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बेटियों ने पिता को दिया कंधा-मुखाग्नि, कहा- सबको मिले बराबरी का दर्जा

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Published on: 11 May 2016 5:53 PM GMT
बेटियों ने पिता को दिया कंधा-मुखाग्नि, कहा- सबको मिले बराबरी का दर्जा
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कानपुर: दो बेटियों ने नम आंखों से अपने पिता को मुखाग्नि देकर समाज से सोच बदलने की अपील की है। बुधवार को जब दोनों बेटियां अपने पिता के पार्थिव शरीर को कंधा देकर निकली तो देखने वालो की भीड़ लग गई। सभी यह नजारा देख अपनी आंखों के आंसू रोक नही सके। बेटियों ने हिंदू रीति रिवाज से पिता को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया।

कौन कौन है परिवार में

-जूही क्षेत्र में रहने वाले महेश प्रताप बाजपेई (80) रिटायर्ड जेलर थे।

-महेश प्रताप की पत्नी रामप्यारी की 15 साल पहले ही मौत हो चुकी है।

-महेश प्रताप की दो बेटियां अल्का मिश्रा और पूनम त्रिपाठी हैं।

-अल्का जूही क्षेत्र में ही पति सुरेश मिश्रा और बेटी गरिमा के साथ रहती हैं।

-जबकि उनकी दूसरी बेटी पूनम दिल्ली में अपने पति अमर त्रिपाठी और दो बेटियों पूर्वा और अपूर्वा के साथ रहती हैं।

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दोनों बेटियों को बताया शेर

-रिटायर्ड जेलर की बेटी पूनम का कहना है कि अपने पिता को मुखाग्नि देकर मैं सुकून महसूस कर रही हूं।

-उन्होंने बताया कि जब मेरे पिता अपनी जॉब में थे तब हमें उनके साथ रहने का बहुत मौका मिलता था।

-लेकिन वह रिश्तेदारों से कहते थे यह मेरी बेटियां नही बल्कि मेरे दो शेर है और मुझे इन पर नाज है।

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-पूनम ने कहा कि पिता जी ने जॉब के समय कई कैदियों को सुधारा था।

-कैदियों की मदद कर एक अच्छा इंसान बनने में उनकी मदद की थी।

-जब पिता जी रिटायर्ड हुए तो जेल से छूटने वाले कई कैदी उनका शुक्रिया अदा करने आते थे।

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बेटी ने कहा मेरी बेटी भी मुझे मुखाग्नि दे यही है मेरी अंतिम इच्छा

-रिटायर्ड जेलर की दूसरी बेटी अल्का के मुताबिक महिलाओ को भी सामान अधिकार मिलना चाहिए।

-जब महिलाएं युद्ध भूमि से लेकर शिक्षा के क्षेत्र तक पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं तो अपने पिता को मुखाग्नि क्यों नही दे सकती हैं।

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-अब समाज तेजी से बदल रहा है और बदलते समाज के साथ लोगो को अपनी सोच बदलने की भी जरुरत है।

-उन्होंने कहा कि मेरी एक बेटी है मेरे मरने के बाद मेरी बेटी ही मुझे मुखाग्नि दे यही मेरी अंतिम इच्छा है।

बेटियों को मिले समाज में बराबर का दर्जा

अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश कुमार मिश्रा के मुताबिक बेटियों को समाज में बराबर का दर्जा मिला है तो उनको मुखाग्नि देने का भी दर्जा दिलाना एक सार्थक कदम होगा। उन्होंने कहा कि दोनों बेटियों ने भैरव घाट में अपने पिता को मुखाग्नि देकर समाज को बहुत अच्छा उदाहरण दिया है।

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