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भ्रष्टाचार पर कोर्ट- समाज में जड़ें बना ली हैं, गवर्नेंस के महत्वपूर्ण अंगों को खा रहा

Rishi
Published on: 27 Dec 2017 7:10 PM IST
भ्रष्टाचार पर कोर्ट- समाज में जड़ें बना ली हैं, गवर्नेंस के महत्वपूर्ण अंगों को खा रहा
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लखनऊ : खुद भ्रष्टाचार कर छोटे कर्मचारी को फंसाने वाले बिजली विभाग के सहायक अभियंता को राहत देने से हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इंकार कर दिया है। कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए, सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर भी तीखी टिप्पणी की।

यह आदेश जस्टिस अजय लाम्बा और जस्टिस डीके सिंह की बेंच ने आफताब अहमद की याचिका पर पारित किया। याची का कहना था कि वर्ष 2010 में वह कृष्णा नगर में सहायक अभियंता के पद पर तैनात था। उस समय कुछ ग्राहकों को फाएदा पहुंचाने के लिए बिजली के बिलों में हेरफेर की गई थी। जिसकी जांच के लिए एक विभागीय कमेटी भी बनाई गई।

इस बीच याची ने अधिशाषी अभियंता के निर्देश पर कार्यालय के पत्रवाहक ज्ञानेंद्र नाथ शुक्ला पर बिल जॉब समरी न देने का आरोप लगाते हुए, भ्रष्टाचार के धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करा दी।

याची का आरोप था कि जांच एजेंसी जांच में पक्षपात कर रही है। कोर्ट ने पाया कि उक्त मामले में हुई विभागीय जांच में याची को दोषी पाया गया। उधर याची द्वारा दर्ज एफआईआर की विवेचना ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर हो गई। मामले की सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू ने कोर्ट को बताया कि तत्कालीन अधिशाषी अभियंता राम प्रकाश केन, एकाउंटेंट कौशल किशोर सिंह और याची जो सहायक अभियंता के पद पर तैनात था, ने मिलकर अपराध किया और जांच को भटकाने के लिए, पत्रवाहक के खिलाफ एफआईआर लिखा दी।

कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए, टिप्पणी की कि याचिका में इस दावे का कोई आधार नहीं कि जांच अधिकारी ने पत्रवाहक के साथ साठगांठ की है। सहायक अभियंता, एकाउंटेंट और अधिशाषी अभियंता बिल बनाने के जिम्मेदार थे। एक पत्रवाहक की भूमिका बिल बनाने में नहीं होता। आरोपियों ने खुद को बचाने के लिए पत्र वाहक को बलि का बकरा बनाया।

हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उसकी ये टिप्पणियां पक्षकारों के बहसों के आधार पर हैं और इसे केस के बारे में निष्कर्ष न माना जाए। कोर्ट ने अपने निर्णय में सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी कार्यालयों में तैनात लोगों द्वारा किया गया भ्रष्टाचार संविधान के न्याय के विचार के खिलाफ काम करता है। भ्रष्टाचार ने समाज में जड़ें बना ली हैं और यह गवर्नेंस के महत्वपूर्ण अंगों को खा रहा है। भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत है।



Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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