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बालिका खिलाड़ियों के साथ छेड़छाड़, पॉक्सो में सचिव को हुई सात साल की सजा
मामला लखनऊ के गोमती नगर के विपिन खंड स्थित बाबू बनारसी दास बैडमिंटन एकेडमी का है ।बाप बेटे बैडमिंटन संघ के सचिव और कार्यकारी सचिव के पद पर कार्यरत थे।
लखनऊ के विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विजेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने बालिका खिलाड़ियों से छेड़छाड़ और बलात्कार की कोशिश के मामले में बाप और बेटे को पॉक्सो एक्ट में सज़ा सुनाई है। ये बाप बेटे बैडमिंटन संघ के सचिव और कार्यकारी सचिव के पद पर कार्यरत थे।
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला लखनऊ के गोमती नगर के विपिन खंड स्थित बाबू बनारसी दास बैडमिंटन एकेडमी का है जहां कार्यरत बाप बेटे ने वहां की बालिका खिलाड़ियों की इज़्ज़त से खिलवाड़ किया। दरअसल बाबू बनारसी दास बैडमिंटन एकेडमी के पद पर कार्यरत मुख्य सुरक्षा अधिकारी जंग बहादुर सिंह द्वारा 21 फरवरी 2017 को लखनऊ के गोमती नगर थाने में शिकायत दर्ज कराया था। उन्हें 12 फरवरी 2017 को उत्तर प्रदेश बैडमिंटन एसोसिएशन की एक्सक्यूटिव कमेटी की बैठक में सर्वसम्मति से इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए अधिकृत किया गया था। शिकायत में बताया गया था कि रिवर बैंक कॉलोनी वजीरगंज लखनऊ के निवासी निशांत सिन्हा, बैडमिंटन संघ में कार्यकारी सचिव के पद पर अनाधिकृत रूप से काबिज थे और उनके पिता डॉ विजय सिन्हा सचिव पद पर आसीन थे। उस दौरान बालिका खिलाड़ियों द्वारा शिकायत प्राप्त हुई कि इन दोनों ने अपने पद का अनुचित फायदा उठाया। बालिका खिलाड़ियों के साथ अनुचित व्यवहार किया गया साथ ही उनके मारपीट, छेड़छाड़ और बलात्कार की कोशिश भी गई।
अब इस मामले में लखनऊ के विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विजेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने बालिका खिलाड़ियों से छेड़छाड़ और बलात्कार की कोशिश के मामले में बाप और बेटे को पॉक्सो एक्ट में सज़ा सुनाई है। इस मामले में निशांत सिन्हा को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 A तथा धारा 9 (ठ)/10 के अंतर्गत दोषसिद्ध किया जा चुका है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354-A में सात वर्ष के सश्रम कारावास और 50,000/- रुपये (पचास हजार रुपये मात्र) के अर्थदण्ड तथा अर्थदण्ड के संदाय में व्यत्तिकम करने की दशा में तीन माह के साधारण कारावास भोगे जाने के दण्ड से दण्डित किया गया है। वहीं डा० विजय सिन्हा को बालकों के संरक्षण अधिनियम की धारा 10, 16/17 सपठित भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354-A/109 में पाँच वर्ष के साधारण कारावास एवं 50,000/- रुपये (पचास हजार रुपये मात्र) के अर्थदण्ड तथा अर्थदण्ड के संदाय में व्यत्तिकम करने की दशा में तीन माह के साधारण कारावास भोगे जाने के दण्ड से दण्डित किया गया है।