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कांग्रेस ने पूर्व MLC राजेशपति त्रिपाठी और ललितेशपति त्रिपाठी पर दर्ज मुकदमे को बताया फर्जी
ललितेश पति त्रिपाठी और उनके पिता राजेश पति त्रिपाठी के ऊपर जमीन की हेरीफेरी को लेकर मीर्जापुर के मड़िहान थाना में 15 जून को मुकदमा दर्ज हुआ था।
Congress: उत्तर प्रदेश के मीर्जापुर में कांग्रेस के उपाध्यक्ष ललितेश पति त्रिपाठी और उनके पिता राजेश पति त्रिपाठी के ऊपर जमीन की हेरीफेरी को लेकर मीर्जापुर के मड़िहान थाना में 15 जून को मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसको लेकर कांग्रेस नेता दया शंकर पांडे ने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि हाईकोर्ट में मामला विचारधीन रहने के बाद भी शासन का दुरुपयोग झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है।
यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के मीर्जापुर में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और मड़िहान विधानसभा के पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी और उनके पिता राजेशपति त्रिपाठी के ऊपर जमीन में हेराफेरी को लेकर 15 जून को शासन की तरफ से मड़िहान थाने में गोपालपुर सहकारी समिति के प्राथमिक सदस्यों पर मुकदमा दर्ज कराया था। जिसको लेकर जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रवक्ता दया शंकर पांडे ने पीसी करके शासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पद का दुरुपयोग करके जो अपराधिक मुकदमा 14, और 15 जून की रात को दो बजे मड़िहान थाना में शासन के आदेश पर पंजीकृत कराया है। वह बिल्कुल गलत ,तथ्यहीन और मनगढंत और बदले की भवाना से दर्ज कराया गया है। जिसका एकमात्र उद्देश्य सनातन धर्म और सनातन संस्कृति के अनन्य उपासक स्व० पंडित कमलापति त्रिपाठी के परिजनों की प्रतिष्ठा को समाज में धूमिल करना दूषित करना है ।
कांग्रेस ने ललितेशपति त्रिपाठी और उनके पिता पर लगे मुकदमे को बताया फर्जी
कांग्रेस के दोनों नेताओं ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि ललितेश पति त्रिपाठी के परिवार ने एक इंच भी जमीन पर न तो विधि के विरुद्ध कोई कब्जा किया है और ना ही कोई धोखाधड़ी की गई है। सच तो ये है कि की गोपालपुर सहकारी समिति लिमिटेड के नाम से आज जो जमीन मौजूद है, उसे वर्ष 1951 में तत्कालीन जमींदार से पंजीकृत इस्तमरारी पट्टे के माध्यम से खरीदी गयी थी और इसी भूमि को 1951 में बनी गोपालपुर संयुक्त सहकारी कृषि समिति लिमिटेड नामकी सोसायटी में समाहित किया गया था जो आज तक बनी हुई है। जिसका लगान हर वर्ष राजस्व विभाग लेता रहता है। और समिति का हमेशा चुनाव होता है। उन्होंने आगे कहा करीब साल 1971-72 में मूल पट्टाधारकों के उत्तराधिकारियों में से कुछ लोगों ने राजस्व रिकार्ड खतौनी में अपना नाम अंकित करवा लिया। जिसके विरुद्ध समिति हाईकोर्ट गयी जिसके बाद हाईकोर्ट ने ने समिति के पक्ष में निर्णय सुनाया। हाईकोर्ट ने दर्ज सभी नामों को हटाए जाने के लिए जिलाधिकारी तथा वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को आदेश दिया कि समिति के समस्त भूमि पर के अवैध कब्जे हटवा कर समिति को सौंपा जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा किया खारिज
दया शंकर पांडे ने आगे कहा कि इस फैसले के खिलाफ लगभग 86 लोगों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील दाखिल किया जो निरस्त हो गई उसके पश्चात इन्हीं लोगों ने रिट पिटिशन दाखिल किया वह भी निरस्त हो गई कुल मिलाकर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा। इसके बाद से समिति का काम बाकायदा नियमानुसार और विधि के अनुसार चलता रहा।
योगी सरकार बदले की भावना से कर रही काम
उन्होंने कहा कि दो वर्ष पूर्व सोनभद्र जनपद के उंभा गांव में जमीन कब्जे को लेकर हुए नरसंहार में सरकार की भारी किरकिरी हुई इस नरसंहार के विरुद्ध कांग्रेस पार्टी उसके नेता और क्षेत्रीय विधायक रह चुके श्री ललितेश पति त्रिपाठी काफी मुखर रहे जिसका परिणाम यह हुआ के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को त्रिपाठी परिवार का इस मामले में सक्रिय रहना और कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी का आना कतई पसंद नहीं आया जिसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने दो वर्ष पूर्व रेणुका कुमार को जांच कमेटी बनाकर तथाकथित जांच करवाया और उससे एक तरफा पूर्व नियोजित रिपोर्ट तैयार करके समिति को और उसके सदस्यों को प्रताड़ित करने का काम कर रहे है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामला अभी भी विचाराधीन
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में डेढ़ साल पूर्व ही रिट दाखिल किया जो अभीं भी हा विचाराधीन है, और इस मामले में हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल ने न्यायाधीश के समक्ष मौखिक रूप से अंडरटेकिंग दिया था, समिति और उसके सदस्यों के विरूद्ध तब तक कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी जब तक कि मामले का निर्णय नहीं हो जाता, इसके बावजूद इसके दो वर्ष के अन्तराल के बाद उसी रेणुका कमेटी को आधार बना कर राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ये सब करा रहे हैं