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लापरवाही से मरीज की मौत पर कोर्ट ने SGPGI डॉक्टर के खिलाफ जांच के दिए आदेश

Gagan D Mishra
Published on: 10 Nov 2017 12:42 AM IST
लापरवाही से मरीज की मौत पर कोर्ट ने SGPGI डॉक्टर के खिलाफ जांच के दिए आदेश
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इलाज में लापरवाही से मौत पर डॉक्टरों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश

लखनऊ: एसीजेएम ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने उपचार में कथित लापरवाही के चलते मरीज की हुई मौत के मामले में फिलहाल जांच का आदेश दिया है। उन्होंने यह आदेश शशि प्रभा सिंह की अर्जी पर दिया है। इस अर्जी में एसजीपीजीआई के सीनियर रेजीडेंट डॉ प्रीत पाल सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है।

शशि प्रभा सिंह का आरोप है कि उनके पति फडीस सिंह के उपचार में डॉ प्रीत पाल सिंह ने अपने सीनियर डॉक्टर के निर्देशों की जानबूझकर अनदेखी की व लापरवाही बरती। जिससे 12 जून, 2014 को उनकी मौत हो गई। जबकि वह स्वस्थ हो गए थे।

अदालत ने प्रथम दृष्टया इस मामले में गंभीर प्रकृति की प्राणघातक अनियमितता पाई है। उन्होंने इस अर्जी पर कोई आदेश पारित करने से पहले मानवीय व चिकित्सा विशेषज्ञ के स्तर पर इस अनियमतिता की कुछ बिन्दूओं पर जांच कराना अपेक्षित माना है। लिहाजा क्षेत्राधिकारी, स्थानीय अन्वेषण इकाई व सीएमओ को आदेश दिया है कि वह निर्धारित बिन्दुओं पर जांच कर अपनी अलग अलग रिपोर्ट पे्रषित करें। मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।

अदालत ने इन बिन्दूओं पर दिया है जांच का आदेश

1- मृतक फडीस सिंह के उपचार संबधी अभिलेखों की जांच करे। यह पता लगांए कि क्या वह तीन जून, 2014 तक स्वस्थ हो गए थे। क्या उनकी सभी जांच सामान्य पाई गई थी।

2- क्या डायलासीन का इंजेक्शन अपेक्षित था। यदि हां, तो क्या अपेक्षित डोज से अधिक इंजेक्शन लगाए गए थे।

3- क्या मरीज मधुमेह से पीड़ित था। यदि हां, तो क्या उसे 12 रसगुल्ले खिलाए गए थे।

4- क्या मरीज को बेड संख्या-20 आवंटित की गई थी। यदि हां, तो उसे किन कारणों से बेड संख्या-12 पर शिफ्ट किया गया।

5- क्या उस वार्ड में एसी बंद था।

6- क्या उस दौरान एक ही चिलमची व एक ही पाॅट सभी मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

7- क्या डायलिसिस लाइन जांघ से डालने का निदेश दिया गया था। यदि हां, तो किन कारणों व किसके निर्देश पर डायलिसिस लाइन गले में डाली गई।

8- क्या किसी स्तर पर कोई लापरवाही की गई।

अदालत ने जांच अधिकारियों को यह भी आदेश दिया है कि वह इन बिन्दुओं के संदर्भ में सभी संबधित चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, वार्ड ब्वाय का भी बयान दर्ज करें। यदि संभव हो, तो उस दौरान मरीज के साथ उपचार प्राप्त कर रहे अन्य मरीजों व विशेषज्ञ चिकित्सकों का भी बयान लिया जाए।



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Gagan D Mishra

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