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रेमडेसिवीर पर न करें पैसे खर्च, कोरोना से बचाव में 2 रुपए की दवा फायदेमंद

कोरोना से संक्रमित (Coronavirus) अपने परिजन की जान बचाने के लिए रेमडेसिवीर (Remdesivir) की मुंह मागी कीमत लोग देने को तैयार हैं। जिन्होंने किसी तरह पा लिया और लगवा भी दिया क्या वह बच गए यह बड़ा सवाल है।

Ashutosh Tripathi
Written By Ashutosh TripathiPublished By Monika
Published on: 21 April 2021 5:42 PM IST (Updated on: 21 April 2021 5:44 PM IST)
रेमडेसिवीर पर न करें पैसे खर्च, कोरोना से बचाव में 2 रुपए की दवा फायदेमंद
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रेमडेसिवीर और डेक्सामेथासोन इंजेक्शन  (फोटो : सोशल मीडिया )

लखनऊ: कोरोना से संक्रमित (Coronavirus) अपने परिजन की जान बचाने के लिए रेमडेसिवीर (Remdesivir) की मुंह मागी कीमत लोग देने को तैयार हैं। जिन्होंने किसी तरह पा लिया और लगवा भी दिया क्या वह बच गए यह बड़ा सवाल है। इस बारे में विशेषज्ञ कहते है कि इस इंजेक्शन का कोई खास फायदा नहीं है इसलिए इस दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता नहीं दिया।

रेमडेसिवीर (Remdesivir) का वही हाल है जैसे वायरल फीवर (viral Fever) में एंटीबायोटिक खाओ तो सात दिन में ठीक न खाओ तो भी सात दिन में ठीक.........एआरडीएस रोकने में इसकी कोई भूमिका नहीं है। रिसर्च सोसाइटी ऑफ एनेस्थीसिया एंड क्लीनिकल फार्माकोलॉजी (Research Society of Anesthesia and Clinical Pharmacology ) के सचिव और संजय गांधी पीजीआइ के आईसीयू एक्पर्ट प्रो, संदीप साहू ने साफ शब्दों में कहा कि रेमेडिसविर के पीछे भागने से कोई फायदा नहीं है। डॉक्टर भी तीमारदार को इसके पीछे भागने के रोकें।

कोरोना संक्रमित में एआरडीएस रोकने में कोई खास फायदा नहीं है। न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन के हाल के शोध का हवाला देते हुए प्रो. साहू कहते है कि डेक्सामेथासोन (Dexamethasone ) सबसे सस्ती और आसानी से मिलने वाली दवा है। यह दवा एआरडीएस रोकने में काफी कारगर साबित होती है। ऐसा हमने में भी कोरोना मरीजों में देखा है खास तौर पर जिनमें लो ऑक्सीजन की जरूरत है। इनमें यह आठ से दस मिली ग्राम 24 घंटे में एक बार देने से वेंटिलेटर पर जाने के आशंका काफी कम हो जाती है।

दो हजार कोरोना मरीजों पर किया शोध

शोध वैज्ञानिकों ने दो हजार कोरोना संक्रमित ऐसे मरीजों पर शोध किया जिनमें आक्सीजन लेवल 90 से कम था इन्हें डेक्सामेथासोन देने के बाद 28 दिन बाद परिणाम देखा गया तो पता चला कि इनमें मृत्यु दर कम थी इसके साथ ही वेंटिलेटर की जरूरत कम पड़ी। रेमडेसिवीर केवल एक खास वर्ग में राहत दे सकती है। हाई ऑक्सीजन की जरूरत होती है। यह केवल पहले सप्ताह में ही देने से राहत की संभावना होती है। इस दवा का कोई खुली स्टडी नहीं है केवल फार्मा इंडस्ट्री द्बारा प्रायोजित शोध ही सामने आए है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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