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राजधानी से प्रवासी मजदूरों का पलायन, लाॅकडाउन की आहट से वापसी को मजबूर
इन दिनों चारबाग से लेकर केसरबाग और आलमबाग बस अड्डों में प्रवासी मजदूरों की भीड़ नजर आ रही है।
लखनऊ: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से उत्तर प्रदेश की स्थिति भी खराब होती जा रही है। जहां पहले महाराष्ट्र के कई जिले सबसे ज्यादा संक्रमित थे, वहीं अब यूपी की राजधानी लखनऊ के हालात चीन के वुहान जैसे होने लगे हैं। आलम ये है कि राजधानी से भी प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरु हो गया है। लखनऊ से बड़ी संख्या में मजदूर वापस अपने घर जा रहे हैं।
दरअसल, इन दिनों चारबाग से लेकर केसरबाग और आलमबाग बस अड्डों में प्रवासी मजदूरों की भीड़ नजर आ रही है। पूर्वांचल की बसें खचाखच भरी नजर आ जाती हैं, जो लोगों को वापस उनके गाँव लेकर लौट रही हैं। पॉलिटेक्निक चौराहे पर भी मजदूरों -कामगारों की भीड़ लगी हुई है। बोरिया बिस्तर बाँध सभी लखनऊ से पलायन करने लगे हैं। ऐसे में बस के इंतज़ार में बस अड्डों पर अपने परिवार के साथ मजदूर घंटों इंतज़ार में खड़े नजर आ जाएंगे।
मजदूरों के पलायन की वजह
हालंकि लखनऊ से मजदूरों के पलायन की एक वजह कोरोना और बंदी है। नाइट कर्फ्यू तो पहले से लागू है, वहीं जिस तरह से संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उससे कामगारों को डर है कि कहीं लॉकडाउन न लागू हो जाए। इसके अलावा दूसरी वजह यूपी में चल रहे पंचायत चुनाव भी माने जा रहे हैं, जिसे लेकर लोग अपने अपने गाँव रवानगी कर रहे हैं।
पलायन करने वालों के लिए गाइडलाइन
प्रवासियों के पलायन को लेकर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने नई क्वारंटीन गाइडलाइन भी जारी की है। गाइडलाइन के मुताबिक, कोरोना के लक्षण वाले जो व्यक्ति संक्रमित नहीं पाए जाते है, उन्हें 14 दिन और बिना लक्षण वाले लोगों को 7 दिन के लिए होम क्वारेंटाइन में भेजा जाएगा।
ऐसे में मजदूरों के पलायन को लेकर जारी इस गाइडलाइन में स्पष्ट हो गया है कि प्रवासी मजदूर के अपने जिले में पहुंचने पर जिला प्रशासन को उसकी स्क्रीनिंग करनी होगी, साथ ही उनका नाम, पता और मोबाइल नंबर समेत अन्य अहम जानकारियों की लिस्ट तैयारी करनी होगी। ताकि संक्रमण फैलने की स्थिति को रोका जा सके।