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Coronavirus Third Wave: 'अगर बच्चों को हुआ कोरोना, तो पेरेंट्स होंगे ज़िम्मेदार', 0-5 वर्ष के बच्चों के लिए अपनाएं ये डाइट!
Coronavirus Third Wave: प्रदेश में कोरोना वायरस की तीसरी लहर के मद्देनजर तैयारियां जोरों पर हैं। सीएम योगी से लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सजग है।
Coronavirus Third Wave: प्रदेश में कोरोना वायरस की तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave) के मद्देनजर तैयारियां जोरों पर हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सजग है। एक तरफ जहां प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ टीम-9 के साथ बैठकें कर तैयारियों पर ज़ोर दे रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर अस्पताल में डॉक्टर्स व नर्सों को ट्रेनिंग दी जा रही है। कुछ अस्पतालों में तो ट्रेनिंग पूरी भी हो चुकी है।
विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस की तीसरी लहर बच्चों पर ज़्यादा असरदार होगी। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है और उनका इम्यून सिस्टम कमजोर है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 'न्यूज़ट्रैक' (Newstrack) ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल (Civil Hospital) की डाइटीशियन डॉ. श्वेता राय (Dr. Shweta Rai) से बातचीत की, उन्होंने 0-5 वर्ष के बच्चों के लिए डाइट प्लान बताया। साथ ही बच्चों के पैरेंट्स के लिए भी कुछ आवश्यक बातें बताईं। जिसे अपनाकर बच्चों को कोरोना वायरस की तीसरी लहर से बचाया जा सकता है।
0-6 माह के बच्चों के लिए:-
डाइटीशियन डॉ. श्वेता राय ने 0-6 माह तक के बच्चों के लिए मां का दूध ही सही बताया है। उन्होंने कहा कि 'ऐसे समय में छः माह तक के बच्चों को घर से बाहर न ले जाएं। बच्चों के आस-पास कम से कम लोग रहें। बच्चों को हाथ साफ कर के ही छुएं। यदि पैरेंट्स या घर का कोई भी सदस्य बीमार हो, तो बच्चे के आस-पास न जाए।'
• ब्रेस्ट फीडिंग (मां का दूध)
• घर से न निकलें।
• आस-पास कम से कम लोग रहें।
• हाथ साफ कर ही इन्हें छुएं।
• किसी भी तरह से बीमार हों, तो इनके पास न जाएं।
6-12 माह के बच्चों हेतु:-
डॉ. श्वेता राय के मुताबिक, छः से 12 माह के बच्चों को पतला खाना देना शुरू कर देना चाहिए। साथ ही उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों को मौसमी फल व सब्ज़ियां मसलकर ज़रूर खिलाएं। इससे इनका इम्यून सिस्टम मजबूत होगा। उन्होंने बताया कि पेरेंट्स को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन ज़रूर करना चाहिए। ताकि, बच्चा भी उनकी आदतों को अपने अंदर उतारे।
• पतला खाना।
• मौसमी फल व सब्ज़ियां मसलकर दें।
• कोरोना प्रोटोकॉल का पालन ज़रूर करें।
2-5 वर्ष के बच्चों हेतु:-
राजधानी के पार्क रोड स्थित सिविल अस्पताल की डाइटीशियन डॉ. श्वेता राय के अनुसार, दो से पांच वर्ष के बच्चे किसी भी बात को जल्दी सीख लेते हैं। उन्हें इस उम्र में जिस माहौल में ढ़ाला जाएगा, वह उसमें ढ़लते चले जाएंगे। उन्होंने बताया कि 'ऐसे बच्चों को एक लीटर से ज्यादा दूध न दें। क्योंकि, पहली बात अगर वह दूध पी लेंगे तो खाना नहीं खाएंगे। दूसरा यह कि दूध में आयरन नहीं होता है। जो उनके शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है।'
डॉ. श्वेता राय ने कहा कि 'यदि बच्चों को कोरोना हुआ तो उसके ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ उनके पैरेंट्स होंगे। इसलिए, उन्हें अपने बच्चों का ख़ास ख़्याल रखना चाहिए।' उन्होंने बताया कि एक बच्चे के लिए उसके पैरेंट्स से अच्छा काउंसलर कोई और नहीं हो सकता है। इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चे के लिए सकारात्मक माहौल बनाना पड़ेगा। उनके अंदर डर नहीं पैदा होने देना है। साथ ही उन्हें घर का ही खाना खिलाएं।
• एक लीटर से ज़्यादा दूध न दें।
• घर का बना खाना खाएं।
• हाथ समय-समय पर धुलते रहें।
• हर तरह के फल व सब्जियों का सेवन करें।
• अग़र घर का खाना नहीं खाते, तो पीडियाट्रिशियन से सलाह लें।
• बाहर की चीजें न खाएं।
• पैकेट के अंदर वाली चीज़ों से परहेज़ करें। (चिप्स, कुरकुरे इत्यादि)
• पैरेंट्स अपने बच्चों की काउंसलिंग करें।
• घर के अंदर सकारात्मक माहौल बनाए रखें।
• बच्चों की क्रिएटिव एक्विटीज में सहयोग करें।
• बाहर न खेलने जाने दें। घर पर ही उन्हें सुविधाएं दें।
• बच्चों के अंदर डर न पैदा होने दें।