकि कई स्टार्ट-अप कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इन क्षेत्रों में कई वर्षों से हैं।

ये भी आरोप लगे

विद्युत क्षेत्र यूपीए ने वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी द्वारा बगेरहाट, बांग्लादेश में 1.320 मेगावाट का धर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अपने मित्रों की मदद करने का निर्णय लिया और 6 जून, 2015 को उनकी ढाका यात्रा के दौरान, यह घोषणा की गई कि अडानी पावर बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने के लिए झारखंड के गोड्डा में एक थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करेंगे।

मोदी सरकार ने पिछले 9 सालों में सीएजी, सीबीआई जैसी सभी सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं पर बाहे नियंत्रण कर लिया है। ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर किसी को दबाया नहीं जा सकता है। उन्होने कहा कि भाजपा के अभी और भेद खुलेंगे।

Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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