TRENDING TAGS :
Corona Vaccine: BHU के वैज्ञानिकों का रिसर्च, संक्रमित लोगों को वैक्सीन की एक डोज ही काफी
Corona Vaccine: बीएचयू के वैज्ञानिकों का दावा है कि वैक्सीन की एक डोज कोरोना से ठीक हुए मरीजों के लिए पर्याप्त है।
Corona Vaccine: कोरोना के बीच वैक्सीन (Vaccine) की किल्लत से देश जूझ रहा है. वैक्सीन सेंटर पर अफरातफरी का माहौल देखने को मिल रहा है. वैक्सीन की उम्मीद में सेंटर पहुंचने वाले अधिकांश लोगों के हाथ निराशा लग रही है. इस बीच बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (Banaras Hindu University) से राहत भरी खबर सने आई है. बीएचयू के वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना संक्रमित लोगों में एंटीबॉडी के लिए वैक्सीन की एक डोज ही काफी है. वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिख कर सुझाव दिया है कि कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के लिए वैक्सीन का एक डोज ही अनिवार्य रखें.अब तक दो करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना वायरस (Coronavirus) से ठीक हो चुके हैं. अगर इन्हें केवल एक डोज ही लगाया जाए तो वैक्सीन का संकट भी कम हो जाएगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक समय से वैक्सीन पहुंच सकेगी.
न्यूज़ट्रैक से बातचीत करते हुए बीएचयू के जूलॉजी विभाग के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे (Prof. Gyaneshwar Chaubey) ने बताया कि हाल ही में 20 लोगों पर एक पायलट स्टडी की गई थी. यह स्टडी शोध कोविड के लिए जिम्मेदार SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ नेचुरल एंटीबॉडी के रोल और इसके फायदों की जानकारी देती है. स्टडी में पता चला कि कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक उन लोगों में तेजी से एंटीबॉडी बनाती है जो कोविड पॉजिटिव थे, जबकि, जो कोरोना संक्रमित नहीं हुए उनमें वैक्सीन लगवाने के बाद 21 से 28 दिन में एंटीबॉडी विकसित होती है.
पीएम मोदी को लिखा पत्र
स्टडी से यह भी साफ हुआ है कि संक्रमण से ठीक होने के कुछ महीनों के बाद व्यक्ति अपनी एंटीबॉडी खो देता है. भारत अपनी 70-80 करोड़ आबादी का टीकाकरण करने की कोशिश कर रहा है. इस अध्ययन में BHU के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. वीएन मिश्र और प्रो. अभिषेक पाठक, जबकि जूलॉजी विभाग के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे, प्रज्ज्वल सिंह और प्रणव गुप्ता शामिल थे. प्रो. चौबे ने बताया कि यह अध्ययन अमेरिका के जर्नल साइंस इम्युनोलॉजी में प्रकाशन के लिए भी भेजा गया है. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि देश में अब तक 2 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमितों होने के बाद जंग जीत चुके हैं. ऐसे में यदि सरकार इस फॉर्मूले पर काम करती है तो मौजूदा समय में देश की वैक्सीन की किल्लत को दूर किया जा सकता है. इसको देखते हुए बीएचयू के वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी को पत्र भी लिखकर शोध और उसके तमाम पहलुओं की जानकारी दी हैं.