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Jhansi News: पहले कार्मिक निरीक्षक, अब बन गया डीआरएम कार्यालय का अफसर?
Jhansi News: झाँसी में कार्मिक निरीक्षक था और प्रोमोशन पर सही सहायक कार्मिक अधिकारी बना और अपनी दोबारा मंडल कार्मिक अधिकारी बना दिया गया।
Jhansi: झांसी रेल मंडल भ्रष्टाचार के लिये अपने आप में ही नामचीन हो गया है। इसकी सबको जानकारी होने के बाद भी यह पर कार्य करने वाले अधिकारी बैखौफ इसमें लिप्त रहते है, कारण क्या है कहना मुशकिल है । इसी का एक नया उदाहरण झाँसी मंडल के कार्मिक विभाग में पदस्थ एक अधिकारी के द्वारा दिया जा रहा है, जो बेरोकटोक अपने मंसूबो पूरे कर रहा है और पूरी कमाई कर रहा है । यह अधिकारी झाँसी में तब से कार्यरत है जब यह कार्मिक निरीक्षक था और प्रोमोशन पर सही सहायक कार्मिक अधिकारी बना और अपनी दोबारा मंडल कार्मिक अधिकारी बनने पर झाँसी आने के लिये अपनी पारिवारिक समस्या बताई, जबकि सच्चाई तो कुछ और ही थी ।
एलआई पैनल में अनियमितताओं को अनदेखा कर पैनल में निभाई अहम भूमिका?
झाँसी में वर्ष 2018 निकले एलआई पैनल में एक कर्मचारी की मध्यस्थता से इस अधिकारी के द्वारा सुविधा शुल्क लेकर पैनल में आने वाली अनियमितताओं को अनदेखा कर पैनल में अपनी भुमिका निभाई और सुविधा शुल्क लेकर अपने निवास में लगाया और उसी पैनल को दोबारा करने के लिये फिर से उसी व्यक्ति का सहारा लिया जाने का पूरा प्लान बनाया गया है, जिससे दोबारा पैनल आने पर उसको पूरा रूप दिया जा सके, इसलिये उस और ऐसे अनुभागों को अपने पास रखवाया गया है । यह व्यक्ति इतना दुस्साहसी हो गया है कि इसने लार्जेस स्कीम में एक कर्मचारी की लड़की की पोस्टिंग के दौरान मार्कशीट फर्जी होने की पूर्व जानकारी होने के बाद भी उससे सुविधा शुल्क लेकर बिना सत्यापन कराये नियुक्ति दे दी ओर बाद शिकायत होने उसकी मार्कशीट फर्जी पाई जिसको रेलवे से हटा दिया गया लेकिन इस अधिकारी के द्वारा भर्ती के दौरान इसको अनदेखा कर दिया गया था।
यह कैसा आदेश, पहले रिलीव नहीं, बाद में रिलीव, टीए का दिया लाभ?
इस अधिकारी के द्वारा इसी कार्यालय में कार्यरत एक लिपिक मनोहर (काल्पनिक नाम) को झाँसी से उरई ट्रांसफर कर दिया लेकिन रिलीव नही किया और आदेश निकलने के बाद उसी स्टेशन पर भेजकर उसको हर महीने टीए का लाभ दिलवाया, लेकिन जब इस टीए पर अकाउंट ने अपनी आपत्ति दिखाई तो मनोहर (काल्पनिक नाम) को रिलीव कर दिया गया अब सोचने वाली बात तो यह है कि अगर उरई पर मनोहर (काल्पनिक नाम) की जरूरत नही थी तो आदेश क्यों निकाला और आदेश निकाला तो आदेश निकालने के बाद उसी स्टेशन पर भेजकर टीए पास क्यों किया?। और अभी भी मनोहर (काल्पनिक नाम) को झाँसी बुलाया जाता है । इसी प्रकार मोहनलाल पचौरी (काल्पनिक नाम) जो आजकल ग्वालियर में है। इसी प्रकार से उसको भी टीए का फायदा दिलवाया जा रहा है ?। आखिर क्यों?
डीआरएम के कार्यालय में चल रहा छह सदस्यीय गुर्गों का गैंग?
