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पीड़ितों को नहीं मिल रहा न्याय , पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान
कपिल देव मौर्य
जौनपुर: प्रदेश की योगी सरकार अपराध नियंत्रण एवं कानून का राज स्थापित करने का चाहे जो भी दावा करे, लेकिन सच्चाई यह है कि राज्य की पुलिस के काम करने का ढंग नहीं बदला है। थानों में तैनात पुलिसकर्मी आज भी गंभीर मामलों के मुकदमों को नहीं दर्ज कर रहे। कई मामलों में न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। पीडि़त लोग न्यायपालिका के जरिये न्याय पाने की तलाश में भटक रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पुलिस के लचर रवैये से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।
हर दिन दाखिल हो रहे पांच वाद
यदि जिले के आंकड़े पर नजर डालें तो पुलिस के कारनामों की पोल खुल जाती है। सरकार के दावे पूरी तरह झूठे नजर आते हैं। कानून के मुताबिक जिले के सभी 27 थाने दीवानी न्यायालय के मजिस्ट्रेटों के अधीन किए गए हैं। दीवानी न्यायालय में प्रतिदिन प्रत्येक कोर्ट में 5 से 7 वाद धारा 156 (3) के तहत दाखिल हो रहे हैं। न्यायाधीश गण अन्य वादों के बजाय इस तरह के वादों को निस्तारित करने में समय देने को मजबूर हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस समय दीवानी न्यायालय में धारा 156 (3) के लगभग 15 सौ वाद लंबित हैं।
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सभी में कमोबेश एक ही आरोप है कि थाने की पुलिस को तहरीर देने पर भी मुकदमा नहीं दर्ज किया गया। न्यायालय अपनी प्रक्रिया के तहत थाने से रिपोर्ट लेता है। इसके बाद मजिस्ट्रेट द्वारा मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना करने का आदेश दिया जाता है। इस आदेश के बाद भी हालत यह है कि काफी दौड़धूप के बाद ही मुकदमा दर्ज किया जाता है। इतनी प्रक्रिया पूर्ण करने में पीडि़त को कम से कम दो से तीन माह का समय लग जाता है। इसका फायदा अपराध करने वाले को मिलने की सम्भावना प्रबल हो जाती है और उसके हौसले बुलन्द हो जाते है।
रेप पीडि़ता का भी नहीं लिखा मुकदमा
ऐसा नहीं कि सामान्य घटनाओं में ही मुकदमा दर्ज करने से परहेज किया जाता हो बल्कि गम्भीर घटनाओं के मुकदमे भी नहीं लिखे जा रहे हैं। इसके कई उदाहरण हैं। थाना बख्शा क्षेत्र में दलित महिला के साथ गैंगरेप की घटना की रिपोर्ट तहरीर देने पर भी नहीं लिखी गयी। इस पर पीडि़ता ने न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाया। मजिस्ट्रेट ने 9 जून,17 को आदेश दिया कि 24 घंटे में मुकदमा दर्ज कर विवेचना करें। इस आदेश को चार माह से ज्यादा का समय बीत गया मगर अभी तक मुकदमा नहीं दर्ज किया गया।
जिले के चन्दवक थाना क्षेत्र के ग्राम परसौड़ी निवासी सोनू यादव ने थाने पर तहरीर दी कि अज्ञात बदमाश ने उसे मोबाइल पर धमकी दी है कि पांच लाख रुपये गुंडा टैक्स न देने पर गोली मार दी जाएगी। जिस नम्बर से कॉल आई थी उसका भी जिक्र तहरीर में था मगर थाने पर मुकदमा नहीं लिखा गया। इसके बाद पीडि़त 156(3) के तहत वाद दाखिल करने को मजबूर हो गया है। इसी तरह थाना बरसठी क्षेत्र की प्रमिला देवी ने कोर्ट का सहारा लिया कि उसकी पूरी जमीन उसे मृतक दिखाकर भूमाफियाओं ने हड़प ली है।
इस तरह मामले जिले के लगभग सभी थानों से जुुड़े हुए हैं जिसमें लोग न्यायालय की शरण लेने को मजबूर हैं। इस बाबत पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारी का कहना है कि पीडि़त का एफआईआर दर्ज करने का शासन का आदेश है। किसी थाने का मामला सामने आता है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। दीवानी न्यायालय मे बढ़ रहे 156(3) के वादों पर किये गये सवाल पर अफसर चुप्पी साध गए।