TRENDING TAGS :
सीपीआर प्रशिक्षित व्यक्ति बचा सकता है हृदयाघात से पीड़ित व्यक्ति का जीवन: डॉ. मुकुल
दिव्य कुम्भ भव्य कुम्भ में एक विशाल नेत्र कुम्भ का संचालन किया जा रहा है। जहां अब तक लाखों लोग लाभान्वित हो चुके हैं। हृदयाघात एक विश्वव्यापी समस्या है। हृदयाघात की विषम परिस्थितियों में थोड़ी सी सजगता और सामान्य उपायों का प्रयोग कर एक सामान्य व्यक्ति भी किसी हृदयाघात से पीड़ित व्यक्ति के लिए जीवनदाता साबित हो सकता है।
कुम्भ नगर: दिव्य कुम्भ भव्य कुम्भ में एक विशाल नेत्र कुम्भ का संचालन किया जा रहा है। जहां अब तक लाखों लोग लाभान्वित हो चुके हैं। हृदयाघात एक विश्वव्यापी समस्या है। हृदयाघात की विषम परिस्थितियों में थोड़ी सी सजगता और सामान्य उपायों का प्रयोग कर एक सामान्य व्यक्ति भी किसी हृदयाघात से पीड़ित व्यक्ति के लिए जीवनदाता साबित हो सकता है। इसके लिए सेक्टर 6 स्थित नेत्र कुम्भ परिसर में मेडट्रॉनिक संस्था की ओर से एक विशेष प्रशिक्षण शिविर चलाया जा रहा है। यह शिविर 4 मार्च तक अनवरत चलेगा।
ये भी देखें :हरदोई : एसटीएफ ने पकड़ी हरियाणा, अरुणाचल से तस्करी कर लाई शराब
यह जानकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया लखनऊ के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकल मिश्रा ने चिरंजीव हृदयः सीपीआर सीखो, दिल धड़कने दो अभियान की शुरूआत के अवसर पर नेत्र कुंभ शिविर के आडिटोरियम में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान दी। डॉ. मिश्रा ने कहा कि अभियान का उद्देश्य अचानक हृदय की गति बंद होने यानी अचानक कार्डियैक एरेस्ट के बारे में जागरूकता बढ़ाना औ लोगों को केवल हाथों से सीपीआर में प्रशिक्षित करना है। सीपीआर जैसे जीवन रक्षक कौशल के साथ नागरिकों को सशक्त बनाकर, हम एक स्वस्थ्य, जागरूक और संवेदनशील समाज बनने के करीब आते हैं। सीपीआर जैसा कौशल सिर्फ डॉक्टरों और पैंरामेडिक्स तक सीमित नहीं होना चाहिए अपितु आम जनता को प्रशिक्षित करने से लाखों लोगों की जान बच सकती है।
ये भी देखें :RBI का अलर्ट, खतरे में हजारों करोड़, एनी डेस्क ऐप को डाउनलोड न करें
डा. मिश्रा ने बताया कि अचानक कार्डियक अरेस्ट (एससीए) में खतरनाक रूप से तेज हृदय गति या अनियमित लय हो जाती हैं, जिसका तुरन्त इलाज न होना घातक हो सकता है। एससीए के संकेतों में बेहोशी ओर अनियमित सांस लेना या सांस नहीं लेना शामिल है। सीपीआर, या कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन, एक मरीज की धड़कन को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए एक तकनीक हैं। हाथों से सीपीआर को तुरंत शुरू किया जा सकता है। प्रदाता को केवल मरीज की छाती के केंद्र में लगभग 2-2.4 इंच की गहराई में तेज धक्का देने की आवश्यकता होती है। ये क्रियाएं जीवित रहने की श्रृंखला में महत्वपूर्ण हैं और जितनी जल्दी हो सके लागू करने की आवश्यकता होती हैं अन्यथा पीड़ित की मौत मिनटों में हो सकती हैं। प्रेसवार्ता के दौरान प्रशिक्षको ने सीपीआर प्रक्रिया के सभी चरणो का प्रदर्शन भी किया। प्रेसवार्ता को गंगाराम हास्पिटल दिल्ली से आयी डॉ. रश्मि अवस्थी और मेडट्रानिक संस्था के प्रतिनिधि अमित सिंह ने भी संबोधित किया।