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राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव ने की डोर-टू-डोर टीकाकरण कराने की मांग

आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने योगी सरकार से प्रदेश में व्यापक स्तर पर डोर-टू-डोर टीकाकरण कराने की मांग की है।

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Newstrack NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 23 May 2021 11:32 AM GMT
Anil Dubey
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राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने उत्तर प्रदेश सरकार से प्रदेश में व्यापक स्तर पर डोर-टू-डोर टीकाकरण कराने की मांग करते हुए कहा है कि ऐसा न होने से प्रदेश की 70 फ़ीसदी आबादी टीकाकरण से वंचित रह जाएगी। उन्होंने प्रदेश में टीकाकरण को सभी के लिए नि:शुल्क करने की मांग करते हुए कहा है कि यदि ऐसा न किया गया गया तो प्रदेश का ग्रामीण वर्ग, बुजुर्ग, दिव्यांग, वंचित व अशिक्षित तबका टीके से वंचित रह जाएगा।

रविवार को जारी बयान में उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार के पास 15 करोड़ से अधिक ग्रामीण व 6 करोड़ से अधिक अशिक्षित तबके के लिए न तो टीके हैं और न ही कोई ठोस नीति है और तो और ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण के लिए केंद्र भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की टीकाकरण नीति से शहरी शिक्षित वर्ग जो तकनीकी जानकार हैं, वे ही मोबाइल ऐप व इंटरनेट द्वारा वैक्सीन के लिए पंजीकरण करा पा रहे हैं, ग्रामीण आबादी नहीं करा पा रही।

उन्होंने कहा की टीकाकरण में शहरी क्षेत्रों में भी एक असमानता है, ड्राइवर, डिलीवरी मैन, सब्जी विक्रेता और फेरीवाले अधिक असुरक्षित हैं और ये जानकारी के अभाव में टीकाकरण नहीं करा पा रहे हैं, सिर्फ सक्षम लोगों को ही ऑनलाइन वैक्सीन स्लॉट का अपॉइंटमेंट मिल पा रहा है।

श्री दुबे ने टीकाकरण अभियान की शिथिलता पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि प्रदेश में अभी तक सिर्फ 30 से 40 लाख लोगों को ही वैक्सीन के दोनों डोज़ मिले हैं, क्या प्रदेश सरकार चाहती है कि प्रदेश की 25 करोड़ जनता अपने सभी काम-धंधे छोड़ कर अगले 2 वर्षों तक सिर्फ वैक्सीन के लिए पंजीकरण कराती रहे?

उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सक संघ ने भी बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा घर-घर टीकाकरण कराने के सुझाव का समर्थन किया है। उन्होंने प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मियों, स्थानीय निकाय, ग्राम निकाय/पंचायत कर्मियों व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से पंचायत स्तर पर डोर-टू-डोर नि:शुल्क टीकाकरण अभियान शुरू कराये जाने की मांग की है।

Raghvendra Prasad Mishra

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