इस अधिकारी के द्वारा अपने मनपंसद अनुभागों में अपने गुर्गो को रखा गया है जिससे वह अपने मुताबिक पैसे का लेनेदेन इनके द्वारा कर सके और उसमें सफल भी रहा, इसलिये विवेक (काल्पनिक नाम) और उसकी पत्नी विमला (काल्पनिक नाम) और कामता प्रसाद (काल्पनिक नाम), विनीता (काल्पनिक नाम) जैसे अपने गुर्गो को नही हटाकर दूसरे लोगों को हटाकर अपना वर्चस्व रखने की कोशिश कर रहा है । विवेक (काल्पनिक नाम) पिछले 12 साल से, विनीता 10 साल से विमला 05 साल से एक ही सीट पर कार्य कर रहे है, जबकि विजिलेंस के दिशा निर्देशो का खुला मजाक बनाया जा रहा है । अभी हाल ही में विवेक का ट्रांसफर किया गया लेकिन उसको भी एक ऐसों पद पर भेजा जो कि कार्मिक विभाग में है ही नही, सीओ.एस/सामान्य और इसके साथ वो सभी अनुभाग से सम्पर्क में भी पहेगा मतलब इसको दलाली की कमान फिर दे दी, परन्तु अन्य लोग अभी भी उसी सीट पर उसके दलाल बनकर कार्य कर रहे है ।
पहले अपात्र, फिर कैसे हो गई पात्र?
यह अधिकारी पेंशन दयाधार नियुक्ति व ट्रांसफर जैसे केस में अपने गुर्गो के माध्यम से जमकर पैसे लेता है । इसके पहले स्व. जी एस निरंजन की मृत्यु के बाद उनकी शादीशुदा बेटी प्रीति निरंजन को नौकरी के लिये पात्रता नही होने पर उसका प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया था परन्तु इस अधिकारी के द्वारा अपनी चालाकी और नियमों की जानकारी के कारण उस व्यक्ति से दोबारा केस खुलवाने को करने के लिये सुविधा शुल्क लिया गया, और उसी तरह से काम करवाया और दोबारा 21 नवंबर 2022 को प्रीति निरंजन को नौकरी के लिये पात्र घाषित करवा दिया ।
इन लोगों के साथ अनदेखी कैसे?
लेकिन विषम परिस्थिति यह रही किै उसी आदेश में अन्य लोग जैसे भारती कुशवाहा, कामिनी, अनीता कुशवाहा, यशी, प्रेमवती भी थे जिनको उसी कारण से अपात्र घोषित किया गया था लेकिन केवल इसी को दोबारा में पात्र दिखाया गया है जो भ्रष्टाचार को बखूबी दिखा रहा है ।
हमारे बाप का झाँसी मंडल क्या?
इस अधिकारी के पूर्व में जूनियर क्लर्क से सीनियर क्लर्क के पैनल में पेपर आउट करने की शिकायत प्रशासन को की गई थी लेकिन कुछ नही होने पर उसके द्वारा फिर से ओएस के पैनल और सीनियर क्लर्क के पैनल में खुलेआम लेन देन किया जा रहा है । ऐसा अधिकारी निरंतर यह कोशिश कर रहा है कि किसी भी तरह से इसी मंडल में बना रहे और निरंतर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता रहे । यह अधिकारी शायद इसलिये ऐसा कर पा रहा है कि यह कार्मिक निरीक्षक से सारे प्रमोशन यही लेता रहा है ।
प्रीति निरंजन का फाइल सीज
बीते रोज प्रयागराज से आई विजिलेंस टीम ने मंडल रेल प्रबंधक के कार्मिक विभाग में अचानक छापा मारा। छापे से वहां हड़कंप मच गया। टीम ने प्रीति निरंजन की फाइल को चेक किया। चेकिंग के दौरान तमाम कमियां पाई गई। पाया गया कि इसे पहले अपात्र घोषित किया गया। कुछ दिनों बाद उसे पात्र घोषित कर दिया गया। यह कैसा नियम है। इस फाइल को विजिलेंस टीम ने सीज कर दिया। इस कार्रवाई को लेकर मंडल रेल प्रबंधक में हड़कंप मचा हुआ है। इसके अलावा विजिलेंस टीम ने अन्य फाइलों की गोपनीय स्तर से जांच शुरु कर दी है। इसमें कार्मिक, वाणिज्य विभाग में पदस्थ लोगों के नाम प्रकाश में आए हैं। इनमें कई रेलवे अफसरों पर गाज गिरने की संभावना है।
विजिलेंस के बारे में नहीं है जानकारी
इस संबंध में पीआरओ मनोज कुमार सिंह से विजिलेंस के मामले में संपर्क किया तो उनका कहना है कि विजिलेंस के बारे में उऩ्हें जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि जब कोई विजिलेंस टीम आती तो वह गोपनीय रहता है। इसमें मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के स्टॉफ को कोई लेना देना नहीं होता है।