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कुछ ऐसे हैं UP में BJP के संभावित CM कैंडिडेट, सहमति से लगेगी मुहर
लखनऊ: असम के बाद अब बीजेपी का मिशन यूपी शुरू हो चुका है। पार्टी में सबसे ज्यादा मंथन अब सीएम कैंडिडेट प्रोजेक्ट करने या न करने को लेकर है। सीएम कैंडिडेट का प्रोजेक्शन सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है, कि आगे किए जाने वाले चेहरे को लेकर आम सहमति बन जाए। तो जानते हैं, कौन हो सकता है सीएम कैंडिडेट और क्या हैं उसकी राजनीतिक खूबियां ।
स्मृति ईरानी
-केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री के रूप में लोकसभा व राज्यसभा में कई मुद्दों पर उनकी आक्रामकता प्रभावशाली रही है।
-केंद्र में विपक्ष पर उनके हमलों ने उनकी क्षमता का लोहा मनवाया है।
-लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने जिस तरह अमेठी से नाता जोड़कर रखा है, उसने स्मृति ईरानी की लोकप्रियता बढ़ाई है।
-लोगों का मानना है कि प्रदेश में मायावती जैसे नेताओं से मुकाबला करने के लिए ईरानी का प्रयोग ठीक रहेगा।
-ईरानी को आगे करके पार्टी महिलाओं के बीच अपनी पकड़ और पैठ बना सकेगी।
-पर, स्मृति इरानी की भूमिका का फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व और खुद उनकी रुचि पर निर्भर है।
राजनाथ सिंह
-राजनाथ सिंह पहले भी प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
-कार्यकर्ता मानते हैं कि उनके घर के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं।
-कार्यकर्ताओं से संपर्क और संवाद बनाए रखते हैं जिससे कार्यकर्ताओं में स्वीकार्यता है।
-उनके नेतृत्व में कार्यकर्ता एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि उन तक पहुंचने का भरोसा रहेगा।
-प्रशासनिक क्षमता भी रखते हैं और उनका चेहरा आगे करके चुनाव लड़ने से बीजेपी को लाभ हो सकता है।
-उन्हें आगे करके पार्टी सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के हवाले से अगड़ों, अति पिछड़ों और अति दलितों को भी पक्ष में कर सकती है।
-पर, यह तभी संभव है जब राजनाथ खुद इस भूमिका के लिए तैयार हों।
कलराज मिश्र
-प्रदेश में लंबे समय तक संगठन का नेतृत्व कर चुके हैं।
-प्रदेश भर के लिए जाना-पहचाना चेहरा हैं।
-कार्यकर्ताओं से संवाद और संपर्क के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय हैं।
-कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की क्षमता कलराज मिश्र में है।
-कलराज को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करके बीजेपी अगड़ा व पिछड़ा कार्ड खेल सकती है।
-पर, इस फैसले में कलराज की अपनी इच्छा भी अहम होगी।
वरुण गांधी
-बीजेपी के भीतर एक वर्ग वरुण गांधी में मुख्यमंत्री बनने की संभावना और क्षमता देख रहा है।
-गांधी परिवार की बैकग्राउंड के साथ आक्रामक हिंदुत्व की छवि है।
-बीजेपी में ऐसा माना जाता है कि इस युवा नेता को आगे करके बीजेपी को फायदा हो सकता है।
-वरुण से बीजेपी को उन वोटों का भी लाभ हो सकता है, जो चेहरा और माहौल देखकर वोट डालते हैं।
-पर, वरुण को लेकर पार्टी के भीतर हिचकिचाहट हो सकती है। प्रदेश के कार्यकर्ताओं के साथ उनके संवाद और संपर्क क्षमता पर मुहर लगना बाकी है।
महंत आदित्यनाथ
-बीजेपी अगर ध्रुवीकरण को आधार बना कर चुनाव मैदान में उतरना चाहेगी तो गोरक्षपीठ के महंत आदित्यनाथ भी एक चेहरा हो सकते हैं।
-आदित्यनाथ की हिंदुत्ववादी छवि के साथ दबंग छवि के कारण लोग उन्हें पसंद करते हैं।
-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रिय लोगों में शुमार होते हैं।
-प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं से भी उनका संपर्क और संवाद है।
-योगी आदित्यनाथ ने पिछले कुछ वर्षों में पूर्वांचल के मल्लाह, निषाद, काछी, कुर्मी, कुम्हार, तेली जैसी अति पिछड़ी जातियों में पैठ बनाी है।
-उन्होंने धानुक, पासी, वाल्मीकि जैसी तमाम अति दलित जातियों में भी पकड़ मजबूत की है।
-पर, बीजेपी में इस बात पर असमंजस हो सकता है कि उन्हें सीएम का चेहरा घोषित करने से यूपी में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण न हो जाए।
-इसके अलावा डॉ. दिनेश शर्मा का नाम भी भावी मुख्यमंत्री के रूप में चर्चा में शामिल रहा है।
-पर, सूबे की जातीय गणित उन पर पूरी तरह अनुकूल नहीं बैठ रही है।