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कोरोना महामारी: केन्द्र का फार्मूला यूपी में भी लागू करने की तैयारी

कोरोना को देखते हुए केन्द्र सरकार की तर्ज पर यूपी में भी विधायकों के वेतन से एक साल तक 30 प्रतिशत कटौती कर उस राशि का उपयोग किसी विशेष निधि में किया जा सकता है।

Aditya Mishra
Published on: 7 April 2020 8:15 AM GMT
कोरोना महामारी: केन्द्र का फार्मूला यूपी में भी लागू करने की तैयारी
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: कोरोना को देखते हुए केन्द्र सरकार की तर्ज पर यूपी में भी विधायकों के वेतन से एक साल तक 30 प्रतिशत कटौती कर उस राशि का उपयोग किसी विशेष निधि में किया जा सकता है। इस पर राज्य सरकार विचार कर रही है और जल्द ही इस पर फैसला लिए जाने की पूरी संभावना है।

केन्द्र ने इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। यह अध्यादेश एक अप्रैल, 2020 से एक साल के लिए अमल में आ रहा है। इस फैसले के तत्काल बाद ही राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों ने भी स्वेच्छा से साल भर तक तीस फीसद कम वेतन लेने का एलान किया। उसी की तर्ज पर यूपी में भी इस आशय का फैसला लिया जा सकता है।

यहां यह बताना जरूरी है कि यूपी में कई विधायकों ने अपनी निधि से मुख्यमंत्री सहायता कोष में 5 लाख से लेकर 50 लाख तक की धनराशि दी है। पर प्रदेश के सभी विधायकों ने ऐसा नहीं किया है। इनमें विधानसभा के तो कई विधायक हैं पर विधानपरिषद में एक दो को छोड़कर कई विधायक ऐसे हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री सहायता कोष में सहयोग देने के लिए अपने हाथ आगे नहीं बढ़ाए है।

उधर राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को एक पत्र लिखकर एक साल अपने वेतन से 30 प्रतिशत कटौती करने के लिए एक पत्र भी लिखा है। यूपी में विधानसभा के 403 एवं विधानपरिषद के 10 सदस्यों को मिलाकर विधानमंडल के सदस्यों की कुल संख्या 503 हैं।

इसके पहले भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सहित उपमुख्यमंत्री और तमाम मंत्रियों ने भी कोरोना से निपटने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में धनराशि दी है। इसके साथ ही उन्होंने एक करोड़ की सहायता विधायक निधि के माध्यम से देने की घोषणा की है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भी मदद का किया एलान

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने एक अपना एक महीने का वेतन सीएम राहत कोष जबकि दूसरे माह का वेतन केन्द्रीय कोष में देने को कहा है।

ये भी बताना जरूरी है कि इसी वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश में विधायक निधि दो से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये सालाना करने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया, यह प्रस्ताव खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में पेश किया जा चुका हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायक निधि में वृद्धि का प्रस्ताव पेश किया है।

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के गठन के बाद यह दूसरा अवसर है, जब विधायक निधि बढ़ाई गई है। इससे पहले अभी पिछले साल 2019 में ही सरकार ने विधायक निधि को डेढ़ करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये सालाना किया था, अब इसे डेढ़ गुना बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया गया है।

विधायकों को वेतन और भत्ते देने के मामले में उत्तर प्रदेश अभी तेलंगाना और दिल्ली के बाद तीसरे नंबर पर है। दोनों राज्यों में विधायकों को वेतन भत्ते के तौर दो लाख रुपये से अधिक की राशि प्रत्येक माह मिलती है। वहीं, उत्तर प्रदेश में विधायकों को मिलने वाला वेतन भत्ता अभी 1.87 लाख रुपये प्रति महीने है।

सांसद निधि दो साल के लिए सस्पेंड

मोदी सरकार ने सांसद निधि के तहत मिलने वाले फंड को भी दो साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया है। सभी सांसदों के वेतन में सालभर के लिए 30 प्रतिशत की कटौती करने संबंधी अध्यादेश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

सांसदों को हर साल मिलने वाली निधि या एमपी लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड भी 2 साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। इस मद में सांसदों को जो हर साल दस दस करोड़ रुपए की राशि मिलती है, वह कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया में जमा होंगे, ताकि उससे कोरोनावायरस के दंश से लड़ा जा सके।

Aditya Mishra

Aditya Mishra

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