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गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए: त्रिवेंद्र सिंह रावत
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गाय को राष्ट्रीयपशु घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि गाय में सभी गुण विद्यमान है। इस बाबत उनकी ओर से केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा जाएगा।
सहारनपुर: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गाय को राष्ट्रीयपशु घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि गाय में सभी गुण विद्यमान है। इस बाबत उनकी ओर से केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा जाएगा।
मंगलवार को सहारनपुर के बेहट रोड स्थित श्री बालाजी धाम के दसवें वार्षिकोत्सव के अंतिम दिन आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पत्रकारों से संक्षिप्त वार्ता के दौरान कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने के लेकर देश में मांग उठ रही है, वह भी चाहते हैं कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए।
इसके लिए वह केंद्र सरकार को पत्र लिख कर अपनी राय से भी अवगत कराएंगे।
सहारनपुर को उत्तराखंड में शामिल किए जाने संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आज भले ही उत्तर प्रदेश से अलग हो गया हो, लेकिन उत्तराखंड के आज भी यूपी से तमाम तरह के रिश्ते हैं। उत्तराखंड और यूपी में व्यापारिक रिश्ता भी है। उन्होंने सहारनपुर और उत्तराखंड में आत्मीय रिश्ता बताते हुए कहा कि उत्तराखंड के गठन के समय भी वह सहारनपुर को उत्तराखंड में मिलाने के पक्षधर थे और आज भी हैं। इस बारे में चैंबर ऑफ़ कामर्स का का जो भी निर्णय होगा, वह मान्य होगा।
इससे पूर्व कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आज नशा समाज के हर घर में प्रवेश कर रहा है, यह बेहद ही चिंता का विषय है। युवा पीढ़ी इसकी सबसे ज्यादा शिकार हो रही है। नशे को हर घर में पहुंचाने के लिए जहां व्यवसाय है तो एक साजिश भी है। साजिश के तहत नशे को हर घर में पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि किसी देश की व्यवस्था को खराब करना हो तो उस देश के युवा पीढ़ी को नशे का आदी बना दिया जाए, इसी साजिश के तहत आज भारत में नशे को हर घर में पहुंचाया जा रहा है। युवा पीढ़ी को नशे की गर्त में जाने से रोकने के लिए माताएं और बहनें अहम रोल अदा कर सकती हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भगवान श्री राम और भगवान श्री बालाजी महाराज का स्मरण करते हुए कहा कि भगवान श्री हनुमान जी महाराज में बल, बुद्धि और विद्या तीनों का समन्वय था। वह न तो अपने लक्ष्य से भटके और न ही कभी किसी के द्वारा छले गए। उन्होंने कहा कि जब भी किसी बडे़ कार्य को किया जाता है तो उस कार्य की सफलता में रूकावटें आने के पीछे सबसे बड़ा कारण लोगों का निजी स्वार्थ होता है। दिक्कतें वहीं आती है, जहां पर अहम आ जाता है। उन्होंने कहा कि पारिवारिक, सामाजिक, देश और धर्म में निजी स्वार्थ को दूर कर दिया जाए तो सभी बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाएंगी।
विदेशों में भारतीय नस्ल के गौवंश की मांग बढ़ी: ज्ञानानंद जी महाराज
महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारतीय नस्ल के गौवंश की विदेशों में मांग बढ़ी है। क्योंकि भारतीय गौवंश में सभी गुण विद्यमान हैं। भगवत गीता का विदेश के उदार चिंतक भी चिंतन कर रहे हैं और गीता के संदेशों को स्वीकार कर रहे है। उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने भारत के कुंभ को स्वीकार किया है।