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फिर जोर पकड़ रही है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय पीठ की मांग
सुशील कुमार
मेरठ। चुनावी मौसम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की पीठ की मांग फिर जोर पकड़ रही है। हाईकोर्ट बेंच की स्थापना का मुद्दा राज्यसभा में भी उठ चुका है। पश्चिमी यूपी में बेंच की मांग पिछले करीब 50 सालों से चलती आ रही है। २२ जिलों में कई बार धरना प्रदर्शन और आंदोलन हो चुके हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट से सहारनपुर जिले की दूरी 752 किमी, शामली 720, मुजफ्फरनगर 693, बिजनौर 692, बागपत 670 किलोमीटर और मेरठ से करीब 620 किमी है। हाईकोर्ट की सिर्फ लखनऊ में खंडपीठ है। प्रदेश में तीसरी खंडपीठ नहीं है। केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन राजेंद्र सिंह जानी कहते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट खंडपीठ की मांग दशकों पुरानी है। प्रदेश की 22 करोड़ की जनसंख्या में से आठ करोड़ लोग वेस्ट यूपी के 22 जिलों में रहते हैं। सत्ता और विपक्ष उनकी मांग को न्यायोचित मानता है। दो-दो बार प्रदेश सरकारों ने बेंच की स्थापना के लिए प्रस्ताव भी दिया है। जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट में भी पश्चिमी यूपी में बेंच की स्थापना की संस्तुति की गई थी।
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हाईकोर्ट की बेंच के लिए केंद्रीय संघर्ष समिति के संयोजक देवकी नंदन शर्मा कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी विपक्ष में रहते हुए हाईकोर्ट बेंच की मांग को जायज बताते थे। हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद अटलबिहारी वाजपेयी ने यह मांग पूरी नहीं की। अब केंद्र- प्रदेश में भाजपा की सरकार है। पांच साल हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी मांग को पूरा नहीं किया है। 'हाई कोर्ट बेंच मिशन ' ने भी पीठ की मांग को लेकर जनसम्पर्क अभियान शुरू किया है। मिशन से जुड़े अधिवक्ता नरेंद्र शर्मा ने बताया कि अभियान के तहत घर-घर जाकर लोगों से अपील की जा रही है कि जब सत्ताधारी पार्टी के लोग वोट के लिए आएं तो उनसे कहा जाए कि 'बेंच नहीं तो वोट नहीं। ' वकील अनिल शर्मा का कहना है कि 2019 के चुनाव में इस आंदोलन को मजबूती से चलाया जाएगा। उनका कहना है कि 40-50 साल से इसके लिए संघर्ष हो रहा है लेकिन कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ रहा है। अब हाईकोर्ट बेंच आंदोलन को जनांदोलन में बदला जाना जरूरी है।
भाजपा नेता एवं पूर्व एमएलसी जगत सिंह कहते हैं कि राजनीति से उपर उठकर तो लड़ाई लडऩी ही होगी। सामाजिक कार्यकर्ता व उद्यमी अजय गुप्ता ने कहा कि इस बात को मानने में कोई संकोच नहीं की कि इलाहाबाद का राजनीतिक समाज हम पर भारी पड़ रहा है। दुर्भाग्य है कि एक मौलिक अधिकार से करोड़ो लोगों को वंचित रखा जा रहा है।
वरिष्ठ वकील यशपालसिंह कहते हैं कि तेलंगाना राज्य के मुद्दे पर वहां के सांसदों ने एक स्वर से आवाज उठाई। इस्तीफे तक की चेतावनी दी। यह ताकत और जज्बा वेस्ट यूपी के सांसदों, विधायकों को भी दिखाना होगा। जिस दिन ऐसी ताकत दिखा दी तो हाईकोर्ट बेंच तो बन ही जाएगा।
प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ रालोद नेता डॉ.मैराजुद्दीन अहमद का कहना है कि प्रयागराज से मेरठ तक गंगा एक्सप्रेस-वे की घोषणा के पीछे भाजपा सरकार की मंशा वेस्ट में हाईकोर्ट बेंच की मांग से ध्यान हटाने की है।