तीन तलाक पर सरकार का कदम शरीयत में दखलअंदाजी: दारुल उलूम

तीन तलाक के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा तैयार किये गए बिल को लोकसभा में पेश करने पर दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि यह सरकार

Anoop Ojha
Published on: 28 Dec 2017 1:56 PM GMT
तीन तलाक पर सरकार का कदम शरीयत में दखलअंदाजी: दारुल उलूम
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तीन तलाक पर सरकार का कदम शरीयत में दखलअंदाजी: दारुल उलूम

सहारनपुर:तीन तलाक के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा तैयार किये गए बिल को लोकसभा में पेश करने पर दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि यह सरकार की सीधे तौर पर शरीयत में दखलअंदाजी है। उन्होने कहा कि दारुल उलूम अपने निर्णय पर कायम है और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ खड़ा है।

गुरुवार को केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद द्वारा तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए बिल को लोकसभा में पेश करने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि शरीयत में ऐसे प्रावधान मौजूद है, जिनकी रोशनी में इस मसले का हल है। उन्होंने कहा कि सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ जो मसौदा बनाया है, उसे अभी उन्होंने देखा नहीं है। कहा कि तीन तलाक खालिस मजहबी मामला है, जिसको कुरान और शरीयत की रोशनी में हल किया जा सकता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बाकायदा पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी मंशा जता चुका है। और दारुल उलूम मुस्लिम प्रर्सनल लॉ बोर्ड के निर्णय के साथ है।

जमीयत उलेमा ए हिंद (महमूद गुट) के राष्ट्रिय अध्यक्ष कारी उस्मान मंसूरपुरी ने सरकार द्वारा तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए मसौदे को लोकसभा में पेश कर दिये जाने पर कहा कि सरकार ने उलेमा को पूरी तरह नजरअंदाज करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो बिल तैयार किया है यदि वह पारित हो जाता है तो मुस्लिम महिलाओं के सामने और अधिक दिक्कत आने लगेंगी। उन्होंने कहा कि तीन तलाक खालिस धार्मिक मामला है। सरकार ने जमीयत सहित देश की अन्य मुस्लिम तंजीमों की मांग ठुकराते हुए बिल को लोकसभा में पेश कर उलेमाओं को पूरी तरह नजरअंदाज करने का काम किया है।

क्या है तलाक, और तलाक देने का तरीका

मियां बीवी में गुजर न होने पर इस्लाम ने दोनों को अलाहिदा होने के लिए अलग अलग अधिकार दिये हैं। इस्लाम ने मर्द को तलाक देने का अधिकार दिया है औरत को खुला कर लेने का भी अधिकार है। अल्लाह व उसके रसूल मोहम्मद साहब ने तलाक देने का तरीका भी बताया है और एक साथ तीन तलाक देने को नापसंदीदा अमल करार दिया है। लेकिन यदि इसके बावजूद भी कोई मर्द अपनी बीवी को एक साथ तीन बार तलाक दे दे तो तलाक हो जायेगा। एक साथ तीन तलाक (तलाक बीदत या मुगल्लजा) इसी को लेकर इन दिनों बवाल मचा हुआ है।

इस्लाम ने तलाक देने का जो सबसे अच्छा तरीका बताया है वह है तलाक-ए-हसना

पत्नी के मासिक धर्म से निबटने अर्थात पाकीजगी की हालात में ही तलाक बोला जाता है। इसके बाद अगले मासिक धर्म के बाद दूसरी बार तलाक बोला जाता है और फिर तीसरे महीने के मासिक धर्म के बाद तलाक बोला जाता है। इस तरह तीन महीने तक लगातार तलाक बोलने के बाद तलाक हो जा जाता है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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