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Lucknow News : सरकारी अफसरों पर भरोसा नहीं
लखनऊ। देश में दीमक की तरह लगे भ्रष्टचार को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा तमाम जतन किए जा रहे हैं। देश के शीर्ष प्रशासनिक ढांचे में घुसे ब्यूरोक्रेटिक भ्रष्टचार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कई सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर किया गया है। और ये सिलसिला जारी भी है। ऐसी कार्रवाई से बड़े भ्रष्टचार को घटाने में मदद मिल सकती है और इसका प्रभाव निचले स्तर के कर्मचारियों तक आ सकता है लेकिन जरूरत है इससे आगे बढ़ कर लोकल अफसरशाही के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने की ताकि छोटे लेवल के भ्रष्टचार को खत्म किया जा सके जो कि जनता और सरकार की कड़ी में लगा हुआ असली दीमक है।
लोकनीति - सीएसडीएस (सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज) द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार अधिकांश लोगों ने यह बताया कि घूस या जान-पहचान के बगहर सरकारी दफ्तरों में काम करवा पाना मुश्किल है। ये सर्वे २०१७ व २०१८ में किया गया। सर्वे से ये भी निकल कर आया कि लोगों का सरकारी अधिकारियों पर भरोसा बहुत कम है और अपना काम करवाने के लिए लोग राजनीतिक प्रतिनिधियों के पास जाना ज्यादा पसंद करते हैं।
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सर्वे के नतीजों में बताया गया है कि सरकारी सेवाओं तथा कल्याणकारी कार्यक्रमों तक जनता की पहुंच आसान बनाने के लिए, ब्यूरोक्रेटिक रुकावटें हटाने और लोकल ब्यूरोक्रेसी में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार को राज्यों के साथ मिल कर काम करना होगा। सर्वे में लोगों से पूछा गया था कि क्या उन्हें सरकारी दफ्तरों में काम कराने के लिए जान पहचान या घूस की जरूरत होती है? २८ फीसदी लोगों ने बताया कि उनका मानना है कि बिना कनेक्शन या घूस के काम कराया जा सकता है। वहीं ४३ फीसदी लोगों का मानना था कि घूस बहुत जरूरी है। २४ फीसदी लोगों ने कहा कि काम कराने के लिए जान पहचान जरूरी है। इन सवालों पर शहरी व ग्रामीण इलाके के लोगों की राय में कोई फर्क नहीं पाया गया। दोनों ही परिवेश के लोगों ने कहा कि जान पहचान और घूस दोनों ही बहुत जरूरी हैं।
सामाजिक - आर्थिक दरार
सर्वे में ये भी पाया गया कि जनता और सरकार के संबंध सामाजिक-आर्थिक असमानता से भी तय होते हैं। ६० फीसदी लोगों का कहना था कि सरकारी अधिकारी अमीर लोगों के साथ बेहतर व्यवहार करते हैं। उच्च वर्ग के लोगों का भी मानना है कि ऐसा होता है। जातीय आधार के बारे में जनता की राय भिन्न भिन्न पाई गई। जहां ४० फीसदी लोगों ने कहा कि अधिकारी ऊंची जाति वालों का फेवर करते हैं वहीं ४१ फीसदी लोगों का कहना था कि दलितों के साथ फेवर किया जाता है।
अफसरों पर भरोसा नहीं
सर्वे में अधिकांश नागरिकों ने कहा कि अगर उन्हें अपने किसी जरूरी काम को करवाने में दिक्कत आते है तब भी वे सरकारी अधिकारियों के पास जाने की नहीं सोचते हैं। शहरी लोगों में सिर्फ १२ फीसदी और ग्रामीण में ८ फीसदी ने कहा कि वे सरकारी अधिकारियों के पास जाने की सोच सकते हैं। सर्वे में जिन लोगों से सवाल पूछे गए उनमें अधिकांश (३६ फीसदी) ने कहा कि वे अपने किसी काम के लिए लोकल पार्षद या सरपंच से संपर्क करेंगे। सिर्फ 9 फीसदी लोगों ने कहा कि वे सरकारी अधिकारियों से संपर्क करेंगे।