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निधि का पैसा वापस लेने वाले जनप्रतिनिधियों की हो रही आलोचना

जब धनराशि रिलीज करने की बारी आयी तो जनपद के पांच जनप्रतिनिधियों (जिसमें चार भाजपा एवं एक बसपा के हैं) ने जिले के मुख्य विकास अधिकारी को पत्र भेज कर अपनी-अपनी निधि की धनराशि रिलीज करने से रोक दिया।

राम केवी
Published on: 25 April 2020 6:12 PM IST
निधि का पैसा वापस लेने वाले जनप्रतिनिधियों की हो रही आलोचना
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जौनपुर। देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व कोविड-19 वैश्विक महामारी से जूझ रहा है इसके चलते समूचा भारत लॉकडाउन में है। हर स्तर पर कोरोना से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं।

इसी क्रम में जनपद जौनपुर के सांसद एवं विधायक गणों ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को कोरोना से लड़ने योग्य बनाने के लिए जिले के विकास हेतु मिली सरकारी धनराशि सांसद एवं विधायक निधि से अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग को देने की घोषणा कर खूब वाहवाही लूटी।

जब धनराशि रिलीज करने की बारी आयी तो जनपद के पांच जनप्रतिनिधियों (जिसमें चार भाजपा एवं एक बसपा के हैं) ने जिले के मुख्य विकास अधिकारी को पत्र भेज कर अपनी-अपनी निधि की धनराशि रिलीज करने से रोक दिया।

ये हैं निधि का पैसा वापस लेने वाले जनप्रतिनिधि

इन जनप्रतिनिधियों में भाजपा के मछली शहर सांसद वीपी सरोज, केराकत विधायक दिनेश चौधरी, जफराबाद विधायक हरेन्द्र प्रताप सिंह, बदलापुर विधायक रमेश मिश्रा, तथा मुगराबादशापुर से बसपा विधायक सुषमा पटेल का नाम शामिल है।

अब हर स्तर पर माननीय जनप्रतिनिधियों की आलोचना की जा रही है। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष इन्द्रभुवन सिंह का कहना है कि जनप्रतिनिधियों ने सस्ती लोकप्रियता के लिए ही धन देने की बात की थी। वह आम जनता के प्रति जरा भी संवेदनशील नहीं है।

जनहित डिग्री कालेज के प्राचार्य डा. यूपी सिंह कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों ने जनता का ही पैसा उनके स्वास्थ्य में न खर्च करते हुए जनता के साथ धोखा किया है। निधियों पर जनता का ही अधिकार होता है। आज सबसे बड़ी जरूरत है कि निधि का उपयोग कोरोना से लड़ने के लिए किया जाए।

पूर्व सभासद सुनील यादव कहते हैं कि जिन जनप्रतिनिधियों ने निधि का पैसा वापस लिया है उनके द्वारा सीधे जनता के साथ धोखा किया गया है। आज संकट की घड़ी में जनता की धनराशि उसके स्वास्थ्य हित के लिए खर्च करनी चाहिए।

सपा के युवा नेता मुकेश यादव का कहना है कि यह निधि वर्ष 2019-20 की थी इसे हर हाल में वित्तीय वर्ष की अन्तिम तिथि 31 मार्च 2020 तक खर्च कर लिया जाना चाहिए। जनप्रतिनिधियों ने पैसा वापस लेकर जहां जनता के साथ छल किया है वहीं पर सरकारी गाइड लाइन का उल्लंघन किया है।

जौनपुर से कपिलदेव मौर्य की रिपोर्ट



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राम केवी

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