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उपभोक्ता परिषद ने जतायी अन्य विभागों की रकम भी डीएचएफएल में लगी होने की आशंका

पावर कार्पोरेशन में हुए पीएफ घोटाले में आरोपी कंपनी दीवान हाउसिंग कारपोरेशन लिमिटेड के सार्वजनिक उपलब्ध वित्तीय मानकों के मुताबिक पावर कार्पोरेशन इम्पलाई ट्रस्ट के 2267 करोड़ रुपये के अलावा भी करीब 4600 करोड़ के फिक्स डिपाजिट है।

Roshni Khan
Published on: 7 Nov 2019 6:23 PM IST
उपभोक्ता परिषद ने जतायी अन्य विभागों की रकम भी डीएचएफएल में लगी होने की आशंका
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लखनऊ: पावर कार्पोरेशन में हुए पीएफ घोटाले में आरोपी कंपनी दीवान हाउसिंग कारपोरेशन लिमिटेड के सार्वजनिक उपलब्ध वित्तीय मानकों के मुताबिक पावर कार्पोरेशन इम्पलाई ट्रस्ट के 2267 करोड़ रुपये के अलावा भी करीब 4600 करोड़ के फिक्स डिपाजिट है। अब सवाल यह है कि इतनी बड़ी रकम के यह फिक्स डिपाजिट आखिर किसके है, संभव है कि और भी सरकारी विभागों की रकम डीएचएफएल में लगी हो।

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उप्र. राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया ये

उप्र. राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि उपभोक्ता परिषद ने डीएचएफएल के पब्लिक डोमेन में उपलब्ध वित्तीय मानकों का अध्ययन करने पर पाया की डीएचफल ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 में यह सार्वजनिक किया था की कम्पनी के पास 31 मार्च 2019 तक कुल 6963 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपोजिट है और इसी रिपोर्ट में यह भी कहा था की 20 मई 2019 से कंपनी न तो कोई नयी फिक्स्ड डिपॉजिट्स कर रही और न ही नवीनीकरण कर रही है। क्योकि डीएचफल की रेटिंग गिर गयी जो नेशनल हाउसिंग बैंक के प्राविधानित नियमो के तहत डिपॉजिट्स के लिए स्वीकार नहीं ।

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अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कार्पोरेशन ट्रस्ट का लगभग 2267 करोड़ इसमे शामिल है तो कंपनी के पास लगभग 4600 करोड़ की फिक्स्ड डिपॉजिट्स किसके है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार को तुरंत पता लगाना चाहिए कि कही और सरकारी विभागों की फिक्स्ड डिपॉजिट्स तो इस कंपनी के पास नहीं फंसी है।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष कहा की ट्रस्ट के चेयरमैन व सभी ट्रस्टी की यह जिम्मेदारी होती है कि वह ऐसी कम्पनियो में पैसा निवेश करने के पहले उसकी पूरी छानबीन करे। कार्पोरेशन में 200 करोड़ से ज्यादा के कंसल्टेंट काम कर रहे है इस काम के लिए कौन सलाह दे रहा था उसकी भी जांच होनी चाहिए। उपभोक्ता परिषद् ने सरकार से मांग की है की जिन भी विभागों में इस तरह के ट्रस्ट बने हो उनकी छानबीन करा ली जाए कही उनका निवेश भी किसी ऐसी ही कंपनी में न लगा हो।

Roshni Khan

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