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नवाबों का शहर लखनऊ स्वाइन फ्लू की चपेट में, सरकार के दावे भी हुए फेल

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Published on: 16 Sep 2017 7:23 AM GMT
नवाबों का शहर लखनऊ स्वाइन फ्लू की चपेट में, सरकार के दावे भी हुए फेल
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अमित यादव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी ही डेंगू व स्वाइन फ्लू का घर बन चुकी है। नवाबों का शहर लखनऊ ही सबसे अधिक संक्रामक बीमारियों (डेंगू, स्वाइन फ्लू आदि) की चपेट में है। योगी सरकार भी फेल नजर आ रही है। स्वास्थ्य मंत्री से लेकर सीएमओ स्तर तक संक्रमण रोकने को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर कहानी कुछ और है। सरकारी आंकड़े स्वास्थ्य महकमे की पोल खोल रहे हैं।

यूपी में इस बार स्वाइन फ्लू के कुल 2300 मामले प्रकाश में आए हैं, जिसमें अकेले राजधानी में 2064 मरीजों की पहचान हो चुकी है। लखनऊ में स्वाइन फ्लू से 13 मरीजों की मौत भी हो चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर डेंगू ने भी यूपी में पांव पसार रखा है। सूबे में डेंगू के मिलने वाले 90 मरीजों में से 66 केवल लखनऊ के ही हैं। यहां अब तक डेंगू से दो रोगियों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य महकमों की नींद पिछले वर्ष हाईकोर्ट से फटकार लगने के बाद भी नहीं खुली हैं।

स्वास्थ्य मंत्री रोजाना देते हैं बयान

स्वास्थ्य महकमा संक्रामक बीमारियों पर रोकथाम की बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने प्रदेश भर में हर रविवार को एन्टी मॉस्कीटो ड्राई डे मनाने का निर्देश दिया था। यह अभियान मच्छर जनित रोगों को पनपने से रोकने के लिए है, लेकिन मंत्री के निर्देश के बावजूद नीचे का स्टाफ इसे लेकर गंभीर नहीं है।

अफसर के काम केवल कागजों पर

दूसरी ओर स्वास्थ्य अधिकारी अलग दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य टीम रोजाना एंटी लार्वा का छिड़काव कर रही है। टीमें गली-मोहल्लों में जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। लार्वा और आसपास गंदगी मिलने पर संबंधित लोगों को नोटिस दी जा रही है, लेकिन मरीजों की रोजाना बढ़ती संख्या इनके दावों का पोल खोल रही है। इनके काम केवल कागजों पर सिमटकर रह गए हैं।

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प्रदेश का आंकड़ा: डेंगू-अब तक 6 जुलाई 2017 के बीच प्रदेश में इस साल कुल 90 डेंगू के मामले सामने आए। सबसे ज्यादा मामले जून महीने के हैं।

देश में डेंगू का आंकड़ा: देश में पिछले साल की तुलना में साल 2017 में डेंगू के 11, 832 मामले अधिक दर्ज किए गए हैं। वेक्टर से पैदा होने वाली बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या 46 हो गई है, जो पिछले साल की तुलना में 11 अधिक है। नेशनल वेक्टर बोर्न डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) के निदेशालय के मुताबिक, 30 जुलाई 2016 तक देश में डेंगू के 16, 870 मामले थे और साल 2017 में इसी अवधि के दौरान 28,702 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले एक हफ्ते में ही डेंगू के 2,536 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 10 मरीजों की मौत हुई है।

स्वाइन फ्लू का राजधानी में इतिहास: स्वाइन फ्लू का सबसे अधिक प्रकोप यूपी की राजधानी में ही दिख रहा है। यहां पर वर्ष 2012 से फ्लू के आंकड़ों में वृद्धि होती जा रही है। इस साल सबसे अधिक 2064 मामले लखनऊ में दिख रहे हैं।

2012 में-121 रोगी, 2013 में-32, 2014 में- 2 की मृत्यु, 2015 में-1087, 9 की मृत्यु, 2016 में-47, 2017 तक-कुल 2064, मृत्यु-13 (एक जनवरी से अभी तक)।

देरी से मिला बजट

संक्रमण वाली बीमारियों से निपटने के लिए 25 फॉगिंग मशीनों का 15 करोड़ रुपए का बजट भी काफी देरी से मिला। बजट मिलने के बाद ही सीएमओ डॉ.जीएस वाजपेयी ने मशीनों को खरीदा। इन्हीं मशीनों से छिड़काव हो रहा है।

लखनऊ का सरकारी आंकड़ा

- दिनांक एक जनवरी से आज तक इन्फ्लुएन्जा एएच1एन1 के रोगी- 2064

- विभिन्न राजकीय एवं निजी चिकित्सालयों में भर्ती मरीजों की संख्या- 14

- घर पर इलाज करा रहे मरीजों की संख्या-109

- स्वाइन फ्लू से पूर्णत: स्वस्थ हो चुके लोगों की संख्या-1872

_ एक अगस्त से 3 वर्ष से 18 वर्ष तक के इन्फ्लुएन्जा एएच1एन1 से ग्रसित रोगियों की संख्या-589

राजधानी में रोगियों की संख्या

एक जनवरी 2017 से अब तक

- डेंगू रोगी-66, मृत्यु-02

- एईएस-रोगी-18

- एएच1एन (स्वाइन फ्लू)-2064, मृत्यु-13

- चिकनगुनिया-रोगी-52

तीन विभाग मिलकर भी नहीं रोक पा रहे हैं संक्रमण

डीएम कौशल राज शर्मा के निर्देश पर डेंगू व स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए नगर निगम, सीएमओ और जिला मलेरिया की टीम एक साथ काम कर रही है। डीएम ने अधिकारियों से कहा था कि लोगों को जागरूक करने के साथ बचाव के उपाय सुझाएं। तीन विभाग एक साथ लगे हैं, लेकिन फिर भी राजधानी में सबसे अधिक मामले दिख रहे हैं।

क्या है सीएमओ डॉ. जीएस वाजपेयी का कहना

वेक्टर जनित रोगों से रोकथाम के लिए राजधानी के हर वार्ड में रोजाना लार्वा का छिड़काव हो रहा है। इसके अलावा हर क्षेत्र में नोडल अधिकारी लोगों को रोजाना जागरूक कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की अलग-अलग टीमें रोजाना निरीक्षण कर रही हैं। संक्रमण पाए जाने पर संबंधित लोगों को नोटिस भी दी जा रही है।

क्या है एसीएमओ डॉ. सुनील रावत का कहना

अस्पतालों में आने वाले मरीजों पर विशेष नजर है। संक्रमित रोगियों की पहचान कर उनका बेहतर इलाज हो रहा है। हर रविवार को मच्छरों को साफ करने के लिए विशेष अभियान चल रहा है।

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