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विदेशियों में बढ़ने लगा है देव दीपावली का क्रेज, मोदी ने किया ग्लोबलाइज

साल दर साल जैसे-जैसे, देव दीपावली की भव्यता बढ़ती जा रही है, सैलानियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। खासतौर से विदेशी सैलानियों की संख्या लोगों को हैरान कर रही है।

Manali Rastogi
Published on: 23 Nov 2018 5:09 AM GMT
विदेशियों में बढ़ने लगा है देव दीपावली का क्रेज, मोदी ने किया ग्लोबलाइज
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विदेशियों में बढ़ने लगा है देव दीपावली का क्रेज, मोदी ने किया ग्लोबलाइज

वाराणसी: साल दर साल जैसे-जैसे, देव दीपावली की भव्यता बढ़ती जा रही है, सैलानियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। खासतौर से विदेशी सैलानियों की संख्या लोगों को हैरान कर रही है।

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आठ किलोमीटर लंबी गंगा किनारे घाटों की ऋंखला पर टिमटिमाते दिए की रोशनी, विदेशी सैलानियों की पहली पसंद बन चुके हैं। इस खास मौके के लिए विदेशी सैलानी मुंह मांगी रकम चुकाने के लिए तैयार रहते हैं। यही कारण है कि इस बार देव दीपावली पर करीब 10 करोड़ रुपए का कारोबार होने की उम्मीद है।

सैलानियों को भाता है गंगा का किनारा

बनारस पहुंचने वाले सैलानियों में सबसे अधिक यूरोप से आने वाले पर्यटक हैं। हाल के सालों में ये देखने को मिला है कि भारत घूमने आने वाले यूरोपियन सबसे पहले बनारस ही पहुंचते हैं। इसके बाद दूसरी जगहों का रुख करते हैं। पर्यटन के लिहाज से अक्टूबर से मार्च का महीना पीक माना जाता है। इस मौसम में सबसे अधिक पर्यटक बनारस घूमने पहुंचते हैं।

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जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस से सांसद चुने जाने के बाद इसमें और इजाफा हुआ है। दरअसल पीएम दुनिया के दो शक्तिशाली राष्ट्राध्यक्षों के साथ गंगा के तट पर आ चुके हैं। लिहाजा गंगा का किनारा अब ग्लोबलाइज हो चुका है। देव दीपावली के दौरान गंगा में सवार होकर टिमटिमाते दीयों की अलौकिक दृश्य को देखना यहां आने वाले हर विदेशी की हसरत होती है।

देव दीपावली के मनाने के पीछे ये है कहानी

देव दीपावली के खास मौके पर गंगा किनारे भव्य आरती होती है। माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ की नगरी में सभी देवता आसमान से उतरकर भगवान शिव की जीत की खुशी में गंगा तट पर स्नान करते हैं तथा गंगा और शिव जी की पूजा करते हैं। इस दिन काशी के गंगा तट पर माता गंगा के पवित्र जल पर दैदीप्यमान दीपक बहते हुए बहुत ही अच्छे लगते हैं।

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यह उत्सव मनाने के पीछे एक कारण और भी है कि देवउठनी एकादशी के चार माह बाद भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। इस प्रसन्नता में सभी देवता स्वर्ग से आ कर काशी के घाटों पर दिवाली मनाते हैं।

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