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कोरोना का कहरः काशी में धधक रही चिताएं,गलियों में लगी लाशों की लाइन

कोरोना संक्रमण से प्रभावित लोगों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों में पैर रखने की जगह नहीं हैं

Ashutosh Singh
Report by Ashutosh SinghPublished by Shweta
Published on: 16 April 2021 6:58 PM IST (Updated on: 16 April 2021 8:39 PM IST)
श्मशान घाट
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श्मशान घाट (newstrack.com)

वाराणसीः कोरोना संक्रमण से प्रभावित लोगों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों में पैर रखने की जगह नहीं हैं तो श्मशान घाटों पर लाशों की लाइन लगी है। श्मशान घाट की ओर जाने वाली बनारस की गलियां लाशों से पटी पड़ी हैं। शवों के साथ आने वाले परिजन अपनी बारी के इंतजार में घंटों समय गुजार रहे हैं। गंगा किनारे एक छोर पर मणिकर्णिका घाट लाशों के अंबार से दहक रही तो दूसरे छोर पर राजा हरिश्चंद्र की आत्मा रो रही। चिता की अग्नि न जाने कितने अपनों को अपनी आगोश में ले रही।

बता दें कि वाराणसी के घाटों पर लाशों की लाइन कोई नहीं बात नहीं है। यहां आम दिनों में भी अंतिम संस्कार के लिए घंटों इन्तजार करना पड़ता है। दरअसल इसके पीछे धार्मिक मान्यता है। मान्यता ये है कि काशी में मरने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कामना से लोग अंतिम संस्कार के लिए घाटों पर पहुंचते हैं।लेकिन हाल के दिनों में जो मंजर सामने आया है, वो पहले कभी नहीं देखने को मिला।

गौरतलब है कि प्रशासन के दावे के उलट यहां कोरोना से मरने वालों की संख्या काफी अधिक है। जिला प्रशासन आंकड़ों की बाजीगरी में भले ही बीस साबित हो लेकिन स्थानीय लोग इसकी पोल खोल रहे हैं। स्थानीय लोगों की माने तो प्रतिदिन यहां करीब सौ से डेढ़ सौ शव जलने के लिए लाए जा रहे है। जिसमें से करीब सत्तर से अस्सी शव कोविड के होते है। लोग रोज रहे हैं कि रोज तकरीबन 30 से 40 सील पैक तरीके से शव आ रहा है।

लाशों की लाइन

घाटों पर शवदाह कराने के लिए शवयात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. आलम यह है कि हरिश्चन्द्र घाट पर लकड़ियाँ कम पड़ रही है. ऐसे में अपने एक परिचित का शवदाह कराने आए रविंद्र गिरी बताते हैं कि यहां के हालत बहुत खराब हैं. लाशों के जलने का सिलसिला यहां लगातार चलता रहता है.4 से 5 घंटे इंतजार के बाद नंबर आता है और उसके उसमें भी लकड़ियों की भारी किल्लत है.गीली लकड़ी उसे किसी तरह से चलाई जा रही हैं.

शवदाह के लिए करना पड़ रहा है इंतजार

हालांकि मणिकर्णिका घाट पर लकड़ियों की कमी तो नहीं लेकिन स्थान की कमी होने से और एकाएक शवों की संख्या बढ़ने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मणिकर्णिका घाट पर शवदाह करने आए यात्री ने बताया कि जो लोग सुबह आ रहे हैं उन्हें तो ज्यादा दिक्कत नहीं हो रहा है लेकिन दोपहर में आने वाले शव यात्रियों को तीन से 4 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है. स्थानीय दुकानदारों की मानें तो एक साथ 20 से 25 शवों को जलाया जा रहा है.इसके बावजूद शवों का लगातार आना रुक नहीं रहा।

Shweta

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