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सावधान! दो बार कराएं कोरोना की जांच, जानिए क्या है वजह
राजधानी में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें कोरोना के लक्षण प्रकट होने पर जांच में पहली रिपोर्ट निगेटिव और फिर अगली पॉजिटिव आ गयी है।
लखनऊ: राजधानी में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें कोरोना के लक्षण प्रकट होने पर जांच में पहली रिपोर्ट निगेटिव और फिर अगली पॉजिटिव आ गयी है। ऐसे कुछ मामलों में रोगी को बचाया भी नहीं जा सका। इसके साथ साथ तो कुछ ऐसे भी मामले सामने आए जिनमें पहली पॉजिटिव और उपचार के बाद निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी मरीज कोलैप्स कर गया है। इस तरह की घटनाओं से सबक लेने की जरूरत है, ताकि आप सतर्कता बरत सकें और खुद को बचा सकें।
इस संबंध में एपिडिमियोलाजिस्ट डा. अमित सिंह का कहना है कि किसी को भी बुखार या कोविड-19 के लक्षण उत्पन्न होने पर खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए क्योंकि बुखार आने के एक दो दिन के अंदर जांच होने पर कोविड-19 की रिपोर्ट पाजिटिव आने की संभावना कम होती है। इसे मेडिकल टर्म में फाल्स निगेटिव कहते हैं। जबकि इस वायरस को नाक और गले तक पहुंचने में चार पांच दिन का वक्त लगता है। इसलिए जांच के सटीक नतीजे के लिए जांच चार- पांच दिन बाद कराना बेहतर होता है और तब तक मरीज को आइसोलेशन में रहना चाहिए।
गौरतलब है कि कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें शुरुआती जांच में कोरोना का वायरस पकड़ में नहीं आने की बात कही गई। लेकिन दूसरी या तीसरी जांच में पीड़ित व्यक्ति में कोविड-19 की पुष्टि हुई। कुछ ऐसे मरीजों की हालत गंभीर हो गई। कुछ को गंभीर निमोनिया हो गया। ऐसा क्यों हो रहा है इस संबंध में डा. अमित सिंह ने कहा कि लोगों को कोविड-19 के लक्षण उभरने पर सतर्क हो जाना चाहिए चाहे उनकी रिपोर्ट निगेटिव ही क्यों न आ रही हो।
इस मामले में एक केस उन्नाव का है जिसमें एक डॉक्टर के भाई को कोविड-19 के लक्षण उभरे लेकिन जांच में निगेटिव रिपोर्ट आती रही और धीरे धीरे हालत बिगड़ती गई। अंत में कानपुर के एक नर्सिंग होम में इलाज के दौरान निमोनिया होने की पुष्टि हुई। तब जाकर जान बच सकी।
दूसरा मामला
एक और मामला लखनऊ का है जिसमें एक व्यक्ति में कोविड लक्षण प्रकट हुए आरटीपीसीआर जांच करायी गई जिसमें रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद यह मानकर ट्रीटमेंट शुरू हुआ कि सामान्य वायरल फीवर है लेकिन हालत बिगड़ने लगी तो घर वाले अस्पताल लेकर भागे जहां दोबारा जांच में पॉजिटिव रिपोर्ट आई। इसके बाद मरीज को वेंटिलेटर पर ले जाना पड़ा। और 21 मार्च को उसका निधन हो गया। जबकि इस मरीज की उम्र 40 साल के भीतर थी।
तीसरा मामला
ताजा मामला समाजवादी नेता भगवती सिंह का है जिनके निधन के बाद आयी जांच रिपोर्ट में पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव थे। इसके बाद उनके घर जाकर शोक संवेदना व्यक्त करने वाले लोगों से भी जांच करा लेने को कहा गया है।
चौथा मामला
सबसे चौंकाने वाला मामला एसीएमओ जेपी सिंह का है जिन्हें कोरोना पॉजिटिव होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया 13 दिन बाद उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई और जब उन्हें डिस्चार्ज करने की तैयारी की जा रही थी तब अचानक वह कोलैप्स कर गए।
पांचवां मामला
एक अन्य मामला लखनऊ विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो. एके शर्मा का का है उन्हें 21 मार्च को बुखार आया और 23 मार्च को उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई। बाद में उनके पारिवारिक डॉक्टर ने जांच में उन्हें निमोनिया पाया। लेकिन हालत बिगड़ने पर 28 मार्च को उनकी रिपोर्ट पाजिटिव आई। लेकिन 1 अप्रैल को उनका निधन हो गया।
ऐसा भी हुआ है
इसी तरह के एक मामले में हाल में हुए मान्यता प्राप्त पत्रकारों के चुनाव में एक साथी जो चुनाव लड़ कर जीते थे और कोई लक्षण नहीं था अचानक हालत बिगड़ी और उन्हें भी नहीं बचाया जा सका।
डा. अमित कुमार सिंह का कहना है कि कोरोना वायरस के लक्षण कोई स्पेशल नहीं हैं। बुखार, सूखा कफ और थकान जो अब तक सामान्य बीमारियों के लक्षण थे वह कोरोना वायरस के संक्रमण के भी लक्षण हैं। इसके अलावा शरीर में दर्द, गला सूखना, डायरिया, कंजेक्टिवाइटिस, सिरदर्द, स्वाद या गंध का चले जाना आदि भी कोविड-19 के लक्षण हो सकते हैं। कुछ लोगों की त्वचा पर रैशेज भी पड़ जाते हैं। लेकिन इस वायरस से संक्रमित होने के तत्काल बाद संक्रमित व्यक्ति में कोरोना पाजिटिव होने की पुष्टि नहीं होगी। क्योंकि यह वायरस नाक और गले तक पहुंचने में चार से पांच दिन लेता है। इसलिए शुरुआती रिपोर्ट में फार्स निगेटिव कहा जाता है। अगर संक्रमित व्यक्ति छह सातवें दिन जांच कराता है तो उसकी पॉजिटिव रिपोर्ट आने की संभावना अधिक रहती है।
ऐसे में जिन लोगों में भी ऐसे लक्षण उभरें उन्हें सतर्क हो कर खुद को कोरंटाइन करते हुए तत्काल जांच कराते हुए लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए और शरीर में आक्सीजन के स्तर की लगातार निगरानी करनी चाहिए। क्योंकि इस बीमारी में व्यक्ति अचानक कोलैप्स करता है। जिसमें मेडिकल ट्रीटमेंट का मौका नहीं मिलता।
एपिडिमियोलाजिस्ट का कहना है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति अचानक कोलैप्स कर सकता है और कोरोना संक्रमण से ठीक हुआ व्यक्ति भी अचानक कोलैप्स कर सकता है इसलिए सतर्कता, आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क सबसे अधिक जरूरी है।