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आगरा: डेढ़ दर्जन से ज्यादा विभागों पर दक्षिणांचल विद्युत निगम का बकाया

विद्युत निगम डेढ़ दर्जन से ज्यादा सरकारी विभागों से अपनी करोड़ों रुपये की वसूली नहीं कर पा रहा है। ऐसा नहीं ...

Shweta
Published on: 11 April 2021 5:14 PM GMT (Updated on: 11 April 2021 5:21 PM GMT)
आगरा: डेढ़ दर्जन से ज्यादा विभागों पर दक्षिणांचल विद्युत निगम का बकाया
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विद्युत निगम (photo- newstrack.com)

आगराः विद्युत निगम डेढ़ दर्जन से ज्यादा सरकारी विभागों से अपनी करोड़ों रुपये की वसूली नहीं कर पा रहा है। ऐसा नहीं है कि इन लोगों ने बकाया मांगने का प्रयास नहीं किए है। लेकिन बकाएदार विभागों ने इसे हवा में उड़ा दिया।

बता दें कि बकाए की वसूली के लिए दक्षिणांचल ने अब जिलाधिकारी की मदद मांगी है। इसी के तहत जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने सभी विभागों को १५ दिन की मोहलत देते हुए वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले दक्षिणांचल का भुगतान करने को कहा है।

नाकाम रहा दक्षिणांचलः

कैसी विडंबना है कि किसानों और आम कामकाजी लोगों पर दक्षिणांचल का थोड़ा से भी बकाया हो जाता है तो विभाग तत्काल कार्रवाई के मोड़ पर आकर उसका विद्युत कनैक्शन काट दिया जाता है। दोबारा विद्युत संयोजन के लिए लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दक्षिणांचल के अलग-अलग अधिकारियों के दफ्तरों की छाननी होती है। वहीं २० सरकारी विभागों पर करोड़ों रुपये का बकाया होने के बाद भी दक्षिणांचल उनके खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रहा है।

शासन ने दिया था सख्त निर्देशः

गौरलतब है कि बकाए को लेकर किसी भी विभाग ने इसे चुकाने की जरूरत नहीं समझी है। हालांकि इस मामले में दक्षिणांचल के अधिकारियों ने पिछले दिनों शासन से वीडियो कांफ्रेंस कर अपना दुखड़ा सुनाया था। इसके बाद शासन ने बकाएदार सभी विभागों को सख्त निर्देश देकर दक्षिणांचल का बकाया चुकाने को कहा था। बड़े बकाएदार सरकारी विभागों की सूची में पहले स्थान पर है। जबकी जलसंस्थान पर ११७३८.३१ लाख रुपये बकाया चल रहा है। इसके अलावा बेसिक शिक्षा विभागा पर ३५८४.८२ लाख और नगर पंचायत पर २६७३.६८ लाख बकाया है। इसके अलावा अन्य छोटे बकाएदारों में लोकनिर्माण विभाग, जिला विकास अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, पशु चिकित्सालय, सहकारिता विभाग, जिला प्रशासन, वन विभाग, मंडी समिति, न्याय विभाग, समाज कल्याण विभाग, सिंचाई विभाग, उद्यान विभाग, जल संस्थान, आंगनबाड़ी केंद्र, फायर विभाग, नगरायुक्त, पशुधन विभाग आदि हैं।

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