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कौशाम्बी बस डिपोः आनन फानन में घर भाग रहे, कोरोना से है ये भीड़
आनंद विहार से सटे कौशांबी बस डिपो का नजारा आज दिनभर भयावह रहा। यात्रियों की दिनभर यहां भीड़ लगी रही।
गाजियाबादः आनंद विहार से सटे कौशांबी बस डिपो का नजारा आज दिनभर भयावह रहा। यात्रियों की दिनभर यहां भीड़ लगी रही,तो रात के समय भी प्रवासी मजदूरों की संख्या में कमी होने की बजाए संख्या बढ़ गई। सुबह गाजियाबाद के बाजारों में भी काफी ज्यादा संख्या में लोग देखे गए। जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग नहीं थी।
बता दें कि कौशांबी बस डिपो से अपने घरों पर जाने के लिए प्रवासी मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रवासी मजदूरों को संपूर्ण लॉक डाउन का डर सता रहा है। कई प्रवासी मजदूर ऐसे मिले जो दूसरे बस अड्डे से होकर यहां पर पहुंचे। क्योंकि उन्हें अपने होम टाउन जाने के लिए बस नहीं मिल पा रही थी। उन प्रवासी मजदूरों ने बताया कि 24 घंटे से ज्यादा हो गए जब अपने कमरे से निकल चुके थे। लेकिन रात बस अड्डे पर ही बिताई,और फिर कौशांबी बस अड्डे पहुंचे।
गौरतलब है कि यहां पर भी लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। और बस मिलने में आसानी नहीं हो रही है। बसों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए क्षमता से अधिक यात्री नहीं बैठाया जा रहे हैं। इसलिए मजदूरों को लंबा इंतजार बस के लिए करना पड़ रहा है। जब उन्हें बस में जगह नहीं मिलती,तो वे मौका पाकर बस की छत पर चढ़ जा रहे हैं। और फिर छत पर लेट कर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
आनंद विहार फुटओवर ब्रिज से कौशांबी तक हजारों की संख्या में लोग
आपको बताते चले कि आनंद विहार रेलवे स्टेशन से जो फुटओवर ब्रिज बस डिपो तक जाता है। वह पूरी तरह से भरा हुआ है। उस पर लोग भारी संख्या में भीड़ में नजर आ रहे हैं। इससे खतरा भी पैदा होता है। अगर इनमें कोई व्यक्ति को रोना संक्रमित हुआ,तो वह कोरोना विस्फोटक साबित हो सकता है। साथ ही जिन गांव या क्षेत्रों में यह लोग जा रहे हैं, वहां पर भी इनका टेस्ट होना जरूरी होगा।
2020 की तस्वीर दोबारा
इन्हें यह डर सता रहा है कि कहीं संपूर्ण लॉकडाउन न लग जाए।हालांकि सरकार ने साफ किया है कि अभी की संपूर्ण लॉकडाउन लगाने की कोई योजना नहीं है। मगर ज्यादातर प्रवासी मजदूर कह रहे हैं कि उनके पास दिल्ली में ठहरने की व्यवस्था नहीं है। क्योंकि रोजगार के बिना वे यहां कमरे का किराया या खाने-पीने की व्यवस्था कैसे करेंगे।इस पर स्थिति असमंजस की बनी हुई है। जिसके चलते 2020 जैसी पलायन की तस्वीरें फिर से नजर आने लगी हैं। बसों की छत पर भी लोग लद कर जा रहे हैं।