TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

आज इन तीन स्वतंत्रता सेनानियों को दी गई थी फांसी, जानिए इनके बारे में

'काकोरी कांड' के लिए अशफाक उल्ला खान को आज के दिन फैजाबाद जेल में 19 दिसंबर 1927 में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। अशफाक उल्ला के साथ इस कांड में राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को फांसी की सजा हो गई थी।

Newstrack
Published on: 19 Dec 2020 10:10 AM IST
आज इन तीन स्वतंत्रता सेनानियों को दी गई थी फांसी, जानिए इनके बारे में
X
आज इन तीन स्वतंत्रता सेनानियों को दी गई थी फांसी, जानिए इनके बारे में

अयोध्या: 'काकोरी कांड' के लिए अशफाक उल्ला खान को आज के दिन फैजाबाद जेल में 19 दिसंबर 1927 में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। अशफाक उल्ला के साथ इस कांड में राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को फांसी की सजा हो गई और सचिंद्र सान्याल और सचिंद्र बख्शी को कालापानी की सजा दी गई थी। बाकी क्रांतिकारियों को 4 साल से 14 साल तक की सजा सुनाई गई थी।

शहीद कच्छ का स्वरूप ले चुका है जिला जेल

वर्तमान में फैजाबाद जिला अयोध्या के नाम से जाना जाने लगा है। जिला जेल में जहां पर अशफाक को फांसी पर लटकाया गया था आज वह शहीद कच्छ का स्वरूप ले चुका है। यहां पर अशफाक उल्ला खां की मूर्ति लगाई गई है। विभिन्न राजनीतिक सामाजिक संगठनों द्वारा माला फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं।

ये भी पढ़ें: 451 साल की गुलामी के बाद आज आजाद हुआ था गोवा, जानिए राज्य का इतिहास

कहा जाता है अंग्रेजों ने अशफाक उल्ला खां को हिंदू मुसलमान की बात कर उन्हें आजादी के आंदोलन से हटाने का प्रयास किया था, लेकिन अशफाक के ऊपर इसका कोई असर नहीं पड़ा जाने अनजाने तमाम हिंदू मुसलमान क्रांतिकारी लोगों ने देश को आजाद कराने में अपनी अहम भूमिका निभाई, लेकिन आज वोट की राजनीति के लिए हिंदू मुस्लिम पाकिस्तान हिंदुस्तान मंदिर मस्जिद जैसे तमाम मुद्दों को लेकर के सांप्रदायिक तनाव भी फैला जाता है शायद यह तनाव समाप्त किया जाए तो वास्तव में बलिदानी अशफाक उल्ला खां को सच्ची श्रद्धांजलि साबित होगी।

file photo

कविता भी लिखते थे अशफाक उल्ला खां

अशफाक उल्ला खां का जन्म 22 अक्टूबर 1900 में उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर जिले के 'शहीदगढ़' में हुआ था। पिता एक पठान परिवार से ताल्लुक रखते थे। परिवार के सभी लोग सरकारी नौकरी में थे, लेकिन अशफाक बचपन से ही देश के लिए कुछ करना चाहते थे। बंगाल के क्रांतिकारियों का उनके जीवन पर बहुत प्रभाव था। स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ कविता भी लिखते थे।

बताया जाता है कि बचपन से ही अशफाक उल्ला खां का मन पढ़ने- लिखने में नहीं करता था। उन्हें तैराकी करना, बंदूक लेकर शिकार पर जाने में ज्यादा मजा आता था। ये सच था कि वह पढ़ने-लिखने में अपनी रुचि नहीं दिखाते थे, लेकिन देश की भलाई के लिए किए जाने वाले आन्दोलनों की कथाओं/कहानियों में वह बड़ी रुचि से पढ़ते थे।

उन्होंने काफी अच्छी कविताएं लिखीं। जिसमें वह कविता में अपना उपनाम हसरत लिखा करते थे। वह अपने लिए कविता लिखते थे। उनके मन में अपनी कविताओं क प्रकाशित करवाने का कोई चेष्टा नहीं थी। उनकी लिखी हुई कविताएं अदालत आते-जाते समय अक्सर 'काकोरी कांड' के क्रांतिकारी गाया करते थे।

गांधीजी की इस बात से दुखी हुए थे अशफाक उल्ला खां

महात्मा गांधी का प्रभाव अशफाक उल्ला खां के जीवन पर शुरू से ही था, गांधीजी ने 'असहयोग आंदोलन' वापस ले लिया तो उनके मन को अत्यंत पीड़ा पहुंची। जिसके बाद रामप्रसाद बिस्मिल और चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्व में 8 अगस्त, 1925 को क्रांतिकारियों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें 9 अगस्त, 1925 को सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन काकोरी स्टेशन पर आने वाली ट्रेन को लूटने की योजना बनाई गई जिसमें सरकारी खजाना था।

अंग्रेजों की नाक के नीचे से लूटा था खजाना

क्रांतिकारी जिस धन को लूटना चाहते थे, दरअसल वह धन अंग्रेजों ने भारतीयों से ही हड़पा था। 9 अगस्त, 1925 को अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आज़ाद, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह, सचिन्द्र बख्शी, केशव चक्रवर्ती, बनवारी लाल, मुकुन्द लाल और मन्मथ लाल गुप्त ने अपनी योजना को अंजाम देते हुए लखनऊ के नजदीक 'काकोरी' में ट्रेन से ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया। जिसके बाद इस घटना को काकोरी कांड से जाना जाता है।

file photo

इस घटना के दौरान सभी क्रांतिकारियों ने अपना नाम बदल दिया था। अशफाक उल्ला खां ने अपना नाम 'कुमारजी' रखा था. जैसे ही ब्रिटिश सरका को इस घटना के बारे में मालूम चला वह पागल हो गई थी. जिसके बाद कई निर्दोषों को पकड़कर जेलों में ठूंस दिया था। 26 सितंबर 1925 के दिन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ राजद्रोह करने, सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने और मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया गया।

ये भी पढ़ें: UP पुलिस की परीक्षा से पहले STF ने किया सॉल्वर गैंग का भंडाफोड़, 8 गिरफ्तार

बाद में राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। जबकि 16 अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम चार साल की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी यानी कि आजीवन कारावास की सजा दी गई, अन्य क्रांतिकारियों को एक दिन पहले ही ब्रिटिश सरकार ने डर के मारे फांसी पर लटका दिया था।

हसते हसते फांसी पर झूल गए थे अशफाक उल्ला

अशफाक उल्ला खां का नाम भारत के उन क्रांतिकारियों में गिना जाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते प्राण न्योछावर कर दिए। बता दें, 25 साल की उम्र में अशफाक ने अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार की नाक के नीचे से सरकारी खजाना लूट लिया था। जिसके बाद पूरी ब्रिटिश सरकार को मुंह की खानी पड़ी। इस घटना को 'काकोरी कांड' से जाना जाता है।

नाथ बख्श सिंह



\
Newstrack

Newstrack

Next Story