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बरेली के फतवे पर देवबंद की प्रतिक्रिया, नहीं दे सकती औरत तलाक
जमीयत उलेमा हिंद से जुड़े मुफ्ती जाकिर हुसैन कासमी ने तफवीज-ए-तलाक की व्याख्या करते हुए बताया कि अगर कोई मर्द यह नापसंदीदा काम खुद नहीं करना चाहता, तो वह बीवी को यह अधिकार दे सकता है कि वह खुद तलाक ले ले। अगर औरत अपने शौहर से परेशान है और तलाक चाहती है, तो तफवीज-ए-तलाक के जरीये तलाक ले सकती है।
सहारनपुर: देवबंद के उलेमा ने फिर कहा है कि तलाक देने का अधिकार सिर्फ मर्दों को है। अलबत्ता तफवीज-ए-तलाक के जरीये बीवी अपने शौहर से तलाक लेने का अधिकार प्राप्त कर सकती है। देवबंदी उलेमा उस फतवे पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें बरेलवी विचारधारा के मुख्य केंद्र दरगाह आला हजरत ने औरतों को भी तलाक का हक होने की बात कही है।
तलाक नहीं दे सकती औरत
-बरेली की दरगाह आला हजरत से जारी उस फतवे पर बहस छिड़ गई है, जिसमें शरई तौर पर औरतों को तलाक का हक होने की बात कही गई है।
-इस फतवे पर देवबंदी उलेमा ने फिर दोहराया है कि इस्लाम ने तलाक का अधिकार केवल मर्दो को दिया है।
-हालांकि, उलेमा ने कहा कि तफवीज-ए-तलाक के जरीये बीवी अपने शौहर से तलाक लेने का अधिकार प्राप्त कर सकती है। लेकिन इसे तलाक देना नहीं कहा जा सकता।
-दारुल उलूम के वरिष्ठ मुफ्ती मोहम्मद आरिफ उस्मानी ने कहा कि तफवीज ए तलाक का प्रावधान किसी पॉवर आफ अटॉर्नी की तरह होता है।
ले सकती है तलाक का हक
-जमीयत उलेमा हिंद से जुड़े मुफ्ती जाकिर हुसैन कासमी ने तफवीज-ए-तलाक की व्याख्या करते हुए बताया कि अगर कोई मर्द यह नापसंदीदा काम खुद नहीं करना चाहता, तो वह बीवी को यह अधिकार दे सकता है कि वह खुद तलाक ले ले।
-अगर औरत अपने शौहर से परेशान है और तलाक चाहती है, तो तफवीज-ए-तलाक के जरीये तलाक ले सकती है।
-मुफ्ती जाकिर ने बताया कि तफवीज-ए-तलाक के तहत मर्द यह अधिकार भी देता है कि औरत कितनी बार तलाक ले सकती है।
खुला का है हक
-तंजीम अब्नाए दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने कहा कि इस्लाम ने औरतों को खुला का अधिकार दिया है।
-खुला के जरीये कोई भी औरत अपने शौहर से बिना उसकी मर्जी के भी तलाक ले सकती है, जबकि तफवीज-ए-तलाक में मर्द का राजी होना अनिवार्य है।
-उन्होंने बताया कि तफवीज के मायने उर्दू में सुपुर्द के होते हैं, यानी मर्द अपनी मर्जी से औरत को अधिकार सौंप दे।
(courtesy: photo-darulifta_deoband, sketch-thehindu)