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कोर्ट ने कहा- जवान लड़कियों को नारी निकेतनों में न रखा जाए, विवाहिता को रिहा करने का आदेश
जवान लड़कियों को नारी निकेतनेां में तब तक न रखा जाए जब तक उनके रहने का और कोई ठिकाना न हो। यह कहते हुए हाई कोर्ट ने अपनी मर्जी से शादी करने के कारण नारी निकेतन में रहने को बाध्य की गई एक विवाहिता को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।
लखनऊ: जवान लड़कियों को नारी निकेतनेां में तब तक न रखा जाए जब तक उनके रहने का और कोई ठिकाना न हो। यह कहते हुए हाई कोर्ट ने अपनी मर्जी से शादी करने के कारण नारी निकेतन में रहने को बाध्य की गई एक विवाहिता को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।
आदेश पारित करते हुए जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस विजय लक्ष्मी की बेंच ने कहा कि लड़की 19 साल की है और अपना भला बुरा समझने के योग्य है। निचली अदालत के 21 जून 2016 के आदेश केा खारिज करते हुए बेंच ने कहा कि लड़की अपनी मर्जी से रहने को आजाद है। लड़की ने अपने पति के जरिए नारी निकेतन में रखने के निचली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
क्या है मामला?
-मामला उन्नाव के अचलगंज थाने का है।
-लड़की के पिता ने याची के पति के खिलाफ उसे किडनैप करने की एफआईआर दर्ज कराई थी।
-बेंच ने आदेश पर याची का कलमबंद बयान दर्ज किया।
-जिसमें उसने कहा कि उसका किसी ने किडनैप नहीं किया।
-वह अपने पति को चार पांच महीने पहले से जानती थी।
-उसने अपने पिता से उससे शादी करने की बात कही।
-जिसका घरवालों ने विरोध किया।
-जिसके बाद वह घर उस लड़के के साथ चली गई और दोनों ने 18 जनवरी 2016 को शादी कर ली।
-जिसके बाद दोनों एक दूसरे के साथ रह रहे थे।
-लड़की के पिता ने लड़के के खिलाफ 28 मई 2016 को झूठी रिपोर्ट लिखा दी।
-विवेचना के दौरान निचली अदालत के आदेश पर लड़की को जून में नारी निकेतन भेज दिया गया ।
लड़की का क्या है कहना ?
-याचिका में लड़की का तर्क था कि वह बालिग है।
-अपनी मर्जी से पति के साथ रहना चाहती है।
-ऐसे में उसे नारी निकेतन से बाहर आने दिया जाए।