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Coronavirus: गांवों में फैले संक्रमण की सीरो सर्वे में पुष्टि, गोरखपुर के 81 फीसदी बच्चों में मिली कोविड एंटीबॉडी
Coronavirus: गोरखपुर के ग्रामीण इलाकों में हुए सीरो सर्वे से साफ हुआ है कि मार्च और अप्रैल महीने में 81 फीसदी बच्चे संक्रमित हुए थे।
गोरखपुर: विश्व स्वास्थ्य संगठन और एम्स के चिकित्सकों के संयुक्त सर्वे के आकड़ों से राहत तो मिल रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में किस कदर संक्रमण फैला था इसकी भी पुष्टि होती दिख रही है। गोरखपुर के ग्रामीण इलाकों में हुए सीरो सर्वे से साफ हुआ है कि मार्च और अप्रैल महीने में 81 फीसदी बच्चे संक्रमित हुए थे। तीसरी लहर की संभावना के बीच इसे राहत माना जा रहा है।
एम्स और डब्लूएचओ द्वारा किया गया यह सर्वे अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव में प्रकाशित हुआ है। इस सर्वे में गोरखपुर के अलावा दिल्ली, भुवनेश्वर और अगरतला एम्स के साथ ही जिपमर के डॉक्टर भी शामिल हुए। एम्स की निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर, सोशल एंड प्रीवेंटिव मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. हरिशंकर जोशी, डॉ. प्रदीप खरया की अगुआई में विशेषज्ञों ने गोद लिए गांव डुमरी, शिवपुर समेत 25 गांवों से 108 बच्चों के खून के नमूने लिए। मार्च व अप्रैल में हुए सर्वे में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के खून का सैंपल लिया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उपलब्ध कराई गई रैपिड किट से जांच में खून में एंटीबॉडी मिली है।
एम्स की निदेशक बताती हैं कि जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 108 बच्चों के खून की जांच की गई। इनमें से 87 बच्चों में एंटीबॉडी मिली हैं। यह 80.6 फीसदी है। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में ज्यादा मिली। विशेषज्ञ तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण अधिक होने का दावा कर रहे हैं। गोरखपुर में आकड़े भी खतरे की ओर संकेत कर रहे हैं। जिले में पहली लहर में करीब 184 बच्चे कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थे। जिनमें केवल चार बच्चों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा था। इनमें एक मासूम की मौत हुई थी। जबकि दूसरी लहर में शून्य से 10 साल के 1526 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। इन संक्रमितों में पांच बच्चों की मौत हुई है। इनमें 22 बच्चों को ही अस्पताल में भर्ती कर इलाज की जरूरत पड़ी।
दो हजार बच्चों के बीच होगा सर्वे
चिकित्सकों का यह सर्वे अभी चल रहा है। गोरखपुर में करीब 2000 बच्चों के बीच इस सर्वे को किया जाना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गोरखपुर के 25 गांवों को चिन्हित किया है। प्रत्येक गांव से 40-40 बच्चों के खून का नमूना जांच के लिए लिया जाएगा। इसमें 50 फीसदी लड़कियां होंगी।