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फतवा: शब-ए-बारात पर मजलिसों में ना जाएं, अल्‍लाह की इबादत करें

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Published on: 19 May 2016 10:26 AM GMT
फतवा: शब-ए-बारात पर मजलिसों में ना जाएं, अल्‍लाह की इबादत करें
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सहारनपुर: विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद ने शब-ए-बारात की रात सड़कों पर हुड़दंग मचाने और मजलिसों में जाने को गलत करार दिया है। साथ ही आतिशबाजी भी नहीं करने को कहा है।

दारुल उलूम ने फतवा जारी कर कहा है कि ये रात सिर्फ अल्लाह की इबादत के लिए होती है। जबकि शोर और हुड़दंग के बीच कोई अल्लाह की इबादत नहीं कर सकता।

मस्जिदों के इमामों के संगठन ने मांगा था फतवा

जाफराबाद, नई दिल्ली की मस्जिदों के इमामों के संगठन तंजीम अइम्मा व उलेमा ने दारुल उलूम देवबंद से फतवा मांगा था। जिसमें कहा गया था कि शब-ए-बारात की रात कब्रिस्तान में जाना, बेवजह घूमना-फिरना, मोटरसाइकिलों पर सवार होकर हुड़दंग मचाना, आतिशबाजी करना, मस्जिदों में जलसे आदि करना कैसा है?

फतवे में ये कहा

सवाल के जवाब में दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर कहा था कि शब-ए-बारात की फजीलत कुरान और हदीस से साबित है। लोगों को चाहिए कि अपने घरों में बैठकर अल्लाह की इबादत करें। मेलों की तरह कब्रिस्तान में जाने को रस्म की तरह निभाने को भी गलत बताया। फतवा में मोटर साइकिल पर हुड़दंग मचाने और रात में घूमने को भी सही नहीं करार दिया गया। इस दिन कसरत करें ना कि हुड़दंग मचाएं।

दारुल उलूम देवबंद ने जोर देकर कहा कि मां-बाप और बड़े बुजुर्गों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को इस तरह के कामों से रोकें और इस रात में अल्लाह की इबादत करने की सीख दें।

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