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Coronavirus: गंगा में शव मिलने के बाद शुरू हुई जांच, पानी में भी मिला वायरस
कोरोनावायरस इंसान का कितना प्रभावित करेगा इस बारे में अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता जा रहा है।
लखनऊ। कोरोनावायरस (Coronavirus) इंसान का कितना प्रभावित करेगा इस बारे में अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता जा रहा है। क्योंकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अध्ययन में पानी में भी कोरोनावायरस (Coronavirus) पाए जाने की पुष्टि हुई है। जानकारी के मुताबिक राजधानी में तीन जगहों से जांच के लिए सैंपल लिए गए थे, जिसमें एक सैंपल पॉजिटिव पाया गया है। हालांकि यह वारस इंसान को कितना प्रभावित करेगा, इसका अध्ययन किया जा रहा है। एसजीपीजीआई का माइक्रोबायोलॉजी विभाग इसपर अध्ययन कर रहा है।
गौरतलब है कि विभिन्न नदियों में शव बहाए जाने की खबर के बाद आईसीएमआर और डब्ल्यूएचओ ने देशभर में पानी पर अध्ययन कराने की योजना बनाई। जांच के लिए देशभर में 8 सेंटर बनाए गए। उत्तर प्रदेश का सेंटर एसजीपीजीआई को बनाया गया। बता दें कि लखनऊ में सबसे ज्यादा कोरोनावायरस से संक्रमित लोग मिल रहे हैं। इसको देखते हुए यहां सीवेज सैंपल टेस्टिंग की योजना बनाई गई। इसी योजना के तहत तीन जगह से सीवरेज के सैंपल लिए गए।
एसजीपीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की तरफ से इसकी जांच की गई। इसमें एक सैंपल में कोरोनावायरस पाया गया है। ऐसे में अब यह जरूरी हो जाता है कि पानी से संक्रमण फैलने के मामले में नए सिरे से अध्ययन किया जाए। इस संदर्भ में एसजीपीजीआई की माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि भविष्य में पूरे प्रदेश के लिए प्रोजेक्ट तैयार करने पर विचार किया जा सकता है।।
रूकपुर खदरा के सैंपल में मिला कोरोना
प्रो. उज्ज्वला घोषाल के मुताबिक आईसीएमआर-डब्लूएचओ की तरफ से देश भर में सीवेज सैंपलिंग शुरू की गई है। इसी के तहत राजधानी लखनऊ में खदरा के रूकपुर, घंटाघर व मछली मोहाल के ड्रेनेज से सीवेज सैंपल लिए गए थे। यहां पूरे मोहल्ले का सीवेज एक स्थान पर गिरता है। उन्होंने बताया कि 19 मई को लिए गए सैंपलों की जांच की गई तो रूकपुर खदरा के सीवेज के सैंपल में कोरोनावायरस के होने की पुष्टि हुई। इस बारे में आईसीएमआर और डब्ल्यूएचओ को सूचित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुंबई के सीवेज के सैंपल में भी वायरस मिलने की सूचना मिली है।
मल से पहुंच सकता है वायरस
डॉ. उज्जवला घोषाल के मुताबिक कुछ समय पहले पानी में वायरस फैलने को लेकर पीजीआई के मरीजों में अध्ययन किया गया था। उस अध्ययन में संक्रमितों के मल से कोरोनावायरस पानी में पहुंच सकता है। ऐसे में यह संभव है कि कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों के स्टूल (मल) से सीवेज तक कोरोनावायरस सकता है।