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राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाने पर कोर्ट ने याची को भेजा केंद्र सरकार के पास
सुनवायी के दौरान सामने आया कि पूर्व में भी ऐसी याचिका दाखिल हुई हुई थी जिस पर कोर्ट ने 1 दिसम्बर 2015 को याची को इस संबध में अपना प्रत्यावेदन केंद्र सरकार को देने निर्देश दिया था जिसे याची ने 12 दिसम्बर 2015 को ही दे दिया था किन्तु उस प्रत्यावेदन पर केंद्र सरकार ने आज तक निर्णय नहीं लिया।
लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भारतीयता को रद करने की वाली एक याचिका पर सुनवायी करते हुए याची को अपनी पीड़ा केंद्र सरकार के सक्षम प्राधिकारी के समक्ष उठाने की अनुमति देते हुए याचिका को निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि याची इस प्रकार का प्रत्यावेदन देता है तो सक्षम प्राधिकारी उस पर नियमानुसार विचार करके शीघ्रातिशीघ्र निर्णय लेगा।
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यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा व जस्टिस मनीष माथुर की बेचं ने रजनीश कुमार सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। कोर्ट ने यह आदेश पूर्व में 1 दिसम्बर 2015 केा इसी प्रकार की मांग वाली एक अन्य याचिका में पारित आदेश केा ध्यान में रखते हुए पारित किया।
दरअसल याची का आरेाप था कि राहुल गांधी ने एक मामले में ब्रिटेन में अपनी आयकर रिटर्न दाखिल किया जिसमें उन्हेांने अपने केा ब्रिटेन का नागरिक बताया है। याची का तर्क था कि ऐसे में जब राहुल गांधी ने ब्रिटिश नागरिकता ले ली है तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 एवं भारतीय नागरिकता अधिनियम की धारा 9 के तहत कार्यवाही करते हुए उनकी भारतीय नागरिकता को रद किया जाये तथा साथ ही साथ उनकी संसद सदस्यता को भी खारिज किया जाये।
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सुनवायी के दौरान सामने आया कि पूर्व में भी ऐसी याचिका दाखिल हुई हुई थी जिस पर कोर्ट ने 1 दिसम्बर 2015 को याची को इस संबध में अपना प्रत्यावेदन केंद्र सरकार को देने निर्देश दिया था जिसे याची ने 12 दिसम्बर 2015 को ही दे दिया था किन्तु उस प्रत्यावेदन पर केंद्र सरकार ने आज तक निर्णय नहीं लिया। 1 दिसम्बर 2015 को पारित आदेश के मद्देनजर कोर्ट ने शुक्रवार को भी वैसा ही आदेश पारित कर दिया।