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UP News: यूपी की सबसे बड़ी खबर, दारुल उलूम ने छात्रों के इंग्लिश सीखने पर लगाया बैन, आदेश ना मानने पर मिलेगा दंड

Darul Uloom: इस्लामी तालीम के लिए पूरी दुनिया में विख्यात प्रमुख केंद्र दारुल उलूम में छात्रों के शिक्षा ग्रहण करने के दौरान अंग्रेजी या किसी दूसरी भाषा का ज्ञान अर्जित करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।

Anshuman Tiwari
Published on: 15 Jun 2023 8:49 AM IST (Updated on: 15 Jun 2023 9:58 AM IST)
UP News: यूपी की सबसे बड़ी खबर, दारुल उलूम ने छात्रों के इंग्लिश सीखने पर लगाया बैन, आदेश ना मानने पर मिलेगा दंड
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Darul Uloom (सोशल मीडिया)

Darul Uloom: इस्लामी तालीम के लिए पूरी दुनिया में विख्यात प्रमुख केंद्र दारुल उलूम में छात्रों के शिक्षा ग्रहण करने के दौरान अंग्रेजी या किसी दूसरी भाषा का ज्ञान अर्जित करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। दारुल उलूम के शिक्षा विभाग के प्रभारी की ओर से जारी फरमान में कहा गया है कि यहां अध्ययन के दौरान छात्र अंग्रेजी या किसी दूसरी भाषा का ज्ञान नहीं अर्जित कर सकेंगे। इस आदेश को न मानने वाले छात्रों को संस्थान से निष्कासित कर दिया जाएगा।

दारुल उलूम के सदर मुदर्रिस व जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी इस बाबत छात्रों को ताकीद किया है। मौलाना मदनी ने बुधवार को कहा कि मदरसा हमारा दीन है मगर हमारी दुनिया नहीं। इसलिए छात्रों को पहले अच्छे आलिम-ए-दीन बनना चाहिए। उसके बाद ही उन्हें डॉक्टर,इंजीनियर या वकील बनने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए इस संबंध में ध्यान देना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि दो कश्तियों पर सवार होने वाला कभी मंजिल नहीं हासिल कर सकता।

शिक्षा विभाग के प्रभारी ने जारी किया फरमान

दारुल उलूम के शिक्षा विभाग के प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी की ओर से जारी फरमान में साफ तौर पर कहा गया है कि दारुल उलूम में तालीम हासिल करने के दौरान छात्रों को अंग्रेजी या किसी दूसरी अन्य भाषा का ज्ञान हासिल करने की इजाजत नहीं होगी। फरमान में यह भी कहा गया है कि यदि कोई छात्र अंग्रेजी भाषा का अध्ययन करते पाया गया या फिर गुप्त तरीके किसी छात्र की संलिप्तता सामने आई तो उसे संस्थान से निष्कासित कर दिया जाएगा।

अंग्रेजी की पढ़ाई करने वाले छात्रों के सामने मुश्किलें

मौलाना हरिद्वारी की ओर से जारी फरमान के बाद दारुल उलूम के छात्रों में हड़कंप मचा हुआ है। दारुल उलूम में दीनी तालीम हासिल करने के साथ ही काफी संख्या में छात्र इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स या आधुनिक शिक्षा से संबंधित अन्य विषयों की पढ़ाई करते हैं।
ऐसे छात्रों के लिए अब आगे अंग्रेजी के पढ़ाई जारी रखना नामुमकिन हो गया है। दारुल उलूम का छात्र बने रहने के लिए उन्हें अंग्रेजी की पढ़ाई छोड़नी होगी नहीं तो ऐसे छात्रों पर निष्कासन की तलवार लटक जाएगी। संस्थान की ओर से सिर्फ अटेंडेंस दर्ज कराने के लिए कक्षा में आने वाले छात्रों को भी सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

मौलाना मदनी ने भी दी छात्रों को नसीहत

इस बीच दारुल उलूम के सदर मुदर्रिस और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी छात्रों को पहले अच्छे आलिम-ए-दीन बनने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि इसके बाद ही छात्रों को डॉक्टर, इंजीनियर या वकील बनने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को संस्थान में दी जा रही तालीम पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दो कश्तियों पर सवार होकर कभी अपनी मंजिल को हासिल करने में कामयाबी नहीं हासिल की जा सकती।
उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद की ओर से अंग्रेजी, कंप्यूटर या आधुनिक शिक्षा का विरोध नहीं किया जाता। सच्चाई तो यह है कि संस्थान में इसके विभाग भी है। वैसे हमारा मानना है कि संस्थान में दाखिला लेने वाले छात्रों को पहले उसी तालीम पर फोकस करना चाहिए जिसके लिए उन्होंने संस्थान में दाखिला लिया है। इसी कारण संस्थान की ओर से यह बड़ा फैसला किया गया है।

दारुल उलूम का क्या है इतिहास

दारुल उलूम को इस्लामी तालीम का प्रमुख केंद्र माना जाता रहा है और इसका इतिहास करीब 156 साल पुराना है। इसकी स्थापना 30 सितंबर 1866 को की गई थी। कई बड़े इस्लामिक विद्वानों ने यहां अध्ययन किया है। मौजूदा समय में अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े काफी संख्या में छात्र यहां तालीम हासिल करने के लिए पहुंचते हैं। यहां तालीम हासिल करके निकलने वाले मौलवी और मुफ्ती दुनिया भर की मस्जिदों और मदरसों में दीनी तालीम देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वैसे अब यहां अंग्रेजी शिक्षा पर प्रतिबंध लगाए जाने से तमाम छात्रों के सामने मुश्किलें पैदा हो गई हैं।

मौजूदा समय में छात्रों को दीनी तालीम देने के लिए संस्थान में करीब 200 उस्ताद काम कर रहे हैं। दारुल उलूम की ओर से समय-समय पर फतवे भी जारी किए जाते रहे हैं। 2005 में यहां फतवा जारी करने के लिए ऑनलाइन विभाग की स्थापना भी की गई थी। जानकारों के मुताबिक पिछले 17 वर्षों के दौरान ऑनलाइन करीब एक लाख से अधिक फतवे जारी किए गए हैं।

Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

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