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वित्तमंत्री के दावे झूठे! भाकपा ने लगाया आरोप, पद से हटाने की उठाई मांग

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री देश की अर्थव्यवस्था के बारे में लगातार झूठे दावे कर रही है और झूठ पर झूठ बोल रही है।

Newstrack
Published on: 14 Sept 2020 8:51 PM IST
वित्तमंत्री के दावे झूठे! भाकपा ने लगाया आरोप, पद से हटाने की उठाई मांग
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रोजगार व अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर भाकपा ने किया प्रदर्शन

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री देश की अर्थव्यवस्था के बारे में लगातार झूठे दावे कर रही है और झूठ पर झूठ बोल रही है। ऐसी वित्त मंत्री को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, उन्हें तत्काल पद से हटाया जाना चाहिये। पार्टी का कहना है कि हिन्दुत्व के नाम पर कुछ भी चलेगा, इसे देश अब बर्दाश्त करने वाला नहीं है।

धरना-प्रदर्शन कर राष्ट्रपति व राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा

भाकपा के राज्य सचिव डॉ गिरीश ने बताया कि अर्थव्यवस्था की तबाही और लोकतन्त्र को खतरे में डालने की सरकारों की कारगुजारियों के खिलाफ तथा कोरोना काल में रोजगार, भोजन, चिकित्सा, शिक्षा व जीवन की सुरक्षा की गारंटी की मांग को लेकर पार्टी ने सोमवार को पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन कर राष्ट्रपति व राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि आज से ही संसद का सत्र शुरू हुआ है और देशव्यापी धरना-प्रदर्शन करने के पीछे पार्टी की मंशा देश की जनता पर थोपे गई मुसीबतों की ओर संसद और सरकार का ध्यान आकर्षित करना थी। साथ ही यूपी सरकार और वहां की राज्यपाल को भी संबोधित करना चाहते हैं।

अर्थव्यवस्था का पतन नोटबंदी से शुरू हो गया था...

उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का पतन नोटबंदी से शुरू हो गया था और जीएसटी के लगाने से पतन को और भी गति मिली। रही सही कमी मूर्खतापूर्ण तरीके से किये गये लाकडाउन ने पूरी कर दी। परिणामस्वरूप अच्छी-भली संभावनाओं वाली जीडीपी दर 23.9 प्रतिशत तक गिर गयी। भाकपा नेता ने कहा कि सरकार की यही रीति- नीति जारी रही तो अभी इसमें और गिरावट आ सकती है और आर्थिक संकट और भी गहराने की तमाम संभावनायें मौजूद हैं।

संकट ने बड़े पैमाने पर बेरोजगारी भी पैदा कर दी है

डॉ गिरीश ने कहा कि अर्थव्यवस्था के इस पैदा किये हुये संकट ने बड़े पैमाने पर बेरोजगारी भी पैदा कर दी है। छंटनी, उद्योग बन्दी, निष्कासन, जबरिया रिटायरमेंट आदि के जरिये इसे और बढ़ाया जा रहा है। बेरोजगारी और गरीबी के अवसाद से पीडित तमाम लोग आत्महत्यायें कर रहे हैं। जनता की आर्थिक मजबूती से ही देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, पर सारे आंकड़े बताते हैं कि सरकार जनता को आर्थिक रूप से कमजोर कर पूंजीपतियों और कार्पोरेट्स को मालामाल कर रही है, इसीलिए हमारी अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है।

तमाम लोग बन रहे निजी अस्पतालों की लूट के शिकार

भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार कोरोना से लोगों को बचाने और इलाज तीमारदारी और दवा उपलब्ध कराने में असमर्थ रही हैं। गरीब लोग बीमारियों से बेमौत मर रहे हैं। तमाम लोग निजी अस्पतालों की लूट के शिकार बन रहे हैं। बेरोजगारी और महंगाई ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। आर्थिक मोर्चे, सीमाओं की रक्षा और सुशासन देने में पूरी तरह विफल सरकार अब आक्रोशित लोगों के लोकतान्त्रिक अधिकारों को कुचल रही है। वह संविधान की हत्या से बाज नहीं आ रही। कार्पोरेट्स नियंत्रित टीवी चैनल्स के जरिये क्रत्रिम मुद्दे उछाल कर जनता को गुमराह करने में लगी है।

असफल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

डा. गिरीश ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को असफल करार देते हुए कहा कि वह सत्ता में बने रहने का नैतिक आधार खो चुके है। उन्होंने कहा कि यूपी में अपराधों की भरमार है, सरकार लाचार है, ऊपर से नीचे तक फैला भ्रष्टाचार बेकाबू हो रहा है और शासकीय गुंडागर्दी चरम पर है। सरकार लोकतन्त्र की हत्या कर रही है।

भाकपा ने अपने ज्ञापन में की है ये मांगे

1- जर्जर अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये हर संभव कदम उठाये जायें। बड़े पैमाने पर रोजगार दिये जायें, रोजगार छीनना बन्द किया जाये। रोजगार देने में सक्षम सार्वजनिक क्षेत्र को बेचना तत्काल बन्द किया जाये। मध्यम, लघु और कुटीर उद्योगों को डूबने से बचाने को हर संभव सहायता दी जाये।

2- लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने से ही उत्पादन का चक्र बढ़ता है। अतएव सबके खाते में छह माह तक 10 हजार रुपये प्रति माह डाले जायें। मनरेगा का दायरा बढ़ाया जाये और शहरी मनरेगा भी शुरू की जाये।

किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब

3- कोरोना काल में कृषि ने अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा दिया है मगर किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। उसे सुधारने के हर संभव प्रयास किये जायें। किसान विरोधी 03 अध्यादेशों को वापस लिया जाये।

4- लाक डाउन में श्रमिकों के पलायन से अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट गयी और श्रम तथा श्रमिकों की अपरिहार्यता सिध्द हो गयी। श्रमिक विरोधी कानून और कदम वापस लिये जायें।

5- केन्द्र सरकार निरंतर लोकतन्त्र और संविधान विरोधी कार्यों में लिप्त है, उन पर लगाम लगाई जाये।

6- उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बेहद खराब है। सरकार पुलिस- प्रशासन को अपने राजनैतिक औजार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। जनता की लोकतान्त्रिक और राजनीतिक गतिविधियों को बाधित किया जा रहा है। अघोषित तानाशाही दमन का पर्याय बनी हुयी है। इस सब पर रोक लगा कर लोकतांत्रिक बदलाव लाया जायें।

7- कोरोना से निपटने में केन्द्र और राज्य सरकारें आवश्यक भूमिका निभाने में फेल रही हैं। लोगों का जीवन और स्वास्थ्य नष्ट हो रहा है। अन्य बीमारियों ने भी पैर पसारना शुरू कर दिया है। बाढ़ ने भी तबाही मचा रखी है। लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को बचाने को गंभीर और ठोस प्रयास किये जायें।

8- समय की मांग है कि सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किया जाये।

9- कोरोना काल की फीस माफ की जाये। गरीब बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम किया जाये।

10- पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में पर्याप्त कमी की जाये। महंगाई को भी नीचे लाया जाये।



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