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राज्यसभा के उप सभापति बोले- चंद्रशेखर का PM के रूप में सफल होना ही उनकी हार
राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नरायण सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को लेकर महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा है...
बलिया: राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नरायण सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को लेकर महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री के रूप में उनका सफल और कामयाब होना ही उनकी विफलता थी।
राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कल रात्रि जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि अभावों में बचपन गुजारने वाले चन्द्रशेखर विलक्षण राजनेता थे। उन्होंने हमेशा अलग राह पर चलने का साहस दिखाया। उन्होंने इतिहासकार रोड्रिक मैथ्यूज की पुस्तक 'चंद्रशेखर: वे छः महीने जिन्होंने भारत को बचा लिया' का हवाला देते हुए कहा कि चंद्रशेखर को कई गंभीर समस्याएं विरासत में मिली थी। चंद्रशेखर ने जब प्रधानमंत्री का दायित्व संभाला, देश गहरे आर्थिक, राजनीतिक संकट से गुजर रहा था। पूर्ववर्ती सरकार की गलत नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था आईसीयू में चली गयी थी। पंजाब, कश्मीर, अयोध्या की समस्या चरम पर थी।
उन्होंने कहा कि ऐसी विकट परिस्थिति में चन्द्रशेखर ने सभी ज्वलन्त मुद्दों को अपने राजनीतिक सूझ- बूझ से सुलझाने की पुरजोर कोशिश की। कुछ मुद्दों को वे सुलझाने के करीब भी पहुंचे। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि यह बात कुछ नेताओं को नागवार लगी और इसका नतीजा हुआ कि चन्द्रशेखर को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। हरिवंश ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उनका सफल और कामयाब होना ही उनकी विफलता थी। संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय ने कहा कि चन्द्रशेखर सिद्धांत की राजनीति करने वाले नेता थे। वे असहमति का साहस रखने वाले विलक्षण नेता थे। वे गांधी के बाद एकमात्र ऐसे नेता थे, जो जनता से सीधे जुड़ा हो।
चन्द्रशेखर की भारत यात्रा का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जनता की समस्याओं की जमीनी समझ और उससे सीधे संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से ही चन्द्रशेखर ने इतनी लंबी पदयात्रा की थी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आने वाले समय में चन्द्रशेखर की प्रासंगिकता और बढ़ेगी । अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय ने चंद्रशेखर के विचारों एवं नीतियों के अध्ययन तथा अनुशीलन के लिए 'जननायक चन्द्रशेखर शोधपीठ' की स्थापना की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं ऐसे विश्वविद्यालय की सेवा कर रही हूँ, जो जननायक चंद्रशेखर के नाम पर स्थापित हैं । मैं उन्हें ऐसे राजनेता के तौर पर याद करती हूँ, जो हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सत्य के पक्ष में और असत्य के विरुद्ध खड़े रहते थे। एक प्रखर राष्ट्रभक्त के रूप वे हमारे समक्ष हमेशा आदर्श बनकर उपस्थित रहेंगे।
संगोष्ठी के संयोजक डॉ रामकृष्ण उपाध्याय ने अतिथियों का परिचय दिया और स्वागत किया। आयोजन सचिव डॉ प्रमोद शंकर पाण्डेय एवं डॉ यादवेंद्र प्रताप सिंह ने संयुक्त रूप से संचालन किया। संगोष्ठी के समन्वयक डॉ जैनेन्द्र कुमार पाण्डेय ने सभी अतिथियों का आभार- ज्ञापन किया।
इस अवसर पर 'लिविंग लिजेंड्स ऑफ बलिया' फोरम से जुड़े प्रो. जेपीएन पाण्डेय, तारकेश्वर सिंह, आरके सिन्हा आदि लोग उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त डॉ पृथ्वीश नाग, डॉ दिलीप श्रीवास्तव, डॉ अरविंद नेत्र पाण्डेय, डॉ आरपी राघव, डॉ निशा राघव,डॉ साहेब दुबे, डॉ अशोक सिंह, डॉ आईपी सिंह, डॉ देवेंद्र सिंह, डॉ मान सिंह, डॉ दयाला नंद राय, डॉ विनीत दुबे, अतुल, मनीषा, नेहा, शैलेन्द्र, अपराजिता आदि लोग भी इस वेबिनार से जुड़े थे।