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कोरोना का कहर अब यहां भी! बेहाल हुआ बनारस का साड़ी उद्योग, करोड़ों डूबा
चीन ने सिल्क के निर्यात पर 10 फरवरी तक रोक लगा रखी है। माना जा रहा है इसे आगे बढ़ाया जाएगा। रेशम की आवक घटने से साड़ी उद्योग ठप्प पड़ा है। दरअसल बनारस साड़ी चीन के सिल्क से बनती है। लिहाजा प्रतिमाह 1000 टन के आसपास चीन से रेशम निर्यात किया जाता है।
वाराणसी: चीन में फैले कोरोना वायरस की धमक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी सुनाई दे रही है। एक तरफ इस खौफनाक बीमारी से चीन में लाशें गिर रही हैं तो दूसरी ओर बनारस के साड़ी उद्योग पर ग्रहण लग गया है। दरअसल कोरोना वायरस के मद्देनजर चीन ने रेशम के आयात पर रोक लगा रखी है। इसकी वजह से साड़ी उद्योग ठप्प होने के कगार पर पहुंच चुका है।
200 करोड़ तक पहुंचा घाटा
फिलहाल चीन ने सिल्क के निर्यात पर 10 फरवरी तक रोक लगा रखी है। माना जा रहा है इसे आगे बढ़ाया जाएगा। रेशम की आवक घटने से साड़ी उद्योग ठप्प पड़ा है। दरअसल बनारस साड़ी चीन के सिल्क से बनती है। लिहाजा प्रतिमाह 1000 टन के आसपास चीन से रेशम निर्यात किया जाता है। लेकिन कोरोना वायरस के चलते चीन ने अपनी सभी कंपनियों को फिलहाल बंद रखने का निर्देश दिया है। इसकी वजह से बनारसी साड़ी उद्योग को 200 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है।
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कोरोना वायरस से परेशान हुए बुनकर
बनारसी साड़ी कारोबारियों का कहना है शादी का लगन होने के वजह से उनके पास आर्डर आ रहे हैं। इस आर्डर को पूरा करने के लिए बुनकर तैयार नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनके पास मेटेरियल ही नहीं है। बुनकरों का कहना है कि रोलेक्स सीट और कच्चा धागा लंबे वक्त से चाइना से ही आयात कर मंगाया जाता रहा है।
इसका इस्तेमाल बनारसी साड़ी उद्योग में सबसे ज्यादा किया जाता है। बनारस में साड़ी उद्योग से लगभग 6 लाख लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हैं। इनकी रोजी रोटी का जुगाड़ साड़ी की खरीद-फरोख्त से ही होती है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते अब धंधा चौपट होने के पर पहुंच चुका है।
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