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स्टूडेंट ने गैंगरेप-MMS के बाद किया था सुसाइड, 7 दोषियों को 10 साल कैद
लखीमपुर-खीरी: पिपरी नारायनपुर के चार साल पुराने गैंगरेप और सुसाइड केस में फास्ट ट्रैक कोर्ट से गुरुवार को फैसला आया। कोर्ट ने सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 10-10 साल की सजा सुनाई है। जज नीलू मोघा ने विक्टिम के टीचर मोहइयतदीन, उसके साथी मकसुदुर्रहमान, दिलीप कुमार, धनंजय, राम नारायण, गुड्डू और प्रधान अनूप वर्मा को गैंगरेप और सुसाइड के लिए उकसाने का दोषी पाया। सजा सुनाते समय सभी आरोपी कोर्ट में मौजूद थे।
ये है पूरा मामला
-मितौली थानाक्षेत्र के गांव पिपरी नारायनपुर की रहने वाली कविता (काल्पनिक नाम) मदारपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री कुदुरतुल्ला इंटर कॉलेज में 11वीं की स्टूडेंट थी।
-हाईस्कूल में 70 फीसदी अंक पाने वाली कविता आईएएस बनना चाहती थी। लेकिन 10 जुलाई 2011 की घटना ने उसकी जिंदगी छीन ली।
-वह किताबें लेने के लिए गोला गई थी। वहां उसकी मुलाकात स्कूल के टीचर मोहइयतदीन से हुई।
खेत में गैंगरेप और एमएमएस
-मोहइयतदीन ने उसे घर छोड़ने की बात कहकर अपनी गाड़ी पर बैठा लिया और हैदराबाद थाना क्षेत्र के ग्राम छितौनियां लेकर पहुंच गया। वहां उसके दो साथी और मिल गए।
-मास्टर और उसके दो साथी कविता को खेत में खींच ले गए और उसके साथ गैंगरेप किया। इसी दौरान गांव का प्रधान अन्नू वर्मा भी अपने साथियों को लेकर खेत में पहुंच गया।
-वहां पहले सभी ने कविता से अभद्रता की और बाद में वीडियो क्लिपिंग भी बनाई।
घर पर लगा ली फांसी
-घरवालों को पता चला कि बेटी के साथ गैंगरेप हुआ और उसे ट्यूबवेल पर न्यूड करके बैठाया गया है।
-ग्रामीणों की सूचना घर वाले मौके पर पहुंचे और बेटी को लेकर घर आए।
-बेटी ने मां को पूरी बात बताई। उसी रात कविता ने घर में फांसी पर लटक कर जान दे दी थी।
-पुलिस ने वीडियो क्लिपिंग को हासिल कर स्कूल के मास्टर, छितौनियां के ग्राम प्रधान सहित सात आरोपियों को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने की थी बचाने की कोशिश
-तत्कालीन एसपी अमित चंद्रा ने कहा था कि कविता का उसके टीचर से प्रेम प्रसंग था।
-ग्रामीणों द्वारा पकड़ लिए जाने और पिता को बता देने के कारण उसने फांसी लगा ली है।
-उन्होंने गैंगरेप या वीडियो क्लिपिंग बनाए जाने के सवालों को भी सिरे से खारिज कर दिया था।
-लेकिन जब वीडियो क्लिपिंग सामने आई तो उन्हें जवाब देते नहीं बना था।
जिला और हाईकोर्ट में रद हुई थीं आरोपियों की अर्जी
-गिरफ्तारी के बाद से सभी आरोपियों ने जमानत के लिए जिला कोर्ट और हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की।
-लेकिन साक्ष्य और क्लिपिंग देखने के बाद दोनों ही जगहों पर जज ने जमानत अर्जी को खारिज कर दी थी।
-कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि इनका अपराध दया के लायक नहीं है।
-यह लोग बाहर निकलकर मुकदमे को मोड़ देने या खत्म करने की कोशिश कर सकते हैं।