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Sonbhadra: आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण के आरोपी को किया बरी, कोर्ट ने कहा- अनुमान और शंका के आधार पर नहीं किया जा सकता दोषसिद्ध
Sonbhadra News: पत्नी को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के मामले में अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधाीश (एफटीसी) आशुतोष कुमार सिंह की अदालत ने आरोपी को बरी किया।
Sonbhadra News: पत्नी का मानसिक उत्पीड़न करने और उसे आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के मामले में अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधाीश (एफटीसी) आशुतोष कुमार सिंह की अदालत से एक अहम फैसला सामने आया है। मामले की सुनवाई करते समय अदालत ने यह पाया कि अभियोजन यह सिद्ध करने में तो सफल रहा है कि मृतका की मृत्यु अप्राकृतिक कारणों से हुई थी लेकिन यह सिद्ध कर पाने में पूर्णतया असफल रहा है कि आरोपी ने उसे प्रताड़ित किया या आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित किया।
ये है मामला
घोरावल थाना क्षेत्र के कुसुम्हा गांव निवासी जितेंद्र कहार की पत्नी सरोज की जहरीले पदार्थ के सेवन के चलते गत 31 मार्च 17 को मौत हो गई थी। मृृतका के पिता ने घोरावल तहरीर में तहरीर देकर, दामाद का दूसरी महिला से अवैध संबंध होने, बेटी को लगातार प्रताड़ित करने, आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का आरोप लगाया। मामला दर्ज कर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 306 और 498 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर विवेचना की और पर्याप्त सबूत होने का दावा करते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी। वहां अपर जनपद एवं स़त्र न्यायाधीश (एफटीसी) मामले का विचारण किया गया। अभियोजन और बचाव दोनों पक्ष की तरफ से अपने-अपने गवाह परीक्षित कराए गए। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और मौके की स्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए दलीलें पेश की गई।
घटना से पहले नहीं दर्ज कराई गई थी कोई उत्पीड़न की शिकायत
बचाव पक्ष के अधिवक्ता अखिलेश कुमार मिश्रा ने बताया कि सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों और गवाहों के बयान के आधार पर अदालत ने पाया कि घटना से पूर्व कहीं भी किसी तरह के उत्पीड़न की शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, न ही अभियेाजन पक्ष ही यह साबित कर पाया है कि आरोपी ने किसी भी रूप में आत्महत्या के लिए प्रेरित किया।
इसको दृष्टिगत रखते हुए अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया है। कहा कि फैसला सुनाते समय कोर्ट ने यह माना है कि मामले को साबित करने का भार हमेशा अभियोजन पर रहता है। किसी भी व्यक्ति का अनुमान और शंका अथवा संदेह चाहे वह कितना भी गंभीर क्यों न हो, के आधार पर दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता।