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राजनीति के अपराधीकरण पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन की मांग
त्रिपाठी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिक इंटरेस्ट फाउण्डेशन केस में 25 सितम्बर 18 को आदेश दिया कि सभी प्रत्याशी चुनाव घोषणा हलफनामे में आपराधिक मामलों का उल्लेख करें तथा पार्टी प्रत्याशी हो तो पार्टी की वेबसाइट के अलावा प्रत्याशी के खिलाफ कायम आपराधिक मामलों को मीडिया व अखबारों में प्रकाशन किया जाए। किन्तु कोई भी राजनीतिक दल इन निर्देशों पर अमल नहीं कर रहा है।
प्रयागराज: कांस्टीट्यूशचन एण्ड सोशल रिफार्म के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एन.त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट के जनतंत्र के लिए घातक भ्रष्टाचार व राजनीति के अपराधीकरण पर रोक लगाने के उपायों पर अमल न करने को कोर्ट की अवमानना करार दिया है और कहा है कि सभी राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों को चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का आदेश दे।
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त्रिपाठी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिक इंटरेस्ट फाउण्डेशन केस में 25 सितम्बर 18 को आदेश दिया कि सभी प्रत्याशी चुनाव घोषणा हलफनामे में आपराधिक मामलों का उल्लेख करें तथा पार्टी प्रत्याशी हो तो पार्टी की वेबसाइट के अलावा प्रत्याशी के खिलाफ कायम आपराधिक मामलों को मीडिया व अखबारों में प्रकाशन किया जाए। किन्तु कोई भी राजनीतिक दल इन निर्देशों पर अमल नहीं कर रहा है।
प्रत्याशी को आपराधिक केस का खुलासा करने का है निर्देश
त्रिपाठी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही प्रत्याशी सम्पत्ति का ब्यौरा दे रहे हैं। इसी तरह अपने खिलाफ कायम आपराधिक केसों का भी ब्यौरा दे ताकि वोटरों को प्रत्याशी के आपराधिक चरित्र की जानकारी हो सके। इस मामले में चार्जशीटेड नेताओं को चुनाव लड़ने पर रोक की मांग की गयी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संसद को कानून बनाने का निर्देश दिया था। आठ माह बीत जाने के बाद इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
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त्रिपाठी ने कहा कि बात बात पर संविधान के खतरे का ऐलान करने वाली राजनीतिक पार्टियां राजनीति के अपराधीकरण पर रोक के निर्देशों का पालन करने को तैयार नहीं है और बाहुबलियों व माफियाओं को प्रत्याशी बना रही है। त्रिपाठी ने चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन का निर्देश देने की अपील की है।