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नहीं थम रहा कोरोना से मौतों का सिलसिला, मुक्तिधाम के पंडित बोले- नहीं देखी इतनी लाशें

लखीमपुर खीरी में 21 अप्रैल से 30 अप्रैल तक करीब 30 शव अंतिम संस्कार के लिए रोज आए। इस दौरान लकड़ी की भी कमी हो गई

Sharad Awasthi
Reporter Sharad AwasthiPublished By Ashiki
Published on: 13 May 2021 7:45 PM IST
Purohit Pandit Ashok Das Dwivedi Lakhimpur Kheri
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पुरोहित पंडित अशोक दास द्विवेदी (Photo-Social Media)

लखीमपुर खीरी: शहर के क्लब के मतदान केंद्र के पुरोहित पंडित अशोक दास द्विवेदी महापात्र जो कि करीब 40 वर्षों से शवों का अंतिम संस्कार करा कर अपने ही नहीं अपने परिवार की आजीविका चला रहे हैं। बताते हैं कि अपने जीवन काल में इतनी मौतें कभी नहीं देखी। उन्होंने बताया कि 16 अप्रैल से जो मौतों का सिलसिला शुरू हुआ थमने का नाम नहीं ले रहा है।

21 अप्रैल से 30 अप्रैल तक करीब 30 शव अंतिम संस्कार के लिए रोज आए। इस दौरान लकड़ी की भी कमी हो गई इस मुक्तिधाम स्थल में अंतिम संस्कार के लिए 16 चबूतरे बने हैं। वह अभी कम पड़ रहे थे शवों के अंतिम संस्कार के लिए आखरी रास्ता जमीन ही बची थी। जमीन पर शवों का अंतिम संस्कार करना पड़ा। वही मुक्तिधाम की सफाई के लिए 6 कर्मचारी लगाने पड़े, जिससे वहां की सफाई की जा सके।

बाबा द्विवेदी बताते हैं कि वहां पर सन 1942 में ब्रिटिश हुकूमत में उनके बाबा को फांसी दे दी गई थी। तत्कालीन महेवा गढ़ी के राजा बैटरी का चलाने के लिए इस जमीन को दे दिया था। तीन पीढ़ी से उनके यहां वहां पात्र का काम हो रहा है करीब 1 सप्ताह से ब्राह्मण परिवार का सव अंतिम संस्कार के लिए आया था, जिसके साथ पलिया कस्बे के कुछ मुस्लिम परिवार के लोग ही आए थे। उस लावारिस शवों का अंतिम संस्कार उन्होंने अपने खर्चे पर अपने भतीजे व पुत्र से करवाया। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास करीब 50 शवों की अस्थियां रखी है जिन्हें जिला अधिकारी की अनुमति से निशुल्क प्रयागराज में विसर्जित करने अपने निजी वाहन से जाएंगे वह बताते हैं एक कोविड-19 कल मे पॉजिटिव का भी अंतिम संस्कार उन्हें करना पड़ा जिसके लिए उन्होंने अपने स्टाफ को पीपीके पहनाकर सौभाग्य संस्कार कराया है।


बताते हैं कि जिला प्रशासन की तरफ से कुछ लकड़ी और नगर पालिका चेयरमैन की तरफ से उपले मिल रहे हैं जो नाकाफी है। वैसे तो 100 के अंतिम संस्कार के लिए आम की लकड़ी उपलब्ध कराई जाती थी, मगर इस समय आम की लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध ना होने के कारण लिफ्ट्स की लकड़ी अंतिम संस्कार कराया जा रहा है। इस समय लकड़ी का भाव करीब 1000 रूपये कुंतल है किसी गरीब के सब आने पर वह अपना दक्षिणा और लकड़ी निशुल्क उपलब्ध कराते हैं।

साथ ही उनका यह भी कहना है कि प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान परचून दूध दवाई की दुकानें तो खुलवा दी हैं पर अंतिम संस्कार में प्रयोग होने वाले कफन समेत तमाम सामग्री के लिए कोई दुकान नहीं खुल रही है। लोग चोरी छुपे ऊंचे दामों पर सामान खरीद कर ला रहे हैं।



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Ashiki

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